गुरु गोविंद सिंह सिख धर्म के दसवें गुरु थे। गुरु गोविंद सिंह का जन्म सिख धर्म में बहुत महत्वपूर्ण दिन माना जाता है। उन्हे 9 साल की उम्र में सिखों के रूप में स्थापित किया गया था। गुरु गोविंद सिंह के पिता गुरु तेग बहादुर थे जिनको औरंगजेब द्वारा मारा दिया गया था। गुरु गोविंद सिंह की माता का नाम माता गुजरी था। 17 अक्टूबर सन् 1708 को गुरु गोविंद सिंह ने नांदेड साहिब में प्राण त्याग दिए।
गुरु गोविंद सिंह जयंती का महत्व
गुरु गोविंद सिंह जी एक महान योद्धा थे। वह कविता और दर्शन और लिखने के प्रति अपने झुकाव के लिए जाने जाते थे। उनके दर्शन, लेखन और कविता आज भी लोगों को प्रेरित करती हैं। उन्होंने मुगल आक्रमणकारियों को जवाब देने से इनकार किया, और अपने लोगों की रक्षा के लिए खालसा के साथ लड़ाई लड़ी। उनके मार्गदर्शन में उनके साथियों ने एक सख्त संहिता का पालन किया। गुरु गोविंद सिंह जयंती मनाने के लिए दुनिया भर के सिख गुरुद्वारों में जाते हैं, जहां गुरु गोविंद सिंह जी के सम्मान में प्रार्थना होती हैं। लोग गुरुद्वारों द्वारा आयोजित जुलूसों में भाग लेते हैं, कीर्तन करते हैं।
पटना में हुआ था जन्म
गुरु गोविंद सिंह जी सिखों के 10 वें गुरु थे। गुरु गोविंद सिंह का जन्म नौवें सिख गुरु के घर पटना के साहिब में पौष शुक्ल सप्तमी यानि की 22 दिसंबर 1666 को हुआ था। उनके बचपन का नाम गोविंद राय था। 1670 में गुरु गोविंद सिंह का परिवार पंजाब में आ गया। गुरु गोविंद सिंह जी एक महान योद्धा, कवि, भक्त एवं आध्यात्मिक नेता थे। सन 1699 बैसाखी के दिन गुरु गोविंद सिंह ने खालसा पंथ की स्थापना की थी यह दिन सिखों के इतिहास का सबसे महत्वपूर्ण दिन माना जाता है। कहा जाता है कि गुरु गोविंद सिंह जी ने अपना पूरा जीवन लोगों की सेवा और सच्चाई की राह पर चलते हुए ही गुजार दी थी। गुरु गोविंद सिंह का उदाहरण और शिक्षाएं आज भी लोगों को प्रेरित करती है।
गुरु गोविंद सिंह जी के प्रमुख कार्य
गुरुव गोविंद साहब जी ने ही सिखों के नाम के आगे सिंह लगाने की परंपरा शुरू की थी, जो आज भी सिख धर्म के लोगों द्वारा चलाई जा रही है। गुरु गोविंद सिंह जी ने कई बड़े सिख गुरुओं के महान उपदेशों को सिखों के पवित्र ग्रंथ, गुरु ग्रंथ साहिब में संकलित कर इसे पूरा किया था। वाहेगुरु, गुरु गोविंद सिंह जी ने ही गुरुओं के उत्तराधिकारियों की परंपरा को खत्म किया। सिख धर्म के लोगों के लिए गुरु ग्रंथ साहिब को सबसे पवित्र एवं गुरु का प्रतीक बनाया है।
खालसा पंथ की स्थापना
गुरु गोविंद जी ने साल 1669 में मुगल बादशाहों के खिलाफ विरोध करने के लिए खालसा पंथ की स्थापना की थी। सिख साहित्य में गुरु गोविंद सिंह जी के महान विचारों द्वारा की गई “चंडी दीवार” नामक साहित्य की रचना खास महत्व रखती है।
गुरु गोविंद सिंह की रचनाएं और शब्द
गुरु गोविंद सिंह जी ने न सिर्फ अपने महान उपदेशों के द्वारा लोगों को सही मार्गदर्शन दिया, बल्कि उन्होंने समाज में हो रहे अत्याचारों और अपराधों के खिलाफ भी विरोध किया।
- असहाय लोगों पर अपनी तलवार या शाक्ति का प्रदर्शन कभी नहीं करना चाहिए। वरना विधाता तुम्हारा खून स्वयं बहाएगा।
- मनुष्य से प्रेम करना ही ईश्वर के प्रति सच्ची भक्ति है।
- ईश्वर ने मनुष्य को जन्म इसलिए ही दिया है, ताकि वह अच्छे और बुरे कर्मों की पहचान कर सके।
- मनुष्य को अपनी कमाई का दसवां हिस्सा हमेशा दान करना चाहिए।