भारत में धार्मिक आयोजनों, त्योहारों और यात्राओं के दौरान भारी भीड़ जुटना आम बात है लेकिन जब यह भीड़ बेकाबू हो जाती है, तो इसका परिणाम बेहद दर्दनाक हो सकता है। हर साल देश में कई स्थानों पर भगदड़ की घटनाएं होती हैं, जिनमें सैकड़ों लोग अपनी जान गंवा देते हैं और कई घायल हो जाते हैं। अव्यवस्था, प्रशासन की लापरवाही और भीड़ नियंत्रण की असफलता अक्सर इन घटनाओं का मुख्य कारण बनती है। हाल ही में, दिल्ली रेलवे स्टेशन पर महाकुंभ से लौट रहे यात्रियों की भारी भीड़ के कारण भगदड़ मच गई, जिसमें कई लोगों की जान चली गई और दर्जनों घायल हो गए। यह घटना भारत में भीड़ प्रबंधन की कमजोरियों को एक बार फिर उजागर करती है।
दिल्ली रेलवे स्टेशन पर महाकुंभ से लौट रहे हजारों श्रद्धालुओं की भारी भीड़ इकट्ठा हुई, जिसके कारण स्थिति बेकाबू हो गई और भगदड़ मच गई। इस हादसे में 18 लोगों की मौत हो गई, जिनमें महिलाएं, पुरुष और बच्चे शामिल थे। इसके अलावा, 25 से अधिक लोग घायल हुए। यह घटना उस समय हुई जब एक साथ कई ट्रेनें यात्रियों से खचाखच भरी हुई थीं और प्रशासन भीड़ को नियंत्रित करने में विफल रहा।
कैसे हुई भगदड़?
महाकुंभ से लौट रहे श्रद्धालु पहले से ही बड़ी संख्या में दिल्ली स्टेशन पर मौजूद थे। इसी दौरान, दो ट्रेनों के नामों में समानता के कारण यात्रियों में भ्रम की स्थिति बन गई। ‘प्रयागराज स्पेशल’ के प्लेटफॉर्म 16 पर आने की घोषणा हुई, जबकि इसी नाम से मिलती-जुलती ‘प्रयागराज एक्सप्रेस’ पहले से ही प्लेटफॉर्म 14 पर खड़ी थी। अफरातफरी मच गई और लोग धक्का-मुक्की करने लगे। भीड़ बढ़ने से हालात बेकाबू हो गए और भगदड़ शुरू हो गई।
अव्यवस्था और लापरवाही की हकीकत
मौजूद यात्रियों के अनुसार, स्टेशन पर सुरक्षाकर्मियों की संख्या बहुत कम थी, जिससे भीड़ को नियंत्रित नहीं किया जा सका। यात्रियों का कहना है कि ट्रेनों में सीटों की संख्या बेहद कम थी, जिससे भीड़ प्लेटफॉर्म पर ही बनी रही। इतना ही नहीं, कई यात्रियों ने मजबूरी में एसी और फर्स्ट क्लास कोचों में घुसने की कोशिश की, जिससे स्थिति और ज्यादा खराब हो गई।
क्या यह पहली बार हुआ है?
भारत में इस तरह की भगदड़ की घटनाएं पहले भी हो चुकी हैं। पिछले दो वर्षों में कई बड़े हादसे हुए हैं, जिनमें कई लोगों की जान गई।
- मुंबई लोकल ट्रेन हादसा (2023): चर्चगेट स्टेशन पर ट्रेन में चढ़ने की जल्दी में भगदड़ मच गई, जिसमें कई लोग घायल हो गए थे।
- हाथरस भगदड़ (जुलाई 2024): उत्तर प्रदेश के हाथरस जिले में एक धार्मिक आयोजन के दौरान भगदड़ मच गई थी, जिसमें 121 लोगों की मौत हो गई और 50 से अधिक लोग घायल हो गए।
- प्रयागराज महाकुंभ भगदड़ (जनवरी 2025): महाकुंभ के दौरान संगम क्षेत्र में हुई भगदड़ में 30 से अधिक श्रद्धालुओं की मौत हो गई और 60 से अधिक घायल हुए थे।
दिल्ली रेलवे स्टेशन पर हुई भगदड़ ने एक बार फिर से सार्वजनिक स्थानों पर भीड़ नियंत्रण की विफलता को उजागर कर दिया है। जो लोग महंगे टिकट खरीदकर आरामदायक यात्रा की उम्मीद रखते हैं, वे भी इस तरह की अव्यवस्था का शिकार हो जाते हैं। क्या सरकार और रेलवे प्रशासन इस तरह की घटनाओं से सबक लेगा? या फिर हर बार आम लोगों को अपनी जान गंवाने के लिए छोड़ दिया जाएगा? सवाल अभी तक बना हुआ है।