पिछले सवा महीने से पूरे लद्दाख में विरोध प्रदर्शन चल रहा है। इस प्रदर्शन में सामाजिक कार्यकर्ता, शिक्षक और पर्यावरणविद् “सोनम वांगचुक” अहम भूमिका में दिखाई दे रहे हैं। पिछले कुछ दिनों से सोनम के भूख हड़ताल के वीडियो सामने आ रहे हैं। जिसमें वह और लद्दाख की जनता लद्दाख की गला देने वाली ठंड के बीच में अनशन में बैठे नजर आ रहे हैं। लेकिन क्या है इस हड़ताल के पीछे का कारण? दरअसल, लद्दाख की कुछ मांगे है जिन्हें मनवाने के लिए लद्दाख में यह प्रदर्शन चल रहा है।
क्या है मांगे?
सोनम और लद्दाखवासियों की सरकार से मांग हैं कि, लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश से हटाकर एक पूर्ण राज्य का दर्जा दिया जाए। ताकि लद्दाख को स्वायत्तता, विधायी शक्ति और सुरक्षा मिल सके। इसके अलावा उनकी मांग है कि, लद्दाख में 6वीं अनुसूची लागू की जाए। 6वीं अनुसूची लागू होने के बाद लद्दाख स्वतंत्र होकर राज्य की जरूरतों के मुताबिक नियम बना सकेगा। इसके अंतर्गत लद्दाख को भूमि, जंगल, नहर का पानी, स्थानांतरित खेती, ग्राम प्रशासन, संपत्ति की विरासत, विवाह और तलाक, सामाजिक रीति-रिवाज जैसे आदि मामलों में नियम बनाने की स्वतंत्रता मिलेगी। जिससे लद्दाख की संस्कृति, पहचान और भूमि अधिकारों की रक्षा होगी। इसके अलावा इस प्रदर्शन में स्थानीय लोगों के लिए नौकरी में आरक्षण, लेह और कारगिल के लिए सेपरेट संसदीय सीटें और पर्यावरण की सुरक्षा जैसी मांगे भी शामिल हैं।
सरकार की प्रतिक्रिया
इस प्रदर्शन के बीच सोनम की सरकार से दो बार बातचीत हुई है। लेकिन उन्हें उन दोनों बैठक में निराशा ही प्राप्त हुई। बातचीत की एक बैठक में ग्रह मंत्री अमित शाह ने नौकरी और पर्यावरण जैसी समस्याओं के लिए लद्दाख में 6वीं अनुसूची लागू करने की बात मान ली थी। लेकिन उन्होंने सुरक्षा उद्देश्यों को देखते हुए, लद्दाख को राज्य का दर्जा देने से स्पष्ट रूप से इनकार कर दिया था।
क्या है लद्दाख में अभी की स्थिति?
लद्दाख और सोनम अभी भी विरोध प्रदर्शन में लगे हुए हैं। लद्दाख में प्रदर्शन हिंसा या आक्रामकता से नहीं बल्कि भूख हड़ताल से हो रहा है। सोनम 21 दिनों के भूख हड़ताल (आमरण अनशन) पर बैठे हुए हैं। सोनम ने जलवायु को बचाने के लिए इस अनशन का नाम “climate fast” रखा है। इस अनशन में लद्दाख की जनता भी सोनम का साथ दे रही है। आज इस हड़ताल में लद्दाख विश्वविद्यालय के 195 छात्र भी शामिल हो गए हैं। आज इस हड़ताल का 8वां दिन है, लेकिन अभी तक लद्दाख को सरकार की ओर से कोई प्रतिक्रिया प्राप्त नहीं हुई है।
देश के कुछ बड़े नेता द्वारका में डुबकी लगाते और असम में सफारी करते तो नजर आ रहे हैं, लेकिन लद्दाखवासियों से इस विषय में बातचीत करते हुए कब नजर आएंगे यह एक बड़ा सवाल है।