जाने-माने लेखक जावेद अख्तर अपनी लिखी हुई फिल्मों गानों के अलावा, हमेशा अपने बयानों के लिए भी सुर्खियों में रहते है। इस बार जावेद अख्तर ने एनिमल फिल्म को निशाना बनाया हैं। पिछले दिनों, जावेद अख्तर ने फिल्म में दिखाई गए महिलाओं के खिलाफ हिंसा की बहुत निन्दा की हैं।
उन्होंने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान, ऐसी फिल्मों की तरफ इशारा करते हुए कहा था कि, ” यकीन मानिए आज के युवा फिल्म निर्माताओं से ज़्यादा दर्शकों के लिए यह परीक्षा की घड़ी है, कि वे किस तरह के किरदार देखना चाहते हैं। उदाहरण के लिए, यदि कोई ऐसी फिल्म है जिसमें कोई पुरुष किसी महिला से अपने जूते चाटने के लिए कहता है या यदि कोई पुरुष कहता है कि महिला को थप्पड़ मारना ठीक है, और यदि फिल्म सुपर डुपर हिट है, तो यह बहुत खतरनाक है।”
वहीं जावेद अख्तर का यह अप्रत्यक्ष ताना , फिल्म के निर्माता संदीप रेड्डी वांगा और टीम को पसंद नहीं आया। फिल्म के आधिकारिक हैंडल ने जवाब देते हुए X पर लिखा कि, “अगर आपके स्तर का लेखक एक प्रेमी के विश्वासघात को नहीं समझ सकता (जोया और रणविजय के बीच) तो आपकी सभी कलाएं बहुत झूठी हैं (उल्टा चेहरा इमोजी) और यदि एक महिला (प्यार के नाम पर एक पुरुष द्वारा धोखा दी गई और मूर्ख बनाई गई) ने कहा होता “मेरे जूते चाटो” तो आप लोग इसे नारीवाद कहकर जश्न मना रहे होते। प्यार को लिंग की राजनीति से मुक्त होने दें। चलो बस उन्हें प्रेमी कहें। प्रेमी ने धोखा दिया और झूठ बोला। प्रेमी ने कहा मेरा जूता चाटो। पीरियड।”
जावेद अख्तर और एनिमल की टीम के इस मौखिक लड़ाई में, फैंस भी अपने अपने मत रख रहे हैं। जहां फिल्म और संदीप के फैंस, संदीप के अपने हिसाब से प्यार की व्याख्या दिखाने के अधिकारों का बचाव कर रहे हैं, तो वहीं जावेद अख्तर के फैंस एक अनुभवी गीतकार और फिल्म लेखक के खिलाफ शब्दों के खराब चयन से नाराज हैं। जावेद अख्तर की तरफदारी करते हुए एक समर्थक ने लिखा है कि, “आप सभी खुद को अल्फ़ा पुरुष कहते हैं और हर कुछ दिनों में किसी न किसी की टिप्पणियों से प्रभावित होते हैं।”, वहीं एक और समर्थक ने लिखा है कि, “अगर हर आलोचना का जवाब देना पड़ रहा है तो आप जानते हैं कि आपने एक समस्याग्रस्त फिल्म बनाई है।”
ऐसा पहली बार नहीं हुआ है, जब संदीप को अपनी बनाई गई फिल्मों में महिलाओं के साथ के दिखाई गई हिंसा और बद्तमीजी के सुनना पड़ रहा हैं। उन्हें कबीर सिंह और अर्जुन रेड्डी जैसी फिल्मों के लिए भी आलोचना झेलनी पड़ी थी। इतनी निन्दा के बावजूद संदीप ने अपनी फिल्मों कुछ भी बदलाव नहीं दिखाए हैं।