भारत के सर्वोच्च न्यायालय यानी सुप्रीम कोर्ट के मौजूदा Chief Justice संजीव खन्ना 13 मई को retire होने जा रहे हैं। उन्होंने अपने successor के रूप में सुप्रीम कोर्ट के सबसे सीनियर जज Justice भूषण रामकृष्ण गवई का नाम चुना हैं। CJI खन्ना के retirement के बाद 14 मई से Justice गवई भारत के 52वें CJI के रूप में पद संभालेंगे। वे देश के दूसरे दलित CJI होंगे। आइए, जानते हैं उस शख्सियत के बारे में, जो जल्द ही देश की न्याय व्यवस्था की सबसे बड़ी ज़िम्मेदारी संभालने जा रहे हैं।
अमरावती में जन्मे गवई का राजनीति से है नाता
Justice बी. आर. गवई का जन्म 24 नवंबर 1960 को महाराष्ट्र के अमरावती में हुआ था। उनके पिता रामकृष्ण सूर्यभान गवई एक वरिष्ठ राजनेता रहे हैं। वे लोकसभा और राज्यसभा सांसद होने के साथ-साथ महाराष्ट्र विधानसभा और विधान परिषद में भी लंबे वक्त तक सक्रिय रहे। वे एक राज्यपाल के तौर पर भी काम कर चुके हैं। उनकी माता का नाम कमला हैं। उनके भाई राजेंद्र गवई भी राजनीति में सक्रिय हैं।
बॉम्बे हाईकोर्ट से सुप्रीम कोर्ट तक का सफर
Justice गवई ने सन् 1985 में अपने कानूनी करियर की शुरुआत की थी। 1987 से 1990 तक उन्होंने Independently वकालत की। वे महाराष्ट्र के पूर्व Advocate General राजा एस. भोंसले के साथ भी काम कर चुके हैं। 1990 के बाद उन्होंने बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर बैंच में ही वकालत जारी रखी। उन्होंने नवंबर 2003 से लेकर मई 2019 तक बॉम्बे हाईकोर्ट के जज के रूप में अपनी सेवाएं दी। इसके बाद मई 2019 में ही उन्हें सुप्रीम कोर्ट का जज बनाया गया।
कई अहम फैसलों का रहे हिस्सा
Justice बी. आर. गवई ने सुप्रीम कोर्ट में अपने कार्यकाल के दौरान कई अहम फैसलों में भूमिका निभाई। उन्होंने demonetisation को कानून सम्मत ठहराया और कहा कि यह फैसला देशहित में लिया गया था। Electoral bond योजना को उन्होंने असंवैधानिक करार दिया क्योंकि यह लोगों के सूचना के अधिकार का उल्लंघन करती थी। बिना कानूनी प्रक्रिया के बुलडोजर कार्रवाई को भी उन्होंने गलत ठहराया और कहा कि कानून का पालन जरूरी है। अनुच्छेद 370 को हटाने के फैसले को भी उन्होंने सही बताया। साथ ही उन्होंने सुझाव दिया कि SC-ST वर्ग में भी reservation का लाभ सिर्फ ज़रूरतमंदों को मिलना चाहिए, जैसे OBC वर्ग में होता है। उनकी ही अध्यक्षता वाली बेंच ने साल 2022 में राजीव गांधी की हत्या के आरोप में 30 साल से ज़्यादा समय तक जेल में बंद 6 लोगों की रिहाई का आदेश दिया था।
सिर्फ 7 महीने का कार्यकाल लेकिन उम्मीदें बड़ी
CJI के रूप में उनका कार्यकाल सिर्फ 7 महीने का होगा। यह सुप्रीम कोर्ट के इतिहास में सबसे छोटे कार्यकालों में से एक होगा। हालांकि समय कम है, लेकिन उनसे उम्मीद है कि वो इस दौरान ईमानदारी से अपना काम करेंगे और न्याय व्यवस्था को मजबूती देंगे।