इज़राइल और गाज़ा के बीच हालिया संघर्ष ने मध्य पूर्व में तनाव को और बढ़ा दिया है। इजरायल की ओर से गाजा में लगातार अटैक किए जा रहे हैं। अब इजरायली सेना ने दक्षिणी गाजा के सबसे बड़े अस्पताल हमला किया है। इजरायल की ओर से किए गए इस हमले में एक शख्स की मौत हो गई है और कई अन्य लोग घायल हुए हैं। गाजा के स्वास्थ्य मंत्रालय जानकारी देते हुए बताया कि इजरायल की तरफ से किए गए हमलों के बाद अस्पताल में भीषण आग लग गई।
इज़राइली हवाई हमले में गाज़ा के खान यूनिस स्थित नासिर अस्पताल में हमास के वरिष्ठ नेता इस्माइल बरहूम और उनके एक सहयोगी की मौत हुई। बरहूम हमास के वित्त प्रमुख थे और उनकी मृत्यु से संगठन को बड़ा झटका लगा है। इज़राइल डिफेंस फोर्सेज (IDF) के प्रवक्ता लेफ्टिनेंट कर्नल नदाव शोषानी ने कहा कि बरहूम अस्पताल में “आतंकी गतिविधियों” को अंजाम देने के लिए हफ्तों से मौजूद थे।
इस घटना के बाद से इज़राइल और हमास के बीच हिंसा में तेजी आई है। इज़राइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने कहा कि गाज़ा पर हवाई हमले सिर्फ शुरुआत हैं और भविष्य में हमास के साथ सभी वार्ताएं गोलीबारी के बीच होंगी। लगभग दो महीने तक चले युद्धविराम के बाद यह संघर्ष फिर से भड़क उठा है।
इजरायल आम नागरिकों की मौत के लिए हमास को दोषी ठहराता है। उसका कहना है कि हमास के आतंकवादी घनी आबादी वाले इलाकों में काम करते हैं जिसके कारण हमलों में आम नागरिकों की मौत होती है। इससे पहले, गाजा के स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया था कि इजरायल-हमास जंग में 50,000 से अधिक फलस्तीनी मारे गए हैं। मंत्रालय ने बताया कि युद्ध में अब तक 1,13,000 से अधिक लोग घायल हुए हैं। इनमें वो 673 मृतक भी शामिल हैं जो पिछले सप्ताह युद्ध विराम समाप्त होने के बाद इजरायल की तरफ से किए गए हवाई हमलों में मारे गए हैं। मृतकों में 15,613 बच्चे शामिल हैं, जिनमें से 872 की उम्र एक वर्ष से कम थी।
इस संघर्ष का प्रभाव खाड़ी देशों पर भी पड़ा है। ईरान और इज़राइल के बीच बढ़ते तनाव ने क्षेत्रीय स्थिरता को खतरे में डाल दिया है। ईरान समर्थित हिज़बुल्लाह ने भी इज़राइल के खिलाफ हमले तेज कर दिए हैं, जिससे लेबनान और इज़राइल के बीच तनाव बढ़ गया है। सऊदी अरब, कुवैत, ओमान, और संयुक्त अरब अमीरात जैसे खाड़ी सहयोग परिषद (GCC) के सदस्य देश इस स्थिति पर नजर बनाए हुए हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि यह संघर्ष बढ़ता है, तो यह एक व्यापक क्षेत्रीय युद्ध में बदल सकता है, जिसका सीधा असर अंतरराष्ट्रीय तेल बाजार पर पड़ेगा।
भविष्य की संभावनाओं की बात करें तो स्थिति गंभीर बनी हुई है। यदि कूटनीतिक प्रयास सफल नहीं होते हैं, तो क्षेत्र में व्यापक सैन्य संघर्ष की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता। अंतरराष्ट्रीय समुदाय को इस संकट के समाधान के लिए सक्रिय भूमिका निभानी होगी ताकि मध्य पूर्व में शांति और स्थिरता स्थापित हो सके।
इस बीच, भारतीय नौसेना ने भी खाड़ी क्षेत्र में अपने युद्धपोत और विमानों की तैनाती की है ताकि किसी भी आकस्मिक संकट का जवाब दिया जा सके। भारतीय नौसेना ने कहा है कि वे क्षेत्र की स्थिति पर लगातार नजर रखे हुए हैं और देश के समुद्री हितों की रक्षा के लिए पूरी तरह तैयार हैं।
कुल मिलाकर, इज़राइल और गाज़ा के बीच बढ़ता तनाव और खाड़ी देशों में उभरती अस्थिरता एक गंभीर चुनौती प्रस्तुत करती है, जिसका समाधान अंतरराष्ट्रीय सहयोग और कूटनीति के माध्यम से ही संभव है।