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हाइकोर्ट की दरियादिली… 83 साल की सजा वाले को रिहा किया

चोरी के 41 मामलों में 83 साल जेल की सजा पाने वाले पुणे के तीस वर्षीय मुलजिम को रिहा कर दिया है।

Last updated: जुलाई 25, 2023 6:25 अपराह्न
By Parikshit 2 वर्ष पहले
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4 Min Read
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मुंबई। हाइकोर्ट ने चोरी के 41 मामलों में 83 साल जेल की सजा पाने वाले पुणे के तीस वर्षीय मुलजिम को रिहा कर दिया है। कोर्ट का कहना है कि अगर इस मुलजिम पर सही समय में फैसला नहीं लिया गया, तो न्याय को नुकसान होगा।
अदालत ने अपने लिखित आदेश में कहा कि अगर उसे सही समय पर कानूनी मदद मिल जाती, तो 41 में से 38 मामलों में वो बरी हो जाता, क्योंकि वो गरीब है, वकील नहीं कर सकता, इसलिए सजा काटने के अलावा उसके पास कोई और जरिया नहीं।

कोर्ट से मिली माफी

बांबे हाइकोर्ट में असलम सलीम शेख के लिए बीते सोमवार को जो आदेश आया, उसमें पहली बार ऐसा हुआ कि किसी मुलजिम को इतनी दरियादिली दिखाते हुए माफी मिली। असलम को 3 मार्च, 2014 को गिरफ्तार किया गया था, तभी से वो पुणे की येरवडा जेल में है। उस पर पहली बार पुणे के शाहकर नगर में चोरी का केस दर्ज हुआ और गिरफ्तारी हुई। इसके बाद चालीस और मामलों में ग्यारह अलग-अलग थानों में उसकी गिरफ्तारी हुई। जब 41 मामलों में दोषी करार दे दिया गया, तो उसे छह महीने से तीन साल तक की सजा सुनाई गई, क्योंकि ट्रायल कोर्ट ने तय नहीं किया था कि सजाएं पिछली दोष सिद्धि के साथ चलेंगी।

नौ साल बाद खटखटाया दरवाजा

अपनी गिरफ्तारी के नौ साल बाद शेख ने 2022 में बांबे हाइकोर्ट का दरवाजा खटखटाया और याचिका में बताया कि वो अनपढ़ है। वकील करने के लिए पैसा नहीं है। जिन अपराधों के लिए उसे जेल भेजा गया था, वो उसने किए ही नहीं। हाइकोर्ट ने जांच में पाया कि 41 में से 38 मामलों में तो उसे कानूनी मदद ही नहीं मिली। सबूत इतने कमजोर थे कि निचले स्तर पर ही जमानत हो जाती। न्यायमूर्ति रेवती मोहिते और गौरी गोड़से की अदालत में शेख के मामले की सुनवाई 17 जुलाई को हुई। फैसले में कहा गया कि बड़ी अदालत न्याय करने के लिए मौजूद है, लेकिन ऐसे मामले पहले निचली अदालत में सुन लेने चाहिए। वहां से दी गई सजा पर दोबारा विचार होना चाहिए था। सजा का लक्ष्य सिर्फ अपराधी को जेल में डालना नहीं है, बल्कि सुधार के उद्देश्य से होता है। असलम के केस में जो हुआ, उससे उसका मनोबल टूट गया, जबकि इस केस में सुधार की गुंजाइश थी। हाइकोर्ट ने कहा कि यदि असलम को लगातार सभी मामलों में सजा भुगतना पड़ी, तो उसे 83 साल जेल में रहना पड़ेगा। वो तो जुर्माना भरने की हालत में भी नहीं है। इसके चलते दस साल और जेल बढ़ जाएगी। कुल 93 साल की सजा ऐसे मामलों में देना सही नहीं है। ये तो किसी हत्या या उम्र कैद से भी ज्यादा है।

गिरफ्तारी के वक्त 21 साल उम्र

जब असलम की गिरफ्तारी हुई थी, वह महज 21 साल का था। जिस उम्र में वो अपने परिवार के लिए कुछ कर सकता था, वो तो जेल में कट गई। पुलिस और न्याय व्यवस्था को थोड़ा संवेदनशील बनाना होगा।

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TAGGED: Aslam Salim Sheikh, Gauri Godse, highcourt, judicial system, lawyer, Maharashtra, mumbai, mumbaihighcourt, pune, Revati Mohite, Shahkar Nagar, theft
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