इंदौर : हुकमचंद मिल के पांच हजार से ज्यादा मजदूरों और उनके परिवारों के लिए खुशखबरी है कि हाइकोर्ट ने सरकार को तीन दिन के भीतर क्लेम का पैसा जमा कराने का आदेश दिया है। हाइकोर्ट, मजदूरों को पैसा देने के लिए पहले ही आदेश कर चुकी थी। सरकार ने चुनाव आचार संहिता की मजबूरी बताकर कहा था कि चुनाव आयोग से मंजूरी लेना होगी। मंजूरी लेने के लिए पत्र लिखने में हुई देरी के कारण प्रमुख सचिव नीरज मंडलोई पर अदालत नाराज भी हुई और यह भी कहा कि उनके खिलाफ क्यों न अवमानना का मामला चलाया जाए। इस बीच कल ही चुनाव आयोग ने एनओसी दे दी और आज ही तारीख भी लग गई। मजदूर नेता हरनामसिंह धालीवाल और नरेंद्र श्रीवंश ने बताया कि हाइकोर्ट ने हाउसिंग बोर्ड को साफ तौर पर कह दिया कि तीन दिन के भीतर एसबीआई के खाते में पैसा जमा कर दो। जैसे ही पैसा जमा होता है, मजदूरों को बांटने के लिए हमने तैयारी कर रखी है।
218 करोड़ रु आएंगे
करीब 218 करोड़ रुपए मजदूरों के खाते में आएंगे। इसमें पचास फीसद पैसा ब्याज का भी है। मजदूर तो खैर दीवाली से पहले ही उम्मीद लगाए थे, लेकिन अब जाकर बात बनी है। तीस साल पहले मिल जब बंद हुआ था तब साढ़े पांच हजार से ज्यादा मजदूर काम कर रहे थे। इनमें से तमाम मजदूर हक के पैसे का इंतजार करते-करते मर गए।
पांच हजार से ज्यादा मजदूर
हुकमचंद मिल के 5895 मजदूर 12 दिसंबर 1991 को मिल बंद होने के बाद से अपने हक के लिए भटक रहे हैं। करीब 16 वर्ष पहले हाई कोर्ट ने मजदूरों के पक्ष में 229 करोड़ रुपये मुआवजा तय किया था। इसका भुगतान मिल की जमीन बेचकर किया जाना है, लेकिन वर्षों तक जमीन के स्वामित्व को लेकर नगर निगम और शासन के बीच विवाद चलता रहा। बाद में जमीन बेचने के प्रयास हुए लेकिन बार-बार निविदाएं आमंत्रित करने के बावजूद जमीन बेचने में सफलता नहीं मिली। इसके बाद मिल के हजारों मजदूरों को बकाया भुगतान मिलने की संभावनाएं क्षीर्ण हो गई थीं, लेकिन नगर निगम और मप्र गृह निर्माण मंडल के बीच हुए समझोते के बाद बकाया मिलने की उम्मींदें एक बार फिर जागी। इस समझोते के मुताबिक मिल की जमीन पर गृह निर्माण मंडल और नगर निगम को संयुक्त रूप से आवासीय और व्यवसायिक काम्प्लेक्स का निर्माण करना है।