“विश्व युद्ध अधर में था. जर्मनी दिन पर दिन बढ़त बनाता जा रहा था और जापान ने भी अमेरिका के लिए मुश्किलें बढ़ा दी थीं। ज़रूरी था कि मैनहैटन प्रोजेक्ट को पूरी स्पीड से आगे बढ़ाया जाए।”
21 जुलाई 2023 को फिल्म ओपेनहाइमर रिलीज होने वाली जो इस विश्व की सबसे ताकतवर हथियार को बनाने वाले व्यक्ती के जीवन पर आधारित है। व्यक्ती का नाम है रॉबर्ट. जे ओपेनहाइमर जिसे काम दिया गया था परमाणु बम बनाने का। परमाणु बम साल 1945 तक बनकर तैयार हो गया। अब बारी थी इसके परीक्षण की। तारीख तय की गई 16 जुलाई 1945। उस दिन ओपेनहाइमर सुबह से अपने बंकर में उस पल का इंतज़ार कर रहे थे, जो दुनिया को बदलने वाला था। उनके चेहरे पर घबराहट और थकावट, दोनों भाव नज़र आ रहे थे। उन्हें रात में बमुश्किल नींद आई थी। चिंता और धूम्रपान वाली खांसी की वजह से वह रात भर जागते रहे। जैसे-जैसे परमाणु परीक्षण की घड़ी नजदीक आ रही थी, ओपनहाइमर के चेहरे पर तनाव बढ़ता जा रहा था। ऐसा लग रहा था कि किसी जुआरी ने आखिरी बाजी में अपना धन-दौलत, परिवार – सब कुछ दांव पर लगा दिया हो। सांस भी बमुश्किल ले पा रहे थे ओपेनहाइमर। शायद उनके मन में चल रहा था कि अगर यह परीक्षण सफल ना हुआ, तो उसका अंजाम क्या होगा? लेकिन, जब विस्फोट हुआ, तो उसकी चमक सूर्य से अधिक हो गई। 21 किलोटन टीएनटी के बराबर बल के साथ, यह अब तक देखा गया सबसे बड़ा विस्फोट था। इसने एक झटका पैदा किया, जो 160 किमी दूर तक महसूस किया गया। विस्फोट से मशरूम जैसा धुंआ उठा और आकाश में छा गया।
परमाणु बम के पहले विस्फोट पर बोलते हुए, ओपेनहाइमर ने भगवद गीता का हवाला दिया। उन्होंने कहा, “विष्णु (कृष्ण) राजकुमार अर्जुन को समझाने की कोशिश कर रहे हैं कि उसे अपना कर्तव्य करना चाहिए और उसे प्रभावित करने के लिए [वह] अपना बहु-सशस्त्र रूप धारण करते हैं और कहते हैं, ‘अब, मैं मृत्यु बन गया हूं, दुनिया का विनाशक।’
उसके बाद ये सिलसिला नही रुका परमाणु बम के परीक्षण चलते रहे इसके बाद तत्कालीन सोवियत संघ ने 1949 में अपने पहले परमाणु बम का परीक्षण किया और फिर ब्रिटेन ने 1952 में, फ्रांसीसियों ने 1960 में परमाणु बम की आजमाईश की और चीनियों ने परमाणु बम का 1964 में परीक्षण कर लिया। हर बीतते समय के साथ परमाणु बमों और भी ज्यादा पावरफुल होता गया और इसके परिणाम और भी ज्यादा विनाशकारी होते चले गए।