17 नंवबर यानि कल से छठ पूजा की शुरुआत होने जारही है। छठ पूजा हमारे देश के मुख्य त्योहारों में से एक है। इस त्योहार पर छठी माता और सूर्य देव की पूजा-उपासना की जाती है। आपको बता दे कि छठ का पर्व कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि पर नहाय खाय से शुरू होता है। पंचमी को खरना, षष्ठी को डूबते सूर्य को अर्घ्य और सप्तमी को उगते सूर्य को जल अर्पित कर व्रत समाप्त किया जाता है। चार दिन चलने वाले इस पर्व में सूर्य और छठी मैय्या की पूजा की जाती है। इस दिन रखा जाने वाला व्रत बहुत कठिन होता है,क्योंकि इस व्रत को करने के लिए 36 घंटों तक नियमों के पालन के साथ किया जाता है।
कैसे और कब हुई छठ पूजा की शुरुआत
आपको बता दे कि पौराणिक कथाओं में बताया गया कि सतयुग में भगवान श्रीराम, द्वापर में दानवीर कर्ण और पांच पांडवों की पत्नी द्रौपदी ने सूर्य की उपासना की थी। साथ ही राजा प्रियवंद की अपनी कोई संतान नहीं थी। जिसके बारे में राजा प्रियवंद ने महर्षि कश्यप से इसके बारे में बात की और तब महर्षि कश्यप ने संतान प्राप्ति के लिए पुत्रेष्टि यज्ञ कराया। उस दौरान यज्ञ में आहुति के लिए बनाई गई खीर राजा प्रियवंद की पत्नी मालिनी को खाने के लिए दी गई। जिस खीर के खाने से रानी मालिनी ने एक पुत्र को जन्म दिया, लेकिन वह मृत पैदा हुआ था। जसीके बाद ब्रह्मा की मानस पुत्री देवसेना प्रकट हुईं। और उन्होंने राजा प्रियवंद से कहा, मैं सृष्टि की मूल प्रवृत्ति के छठे अंश से उत्पन्न हुई हूं, इसलिए मेरा नाम षष्ठी भी है। तुम मेरी पूजा करो और ज्यादा से ज्यादा लोगों को इस व्रत के बारे में बताओ। राजा प्रियवंद ने पुत्र की कामना से माता का व्रत विधि विधान से किया जिसके फलस्वरुप राजा प्रियवद को एक पुत्र प्राप्त हुआ। जिसके बाद से छठ पूजा की शुरुआत हुई।
आइए जानते है इन 4 दिन के महापर्व के बारे में
छठ पूजा का पहला दिन
छठ पूजा का यह महापर्व चार दिन तक चलता है इसके पहले दिन के पर्व की शुरुआत नहाय-खाय से होती है। आपको बता दे कि इस साल नहाय-खाय 17 नवंबर को है। इस दिन सूर्योदय 06:45 बजे होगा और सूर्यास्त शाम 05:27 बजे होगा। छठ पूजा की नहाय खाय परंपरा में नदी में स्नान किया जाता है और नए वस्त्र और शाकाहारी भोजन करते हैं।
खरना छठ पूजा का दूसरा दिन
खरना छठ पूजा का दूसरा दिन होता है। जो 18 नवंबर को है। इस दिन का सूर्योदय सुबह 06:46 बजे और सूर्यास्त शाम 05:26 बजे होगा। खरना के दिन एक समय मीठा भोजन करते हैं। इस दिन गु़ड़ से बनी चावल की खीर खाई जाती है। इस प्रसाद को मिट्टी के नए चूल्हे पर आम की लकड़ी से आग जलाकर बनाया जाता है। इस दिन नमक नहीं खाया जाता है।
तीसरे दिन संध्या अर्घ्य का समय
छठ पूजा का तीसरा दिन सबसे महत्वपूर्ण होता है। इस दिन संध्या अर्घ्य का होता है। इस दिन महिलाए घाट पर आकर डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य देती हैं। इस साल छठ पूजा का संध्या अर्घ्य 19 नवंबर को दिया जाएगा। 19 नवंबर को सूर्यास्त शाम 05:26 बजे होगा। इस दिन टोकरी में फलों, ठेकुआ, चावल के लड्डू आदि अर्घ्य के सूप को सजाया जाता है।
चौथे दिन उगते सूर्य को अर्घ्य
चौथा दिन यानी छठ पूजा का आखरी दिन होता है। इस साल 20 नवंबर को उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा। इस दिन सूर्योदय सुबह 06:47 बजे होगा। इसके बाद ही 36 घंटे का व्रत समाप्त होता है। अर्घ्य देने के बाद महिलाए प्रसाद लेकआर करके व्रत खोल सकती है।