चुनावी राजनीति में ‘मुफ्त उपहार’ या ‘रेवड़ी संस्कृति’ का प्रचलन बढ़ता जा रहा है, जहां राजनीतिक दल मतदाताओं को लुभाने के लिए मुफ्त सेवाओं या वस्तुओं का वादा करते हैं। हालांकि, यह प्रवृत्ति लोकतंत्र और समाज के लिए कई खतरनाक परिणाम ला सकती है।
दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए तीनों प्रमुख पार्टियों ने लोकलुभावन वादों की झड़ी लगा दी है, जिसमें मुफ्त बिजली, पानी, बस यात्रा और महिलाओं के लिए नकद लाभ शामिल हैं। AAP को काउंटर करने के लिए बीजेपी और कांग्रेस ने भी महिलाओं, बुजुर्गों और बेरोजगारों के लिए आकर्षक वादों का ऐलान किया है। ये खतरनाक कैसे हैं वो समझने से पहले तीनों पार्टियों के वादों और संकल्पों को देख लेते हैं।
अगर बीजेपी जीतती है तो क्या मिलेगा?
- महिलाओं को महिला समृद्धि योजना के तहत 2500 रुपये दिए जाएंगे।
- सिलेंडर पर 500 रुपये की सब्सिडी मिलेगी। होली और दिवाली पर एक-एक सिलेंडर फ्री दिया जाएगा।
- गर्भवती महिलाओं को 21000 रुपये और न्यूट्रीशनल किट दिए जाएंगे।
- पांच लाख रुपये तक का अतिरिक्त स्वास्थ्य बीमा दिया जाएगा।
- आयुष्मान भारत योजना को दिल्ली में लागू किया जाएगा।
- अटल कैंटीन योजना को लॉन्च की जाएगी।
- झुग्गियों में पांच रुपये में राशन दिया जाएगा।
- बुजुर्गों को 3000 रुपये तक पेंशन दी जाएगी।
कांग्रेस की गारंटी
- प्यारी दीदी योजना के तहत महिलाओं को हर महीने 2,500 रुपये मिलेंगे।
- जीवन रक्षा योजना के तहत 25 लाख रुपए तक का मुफ्त इलाज मिलेगा।
- युवा उड़ान योजना के तहत युवाओं को एक साल की अप्रेंटिसशिप, हर महीने मिलेंगे 8,500 रुपये।
- फ्री बिजली योजना के तहत 300 यूनिट बिजली फ्री
- महंगाई मुक्ति योजना के तहत 500 रुपये में गैस सिलेंडर और राशन किट फ्री
AAP के वादे!
- महिला सम्मान योजना के तहत महिलाओं को हर महीने 2100 रुपये
- बुजुर्गों को संजीवनी योजना के तहत प्राइवेट और सरकारी अस्पताल में फ्री इलाज
- पुजारी-ग्रंथी योजना के तहत पुजारियों और ग्रंथियों के लिए हर महीने 18 हजार रुपये
- आम आदमी पार्टी ने फ्री शिक्षा
- 200 यूनिट फ्री बिजली जारी रखने का वादा
- 20 हजार लीटर फ्री पानी
- पानी के गलत बिल को लेकर वन टाइम सेटलमेंट प्लान का वादा
मुफ्त उपहारों की ये घोषणा सुनने में तो बढ़िया लग रही हैं लेकिन इससे सरकारी खजाने पर भारी दबाव पड़ता है। इन वादों को पूरा करने के लिए सरकार को अतिरिक्त वित्तीय संसाधनों की आवश्यकता होती है, जो घूम फिरकर टैक्स देने वालों के पैसे से पूरा किया जाता है। इससे डेवलपमेंट प्रोजेक्ट्स और बुनियादी ढांचे में निवेश कम हो सकता है, जिससे लॉन्ग टर्म में इकनॉमिक डेवलपमेंट प्रभावित हो जाएगा।
मुफ्त उपहारों की निरंतरता से समाज में निर्भरता की भावना बढ़ती है। लोग सरकारी सहायता पर अधिक निर्भर हो सकते हैं, जिससे उनकी स्वावलंबन की भावना कमज़ोर पड़ सकती है। यह स्थिति समाज के प्रोडक्शन लेवल को प्रभावित कर सकती है और आर्थिक प्रगति में बाधा डाल सकती है।
राजनीतिक दलों द्वारा मुफ्त उपहारों का वादा मतदाताओं के निर्णय को प्रभावित कर सकता है, जिससे चुनावी प्रक्रिया की निष्पक्षता पर सवाल उठते हैं। यह प्रवृत्ति दीर्घकालिक नीतियों और विकास कार्यक्रमों की जगह तात्कालिक लाभ पर केंद्रित राजनीति को बढ़ावा देती है, जो लोकतंत्र के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है।
मुफ्त उपहारों की संस्कृति से समाज में असमानता बढ़ सकती है। संसाधनों का असमान वितरण और केवल चुनिंदा समूहों को लाभ पहुंचाने वाली नीतियां सामाजिक ताने-बाने को कमजोर कर सकती हैं। इसके अलावा, यह प्रवृत्ति वास्तविक मुद्दों से ध्यान भटकाती है और विकास के लक्ष्यों को पीछे छोड़ देती है।
इसीलिए यह आवश्यक है कि मतदाता और राजनीतिक दल दोनों ही मुफ्त उपहारों की संस्कृति के दीर्घकालिक प्रभावों को समझें और जिम्मेदार नीतियों और कार्यक्रमों पर ध्यान केंद्रित करें जो समाज के विकास और सशक्तिकरण में सहायक हों।