‘हम काग़ज़ नहीं दिखाएंगे’ और ‘जिन्ना वाली आज़दी’ जैसे नारों से गूँजती सड़कें और शाहीन बाग आंदोलन तो आपको याद ही होगा। 2019 मे CAA के विरोध में दिल्ली की यह स्थान देशभर में चर्चा का विषय बन गया था। कोरोना के बाद यह विरोध बंद हुआ और 4 साल भी बीत गये। इस बार सरकार ने CAA लागू कर दिया है। ऐसे मे शाहीन बाग मे इस बार क्या हाल है ये देखना भी जरूरी है। तो आइये जानते है वर्तमान मे शाहीन बाग की सूरत- ए – हाल।
जैसे ही अमित साह ने CAA लागू करने का एलान किया शाहीन बाग और लखनऊ सहित अन्य कई इलाक़ों मे पुलिस फोर्स को तैनात कर दिया गया ताकि फिर से उन इलाक़ों मे हालात ना बिगड़ पाये। लेकिन 4 साल पहले जिन गलियों मे ‘हम कागज नहीं दिखाएंगे ” जैसे नारे गूंज रहे थे वहाँ इस बार तैनात पुलिस बल के सिवाय सड़कों पर सन्नाटा पसरा हुआ है। खामोश शाहीन बाग मे मुस्लिम भाई बहने सब माह-ए-रमजान में जोहर की नमाज पढ़ने जाते और लौटते दिखाई देते है। बाकी अपनी अपनी आम दिनचर्या और रोजी-रोटी की जद्दोजहद मे लगे होते हैं।
CAA का विरोध करने वालों की सोच मे बदलाव नजर आया है। एक वीडियो मे दुकानदार से इसी बारे मे सवाल किया गया तो बगल मे खड़ी मुस्लिम महिला ने जवाब मे कहा, “अब प्रदर्शन और विरोध की जरूरत नहीं है। मुसलमानों को इस कानून से कोई परेशानी नहीं है।”
शाहीन बाग के एक अन्य मुस्लिम भाई कहते हैं कि, “मुसलमानों को इस कानून से डरने की जरूरत नहीं है। शाहीन बाग में काफी संख्या में सुरक्षाकर्मी तैनात हैं। यहां अब सुरक्षाकर्मियों को इतनी संख्या में तैनात करने की जरूरत नहीं है। हम अमन से रह रहे हैं। हमें कोई धरना प्रदर्शन नहीं करना है। हमें इस कानून का कोई नुकसान और न ही कोई फायदा है।”
कुछ कदम दूर खड़ी महिला ने कहना शुरू किया कि,” यह राजनीतिक हथकंडा है। राजनीतिक दल चाहते हैं कि हम धरना-प्रदर्शन करें और वे अपने हिसाब से फायदा उठाएं। हम यहां के नागरिक हैं और हमेशा रहेंगे। कोई हमें नहीं भगा सकता है। पिछले बार के धरना-प्रदर्शन के सवाल पर उन्होंने कहा,”तब लोगों ने हमें बताया था कि सीएए के जरिये मुसलमानों को देश से निकालने की कोशिश की जा रही है।” खातून का ये बयान दिल्ली पुलिस के हाईकोर्ट मे किये गये उस दावे से एक दम मेल खाता है, जिसमें दिल्ली पुलिस ने हाईकोर्ट को बताया है कि संशोधित नागरिकता कानून (CAA) के विरोध में शाहीन बाग में हुआ प्रदर्शन स्वाभाविक या कोई स्वतंत्र आंदोलन नहीं था। पुलिस का कहना है कि शाहीन बाग प्रकरण के पीछे पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) और सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया (SDPI) का हाथ था। महत्वपूर्ण बात यह है कि स्थानीय लोगों ने कई जगहों पर हुए इन प्रदर्शनों का समर्थन नहीं किया था। पुलिस ने फरवरी, 2020 में हुए दंगे के पीछे की कथित साजिश के संबंध में दर्ज यूएपीए मामले में पूर्व जेएनयू स्टूडेंट उमर खालिद की जमानत अर्जी का विरोध करते हुए यह बात कही थी।
बहरहाल, सौ बात की एक बात ये है कि सरकार को शाहीन बाग के विषय मे जो आशंका थी वैसा इस बार कुछ भी देखने नहीं मिला है। उम्मीद है कि लोग ऐसे ही अमन – चैन का परिचय आगे भी देते रहेंगे।
जानकारी के लिये बता दे कि बीते सोमवार को, केंद्र सरकार के गृह मंत्रालय ने नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) को लागू करने का नोटिफिकेशन जारी कर दिया था। इस कानून के तहत अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से आए गैर-मुस्लिम शरणार्थियों – हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, ईसाई और पारसी को भारत की नागरिकता मिलने का रास्ता साफ हो गया है।