ज्ञानवापी मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मुस्लिम पक्ष को बड़ा झटका दिया है। बता दें, सुपरमार्केट सूट को चुनौती देने वाली मुस्लिम पक्ष की सभी 5 याचिकाएं खारिज हो गई हैं। मामले में जस्टिस रोहित रंजन अग्रवाल के सिंगल बेंच ने यह फैसला सुनाया है।
काशी विश्वनाथ मंदिर और ज्ञानवापी मस्जिद का विवाद काफी हद तक अयोध्या विवाद से कुछ मिलता जुलता हैं। हालांकि, अयोध्या के मामले में मस्जिद बनी थी और इस मामले में मंदिर-मस्जिद दोनों ही बने हुए हैं। काशी विवाद में हिंदू पक्ष का कहना है कि 1669 में मुगल शासक औरंगजेब ने यहां काशी विश्वनाथ मंदिर को तोड़कर ज्ञानवापी मस्जिद बनाई थी। हिंदू पक्ष के दावे के मुताबिक, 1670 से वह इसे लेकर लड़ाई लड़ रहा है। हालांकि, मुस्लिम पक्ष का कहना है कि यहां मंदिर नहीं था और यहां शुरुआत से ही मस्जिद बनी थी।
जानकारी के लिए बता दें, 1991 के मुस्लिम पक्ष ने चुनौती देते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट में भर्ती कराई थी। हालाँकि अदालत ने इन आवेदनों को खारिज कर दिया है, लेकिन साल 1991 में वाराणसी की अदालत में यूपीआई सुन्नत सेंट्रल वक्फ बोर्ड और अंजुमनातेजामिया कमेटी ने वाराणसी की अदालत में यूपीआई सेंट्रल वक्फ बोर्ड और अंजुमनातेजामिया कमेटी ने इसे चुनौती दी थी।
इस केस में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 8 दिसंबर 2023 को सुनवाई पूरी होने के बाद अपना निर्णय सुरक्षित रखा था। केस में मुस्लिम पक्ष द्वारा गठित कुल 5 भर्तियां पर सुनवाई चल रही थी, जिसमें 3 पर्चियां ASI सर्वे ऑर्डर और 2 भर्तियां सिविल वाद की पोषणियता के खिलाफ थीं। इनमें से दो याचिकाओं में 1991 में वाराणसी की जिला अदालत में MA मूल वाद की पोषणीयता और 3 याचिकाओं में अदालत के परिसर के सर्वेक्षण आदेश को चुनौती दी गई थी।
हालाकि, इलाहाबाद हाई कोर्ट में प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 का हवाला देते हुए मुस्लिम पक्ष ने कहा कि ज्ञानवापी में इस कानून के तहत किसी भी तरह की कानूनी कार्रवाई नहीं की जा सकती है।
ज्ञानवापी मामले को लेकर उच्च न्यायालय में हुई सुनवाई पर वकील विजय शंकर रस्तोगी ने बताया कि, “मुस्लिम पक्ष की तरफ से जो याचिकाएं दाखिल की गई थी उन्हें खारिज कर दिया गया। उच्च न्यायालय ने निचली अदालत को 6 महीने के अंदर मामले में अंतिम फैसला सुनाने को कहा है और वजूखाने का सर्वे भी होगा”।
वाराणसी अदालत के समक्ष दायर मुकदमे में तर्क दिया गया है कि मस्जिद, मंदिर का हिस्सा है। अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी और यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने वाराणसी की अदालत में लंबित वाद के विरुद्ध हाई कोर्ट में अपील दायर की है, यह कहते हुए कि विवादित स्थल पूजास्थल अधिनियम से निषिद्ध है।