आगरा से 35 किलोमीटर दूर फतेहपुर सीकरी की दरगाह में माता कामाख्या देवी का मंदिर होने का दावा किया गया है। आगरा के सिविल कोर्ट में इसको लेकर याचिका दर्ज़ की गई है। अधिवक्ता अजय प्रताप सिंह ने कोर्ट में दायर की गई याचिका में फतेहपुर सीकरी की हज़रत सलीम चिश्ती दरगाह को माता कामाख्या देवी का मंदिर बताया है। मामला न्यायालय लघुबाद में पेश किया गया है, जहां संज्ञान लेते हुए इश्यू नोटिस का आदेश दिया गया है।
फतेहपुर सीकरी की दरगाह में माता कामख्या देवी मंदिर के दावे से पहले अधिवक्ता अजय प्रताप ने आगरा की जामा मस्जिद की सीढ़ियों के नीचे भगवान श्रीकृष्ण के विग्रह दबे होने का दावा किया था। इस मामले को लेकर भी कोर्ट में याचिका दायर की गई है, जिसकी सुनवाई चल रही है। वहीं, आगरा के ताज महल को लेकर भी हिंदू संगठन दावा करते आ रहे हैं। उनका कहना कि, “ताजमहल पूर्व में तेजो महालय रहा है।”
हिन्दू संगठनों की ये बड़ी मांग
हिन्दू संगठन की ओर से एडवोकेट अजय प्रताप ने आगरा के सिविल कोर्ट सीनियर डिवीजन में याचिका में दावा किया है कि, फतेहपुर सीकरी स्थित सलीम चिश्ती की दरगाह में मां कामाख्या का मंदिर और जामा मस्जिद में भगवान श्रीकृष्ण के विग्रह दबे है। हिन्दू संगठन की ओर से माता कामाख्या, आस्थान माता कामाख्या, आर्य संस्कृति संरक्षण ट्रस्ट, योगेश्वर श्रीकृष्ण सांस्कृतिक अनुसंधान संस्थान ट्रस्ट, क्षत्रिय शक्तिपीठ विकास ट्रस्ट हैं।
एक किताब का दिया गया हवाला
विदेशी अधिकारी ई. वी. हवेल ने अपनी पुस्तक में जामा मस्जिद की छत और पिलर को हिंदू डिजाइन के होने का लिखा है। अधिवक्ता अजय प्रताप ने कहा कि, आगरा के पूर्व ASI सुपरीटेंडेंट डॉ. डी. वी. शर्मा ने एक खुदाई वीर छवेली टीला के लिए की थी। खुदाई के दौरान उन्हें सरस्वती माता की मूर्ति और जैन मूर्तियां मिली थी। डॉ. डीवी शर्मा की किताब ‘आर्केलोजी ऑफ़ फतेहपुर सीकरी न्यू डिस्कवरी’ में लिखा है। किताब के पेज नंबर 86 पर साफ लिखा है कि, जामा मस्जिद हिंदू पिलर पर बनी हुई है।
तत्कालीन पुरातत्व विभाग के सुपरिंटेंडेंट डॉ. डीवी शर्मा ने ASI को एक RTI डाली थी। RTI में पूछा गया था कि, सलीम चिश्ती दरगाह और मस्जिद पर कोई रिसर्च की गई है या नहीं इस पर ASI ने कोई भी रिसर्च ना होने की बात कही थी। अधिवक्ता अजय प्रताप सिंह ने कहा कि, जब तक रिसर्च नहीं होगी तब तक कुछ भी कंफर्म नहीं कहा जा सकता है, लेकिन प्राप्त कागज़ों के अनुसार लगता है कि, यह अकबर से पहले का स्ट्रक्चर है।