हिंदी मे एक कहावत हैं, ‘घर का शेर, बाहर का बिल्ली’। हरियाणा के चुनाव ने ये कहावत सच्चाई में बदल दी। केजरीवाल जो दिल्ली में शेर की तरह दहाड़ते हैं, हरियाणा में एकदम चुप हो गए।
हरियाणा चुनाव के नतीजे आ चुके हैं और आप पार्टी ने न केवल हार का स्वाद चखा, बल्कि पूरी की पूरी थाली ही गिरा दी। हां, वही पार्टी जिसने दिल्ली में मुफ्त बिजली-पानी देकर किला फतह किया, इस बार अपने ही ‘बॉस’ अरविंद केजरीवाल के होम स्टेट में एक भी सीट नहीं जीत पाई।
जैसे कि मैच शुरू हुआ, आप पार्टी ने सोचा था कि हरियाणा में भी दिल्ली वाला ‘जादू’ चल जाएगा। लेकिन हरियाणा के मतदाताओं ने जैसे कहा, “ऐ भाई, ज्यादा ताऊ ना बन ये दिल्ली ना हरियाणा से।”
दिल्ली एक्साइज पॉलिसी केस में जेल में बंद अरविंद केजरीवाल अपने गृह राज्य हरियाणा में वोटिंग से कुछ दिन पहले ही जेल से बाहर आए तो पार्टी को उम्मीदें थीं कि इस बार पार्टी किंगमेकर बनेगी। लेकिन ऐसा हो न सका। पार्टी 2 प्रतिशत वोट शेयर के आंकड़े तक को नहीं छूती दिख रही।
आम आदमी पार्टी हरियाणा को एक ऐसे राज्य के तौर पर देखती आई है जहां उसके लिए मौका हो सकता है। एक तो ये दिल्ली और पंजाब से सटा हुआ है जहां आम आदमी पार्टी की सरकारें हैं, और दूसरा ये कि हरियाणा आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल का गृह राज्य है। AAP इसी आत्मविश्वास के साथ कांग्रेस के साथ चुनाव पूर्व समझौते की कोशिश की लेकिन सीट शेयरिंग पर बात फंस गई।
कांग्रेस के सूत्र बताते हैं कि हरियाणा विधानसभा चुनाव में राहुल गांधी अंतिम वक्त चाहते थे कि आम आदमी पार्टी के साथ गठबंधन हो। लेकिन सूत्र बताते हैं कि भूपेंद्र सिंह हुड्डा और उनके बेटे दीपेंद्र सिंह हुड्डा के अति आत्मविश्वास के चलते यह गठबंधन नहीं हो सका। चुनाव के बीच में अरविंद केजरीवाल जब जेल से बाहर आए तो लगा कि कांग्रेस और आप का गठबंधन लगभग तय है, लेकिन हुड्डा इसके लिए तैयार नहीं हुए।
आम आदमी पार्टी ने भी ज्यादा इंतजार नहीं किया और अपने उम्मीदवारों की लिस्ट जारी करना शुरू कर दिया। हरियाणा की 90 में से 89 सीटों पर चुनाव लड़ी लेकिन इस बार भी खाता नहीं खोल पाई।
याद दिला दें कि मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के दौरान कमलनाथ अति आत्मविश्वास में दिखे थे। उन्होंने समाजवादी पार्टी को साथ लेने से मना कर दिया था और अखिलेश यादव के नाम पर बड़बोलेपन वाला बयान भी दे दिया था।
हरियाणा के विधानसभा चुनाव के रिजल्ट को देखकर यही लगता है कि भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने भी कमलनाथ वाली गलती की और कांग्रेस का एक और राज्य फतेह करने का सपना हवा हो गया है। तो, इस बार हरियाणा ने ‘आप’ पार्टी को न केवल नकारा, बल्कि ये भी बता दिया कि ‘हरियाणा वाले दिल से और दिमाग से वोट डालते हैं, मुफ्त की चीजों से नहीं!’