सूरत। भारत अपनी कला और संस्कृत के लिए विश्व प्रसिद्ध है। लेकिन अब विश्व की सबसे बड़ी ऑफिस बिल्डिंग का खिताब भी अब भारत के नाम हुआ। अब हमारा देश दुनिया में सबसे आगे बढ़ रहा है। यह विशाल बिल्डिंग भारत के गुजरात राज्य के सूरत में बनी है। सूरत को हीरे के व्यापार का केंद्र माना जाता है। इस बिल्डिंग को भी हीरे के व्यापार केंद्र के रूप में ही इस्तेमाल किया जाएगा, इस बिल्डिंग को पूरा बनाने में चार साल का वक्त लग गया है। विश्व की सबसे बड़ी ऑफिस बिल्डिंग का ख़िताब पहले अमेरिका के पेंटागन के पास था जो अब भारत के पास है। इस शानदार बिल्डिंग का नाम “सूरत डायमंड बोर्स” रखा गया है।
बने से पहले की कॉम्पनियों ने खरीदा ऑफिस
सूरत डायमंड बोर्स के डिजाइन को एक इंटरनेशनल स्तर की प्रतियोगिता के बाद भारतीय फर्म मॉर्फोजेनेसिस ने ही डिजाइन किया है। इस मामले पर जानकारी देते हुए महेश गढ़वी ने कहा कि हमने इस बिल्डिंग को बनाते वक्त यह सोचा भी नहीं था कि हम अमेरिका के पेंटागन को पीछे छोड़ देंगे। हमने इसे केवल व्यापारियों की सुविधा के लिए बनाया था। इसके साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि हीरे के व्यापार के इस हब में डायमंड बनाने वाली कंपनियों ने बिल्डिंग के निर्माण से पहले ही अपने-अपने लिए ऑफिस खरीद लिए हैं।
सूरत डायमंड बोर्स क्या है?
इमारत का नाम सूरत डायमंड बोर्स रखा गया है। रत्न के नाम से मशहूर सूरत की इस इमारत को ‘वन स्टॉप डेस्टिनेशन’ के तौर पर बनाया गया है। यह इमारत में 15 मंजिला बनाई गई है, जो 35 एकड़ में फैली हुई है। इसमें हीरा व्यापार से जुड़े सभी पॉलिशर्स, कटर और व्यापारियों के लिए सुविधाएं प्रदान की गई हैं। यह इमारत नौ आयताकार संरचनाओं के रूप में बनी है और ये सभी एक केंद्रीय रीढ़ के रूप में एक दूसरे से जुड़ी हुई हैं। इस बिल्डिंग को बनाने वाली कंपनी ने दावा किया है कि उसके पास 71 लाख वर्ग फुट से ज्यादा जमीन है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नवंबर 2023 में इस इमारत का उद्घाटन करने वाले हैं। इस बड़ी इमारत को बनाने में चार साल लग गए है।
हजारों लोगों को मिलेगी व्यारपार की सुविधा
इस आफिस कॉम्प्लेक्स में एक मनोरंजन क्षेत्र और पार्किंग क्षेत्र है जो 20 लाख वर्ग फीट में फैला हुआ है। दरअसल, एसडीबी डायमंड बोर्स द्वारा प्रचारित एक गैर-लाभकारी संगठन है, जो कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 8 के तहत पंजीकृत कंपनी है। सूरत, गुजरात में डायमंड बोर्स की स्थापना और प्रचार के लिए बनाई गई है। परियोजना के सीईओ महेश गढ़वी ने कहा कि नहीं बिल्डिंग परिसर हजारों लोगों को व्यवसाय करने के लिए शानदार अवसर देगा।