साल 2023 में भारत में हर दिन 52 maternal deaths हुई हैं। यूनाइटेड नेशंस की एक हालिया रिपोर्ट के अनुसार, पिछले साल भारत में लगभग 19,000 maternal deaths हुईं यानि हर दिन औसतन 52 महिलाएं। और ये आंकड़ा भारत को दुनिया में दूसरा सबसे ज्यादा maternal deaths दर्ज करने वाला देश बना देता है।
Maternal deaths का मतलब है प्रेग्नेंसी के दौरान, डिलेवरी के वक्त या उसके के कुछ ही समय बाद किसी महिला की मौत। इसका सीधा संबंध मेडिकल केयर , पोषण, और अवेयरनेस से होता है। पर सवाल सिर्फ ये नहीं है कि इतने महिलाओं की मृत्यु के पीछे आख़िर वजह क्या है। इतने अवेयरनेस कैंपेन, हेल्थ प्रोग्राम्स और टेक्नोलॉजीकल विकास के बावजूद, एक महिला का मां बनना आज भी उसकी जान लेने वाली घटना कैसे बनी हुई है?
इसके पीछे की कुछ वजहों की बात करें तो आज इतने विकास के बावजुद कई रिमोट एरिया में बेसिक हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर तक नहीं पहुंचा है। गांवों में एक छोटी सी डिस्पेंसरी होती है या फिर वो भी नहीं। कई जगह एम्बुलेंस तक नहीं पहुंचती समय पर, और डिलेवरी के समय महिलाओं को खेत, झोपड़ी या घर में ही बिना प्रॉपर मेडिकल सपोर्ट के डिलीवरी करनी पड़ती है। ऐसी जगहों पर नाजुक स्थिति का मतलब सीधा मौत ही होता है।
दूसरी वजह ये हो सकती है कि आज बहुत सी महिलाएं और उनके परिवार प्रेग्नेंसी को सीरियस ही नहीं लेते। रेगुलर चेक-अप को लगश् समझा जाता है। और कई बार तो complications को भ्रम मानकर नजरअंदाज़ कर दिया जाता है।
भारत में लगभग 50% महिलाएं Anemic होती हैं। प्रेग्नेंसी के समय आइरन, कैलसियम, और प्रोटीन की कमी से शरीर इतना कमजोर हो जाता है कि डिलेवरी का दर्द झेलना नामुमकिन सा हो जाता है।
इसके अलावा आज भी कई हिस्सों में लड़कियों की शादी 18 से पहले हो जाती है। नतीजा ये कि 16-17 साल की उम्र में ही प्रेग्नेंसी हो जाती है। उस उम्र में ना शरीर तैयार होता है, ना ही मानसिक रूप से कोई लड़की मां बनने के लिए तैयार होती है। एक और वजह असुरक्षित अबॉर्शन भी है। सामाजिक दवाब की वजह से कई बार महिलाएं झोलाछाप डॉक्टर्स से अबॉर्शन करवाती हैं, जो उनके लिए जानलेवा साबित हो जाता है।
कुछ डराने वाले आंकड़ों की तरफ देखें तो…WHO के मुताबिक ग्लोबली हर दिन लगभग 800 महिलाएं प्रेग्नेंसी से जुड़ी complications की वजह से मरती हैं।
भारत में Maternal Mortality Ratio 2023 में 103 था यानि हर 1 लाख डिलिवरी में 103 महिलाओं की मौत। केरल और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में ये ratio सबसे कम है, जबकि उत्तर प्रदेश, बिहार और मध्य प्रदेश में ये ratio सबसे ज़्यादा है।
किसी विकसित देश में अगर एक प्रेग्नेंट महिला की भी डेथ होती है, तो पूरे सिस्टम पर सवाल उठते हैं। लेकिन भारत में 52 deaths per day जैसे चिंता करने वाले मुद्दे पर भी बहुत ज्यादा बात नहीं होती।
हालांकि इस स्थिति को समय रहते बेहतर किया जा सकता है। हर गांव में प्राईमरी हेल्थ सेंटर और ट्रेन्ड नर्स होना बेहद जरूरी है। Anemia को लेकर अवेयरनेस बढ़ानी होगी।
सरकारी योजनाएं तो कई हैं लेकिन ग्राउंड लेवल पर उन पर कितना ध्यान दिया जा रहा है और कितना जरूरी है इस पर काम किया जाये तो इन आंकड़ों और स्थिति में एक बड़ा सुधार हो सकता है।