मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की जबलपुर बैंच ने 2013 से चल रहे Bus Rapid Transit System (BRTS) Corridor को हटाने का फैसला सुना दिया हैं। 13 साल पहले करीब 300 करोड़ रुपए की लागत से इसका निर्माण किया गया था, जिससे 70 हज़ार यात्री रोज़ सफर किया करते थे। अब इस corridor में चलने वाली i-buses को सामान्य ट्रैफिक में चलाया जाएगा। इस निर्णय के बाद इंदौर के महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने कहा कि शुक्रवार से ही इसे हटाने का काम शुरु कर दिया जायेगा। 2013 में ये बनकर तैयार हो गया था और इसकी शुरुआत भी हो चुकी थी। इसका मकसद इंदौर में ट्रैफिक की समस्याओं को कम करना और लोगों को सुरक्षित सफर मुहैया कराना था। यह 11-12 किमी लंबा था और यात्री इसमें राजीव गांधी चौराहे से निरंजनपुर तक सफर कर सकते थे।
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने 21 नवंबर 2024 को ही यह ऐलान कर दिया था कि BRTS को लेकर निर्णय ले लिया गया हैं। इसे हटा दिया जाएगा। तब से इस पर चर्चाओं का बाज़ार गर्म था। जहां भाजपा कांग्रेस के नेता एक राय में इसे तोड़ने का समर्थन कर रहे हैं, वहीं छात्र और अन्य यात्री इस फैसले का विरोध कर रहे थे। यात्रियों के मुताबिक, जहां पहले 15-20 minutes लगते थे, वहां अब समय आधे घंटे तक पहुंच जाएगा। भोपाल का BRTS हटाने के बाद केवल इंदौर शहर में ही BRTS रह गया था। बसें कुल 20 जगहों पर रुकती थीं। करीब 49 बसों का संचालन होता था, जिसे बढ़ाकर 59 किया जाना था। 49 में 29 बसें CNG और बची हुई बसें Diesel से चलती थीं।
BRTS की उपयोगिता की बात करें तो ये शहर के बीचोबीच हैं, इस रूट पर कई ऑफिस, अस्पताल और educational institutes हैं। सफर करने वालों में एक बड़ा वर्ग छात्रों का हैं, जो इस निर्णय से ज़्यादा खुश नज़र नहीं आ रहे हैं। Social Activist किशोर कोडवानी द्वारा BRTS Corridor के खिलाफ इंदौर हाई कोर्ट में दो याचिकाएं दायर की गई थीं। ये याचिकाएं, जो निरंजनपुर से राजीव गांधी स्टैचू तक फैले बीआरटीएस कॉरिडोर के खिलाफ थीं, नवंबर 2024 में जबलपुर की मुख्य bench में भेज दी गई थीं।
हाई कोर्ट की रिपोर्ट में पांच सदस्यीय समिति ने कहा था कि एबी रोड पर यातायात सुधारने के लिए फ्लाईओवर का निर्माण किया गया था। वर्तमान समय में, BRTS Corridor यातायात पर दबाव डाल रहा है, अलग लेन होने के कारण लोगों को परेशानी हो रही है। सीनियर वकील अमित अग्रवाल के अनुसार फ्लाईओवर बनाने के बाद BRTS Corridor के लिए अलग लेन की ज़रूरत नहीं रही। सरकार ने भी बीआरटीएस कॉरिडोर को हटाने का समर्थन ही किया हैं।
Urban Development Expert अशोक मंहार ने कहा कि इसे सही निर्णय बताया क्योंकि बारिश के दौरान सड़कों पर दबाव बढ़ जाता है, खास तौर पर से two और four wheeler vehicles की संख्या में बढ़ोतरी के कारण। सिर्फ बसों के चलने के लिए एक तिहाई सड़क देना कभी व्यावसायिक रूप से सही नहीं था। इस फैसले के बाद यही आशा हैं कि इससे ट्रैफिक व्यवस्था बेहतर ही हो और किसी भी व्यक्ति को किसी भी तरह की समस्या से जूझना न पड़े।