मुंबई। पवार परिवार की दो मजबूत कडिय़ों का टूटना सगों से बर्दाश्त नहीं हो रहा है। यही वजह है कि जोडऩे की कोशिश शुरू हो गई है। शरद पवार के भाई श्रीनिवास पवार और उनके लड़के युगेंद्र पवार मेल-मिलाप की कोशिश कर रहे हैं। युगेंद्र और अजित पवार बचपन के साथी हैं। भाई तो हैं ही… दोस्तों की तरह रहे हैं। युगेंद्र, अजीत को समझा रहे हैं। श्रीनिवास, शरद पवार से मिले हैं। वे उन्हें परिवार की एकता का पाठ पढ़ा रहे हैं।
परिवार का कारोबारी धड़ा !
श्रीनिवास और युगेंद्र की सियासत से दूरी है। कारोबार करते हैं और उसी की दुनिया में खोए रहते हैं। एनसीपी से परिवार के नाते जुड़े हैं, लेकिन राजनीतिक फैसलों में दखल नहीं है। इस बार बात परिवार टूटने पर आ गई है। लिहाजा, मैदान पकड़ लिया है। चाचा, भतीजे को समझा रहे हैं। 2019 में जब अजीत पवार ने चाचा शरद पवार से गुस्सा होकर भाजपा का हाथ पकड़ लिया था। फडणवीस सरकार में शपथ भी ले ली थी, तब भी युगेंद्र के समझाने पर ही अजीत वापस लौटे थे। शिरांकां गठबंधन में उप-मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी।
हम सब एक हैं
इस मामले में युगेंद्र से सवाल हुआ, तो बोले- हम परिवार हैं… मिलते रहते हैं। इसे राजनीति से नहीं जोड़ा जाए। शरद पवार मेरे दादा हैं। उनका आशीर्वाद लेने जाता रहता हूं। शरद-अजीत के झगड़े पर कुछ भी कहने से इंकार कर दिया। श्रीनिवास से सवाल हुआ, तो उनका जवाब भी ऐसा ही है। इतना जरूर कहा कि राजनीति में कुछ भी हो, परिवार एक है और हमेशा रहेगा।