दिल्ली में आज 70 विधान सभा सीटों पर चुनाव जारी है तथा दोपहर एक बजे तक 33.31% वोटिंग हो चुकी है। अब तक सबसे अधिक मतदान नॉर्थ ईस्ट दिल्ली में हुआ, जहां ताज़ा जानकारी तक, 39.51% वोटिंग हुई है। इस चुनाव में भाजपा, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी तीनों ने ही अपनी जान झोंक दी है। जनसभाएं, नुक्कड़ सभा, डोर टू डोर कैंपेन के ज़रिए लोगों तक पहुंचने की कोशिश की गई।
इस चुनाव में सभी पार्टियों ने रेवड़ी को ही अधिक महत्व दिया है। आम आदमी पार्टी का तो चुनावी फार्मूला ही हमेशा से रेवड़ी कल्चर पर टिका है। इस बार भी उन्होंने महिलाओं को 2100 रूपये प्रति महीना देने का वादा किया है। साथ ही मुफ्त बिजली, पानी और बस सेवा को भी जारी रखने का निर्णय लिया है। छात्रों को भी मुफ्त यात्रा और मेट्रो के सफर पर 50% छूट देने की घोषणा की है।
फ्रीबीज़ लुटाने में भाजपा भी इस बार पीछे नहीं है। अपने चुनावी प्रतिद्वंदियों को हराने के लिए गर्भवती महिलाओं को 21 हज़ार रूपये का वादा किया है। साथ ही यह ऐलान भी किया है कि दिल्ली सरकार की पहले से चलती आ रही किसी भी योजना को बंद नहीं किया जायेगा। जबकि शिक्षा के क्षेत्र में केजी से पीजी तक मुफ्त शिक्षा और प्रतियोगी परीक्षाओं में बैठने वाले छात्रों को 15 हज़ार तक देने का वादा किया है।
अब भला कांग्रेस कहां पीछे रहने वाली थी। उन्होंने भी हर महीने औरतों को 2500 वहीं शिक्षित बेरोजगारों को 8500 तक देने का ऐलान किया है। 25 लाख तक मुफ्त इलाज और 500 रूपये में गैस सिलेंडर देने की घोषणा इसमें सबसे बड़ी है।
मुफ्त की चीज़ें सुनने में तो बड़ी आकर्षक लगती है, मगर अत्याधिक क़र्ज़ को भी आमंत्रण दे रही है, जिसके भविष्य में विपरीत परिणाम देखने को मिलेंगे। इन सभी घोषणाओं के बीच जो ज़मीनी मुद्दे है, वो सब कही पीछे ही छूट गए है।
केवल दिल्ली चुनाव की ही बात नही है। पिछले कुछ समय से सभी राजनीतिक दल चुनाव जीतने पर ही अधिक ध्यान केंद्रित कर रहे है और दीर्घकालिक उपलब्धियों की और उनका ध्यान जाना बंद सा हो गया है।
दिल्ली के कई महत्वपूर्ण मुद्दे है जिनपर ध्यान देना अत्यंत आवश्यक है जिनमें प्रमुख है महिलाओं की सुरक्षा। NCRB की साल 2022 की रिपोर्ट के अनुसार, इसी वर्ष महिलाओं के विरुद्ध अपराध दर 144.4 थी, जो सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से कही अधिक थी। वहीं अपराध के मामले 10,093 से बढ़कर 14,247 तक पहुंच गए। प्रदूषण तो एक गंभीर समस्या है ही जिसमें राजनीतिक दलों द्वारा एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप का खेल खेला जा है, मगर वास्तविक समाधान की तरफ किसी का ध्यान नही जा रहा है। यमुना नदी साफ करने के लिए 700 करोड़ खर्च किए गए, मगर स्थिति अब भी वैसी ही है। पर्यावरण, वन और जलवायु मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार दिल्ली का एवरेज एक्यूआई 209 था, जो पिछले तीन वर्षों में सबसे बुरा था।
वहीं साफ पानी, सड़क और सीवर। ये भी ऐसी समस्याएं है, जिनपर ध्यान देना बहुत जरूरी है। आशा है कि जनता ऐसे दल को चुने, जो रेवड़ी बांटने से ऊपर उठकर इन सब मुसीबतों पर भी ध्यान दे ताकि राजधानी दिल्ली को बेहतर, सुरक्षित और सुविधाजनक शहर बनाया जा सके नहीं तो आने वाले समय में लोगों के लिए सामान्य जीवन जीना भी दूभर हो जाएगा।