मध्य प्रदेश विधानसभा में लगी पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की तस्वीर को लेकर अब विवाद खड़ा हो गया है। दरअसल, मध्य प्रदेश विधानसभा में सन् 1996 से स्पीकर की सीट के एक तरफ राष्ट्र निर्माता महात्मा गांधी और दूसरी तरफ पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू की तस्वीर लगी हुई थी। लेकिन अब पूर्व प्रधानमंत्री नेहरू की तस्वीर हटाकर डॉ.भीमराव अंबेडकर की तस्वीर लगा दी गई। इसे लेकर 18 दिसंबर को शुरू हुए शीतकालीन सत्र के पहले दिन ही विवाद खड़ा हो गया है। इस बदलाव पर कॉंग्रेस सरकार ने बीजेपी सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि,इतिहास बदलने की कोशिश की जा रही है। इतना ही नहीं बल्कि देश के पहले प्रधानमंत्री का अपमान किया गया है। कॉंग्रेस सरकार ने विधानसभा में लगी डॉ. बीआर अंबेडकर की तस्वीर की निंदा करते हुए चेतावनी दी कि विधानसभा में नेहरू की तस्वीर उसी जगह वापस लगाई जाए जहां पहले लगी थी नहीं तो कांग्रेस के विधायक खुद वापस तस्वीर लगाएंगे।
कांग्रेस ने कहा है कि मध्य प्रदेश विधानसभा में संविधान निर्माता डॉक्टर भीमराव अंबेडकर जी की तस्वीर लगाने का हम स्वागत करते हैं। लेकिन राष्ट्र निर्माता पंडित जवाहरलाल नेहरू जी की तस्वीर हटाने का हम विरोध और कड़े शब्दों में इसकी निंदा भी करते हैं। अगर भाजपा सरकार की नीयत साफ होती तो राष्ट्रपिता महात्मा गांधी और राष्ट्र निर्माता पंडित जवाहरलाल नेहरू के साथ ही संविधान निर्माता डॉक्टर भीमराव अंबेडकर की तस्वीर लगाई जा सकती थी। लेकिन ऐसा नहीं किया गया।
कांग्रेस विधायक राजेंद्र भारती ने कहा, नेहरू और अंबेडकर दोनों सर्वोच्च नेता हैं, उनकी तस्वीरें विधानसभा में लगाई जानी चाहिए थी। जवाहरलाल नेहरू की तस्वीर हटाना गलत है। जिस तरह से भारतीय जनता पार्टी अभी सोच रही है, उससे तो यही लगता है कि आने वाले समय में दोनों महापुरुषों की तस्वीरें हटा देंगी और उनकी जगह नाथूराम गोडसे की तस्वीर लगा देंगी।
आपको बता दे की इस पूरे मामले में भाजपा सरकार का कहना है कि कांग्रेस सरकार बाबा साहेब अंबेडकर केप् प्रति विरोधी मानसिकता रखती है। कांग्रेस सरकार बाबा साहेब अंबेडकर का विरोध कर रही है। एक भाजपा विधायक ने कहा कि कांग्रेस को अंबेडकर जी की तस्वीर से आखिर आपत्ति क्या है? संविधान कहता है कि संविधान के निर्माता बाबा साहेब अंबेडकर की तस्वीर सदन में लगनी चाहिए। यही वजह है कि तस्वीर लगाई गई है।