28 फरवरी 2025 को भारतीय शेयर बाजार में भारी गिरावट दर्ज की गई है। इससे निवेशकों को बड़ा नुकसान हुआ है। सेंसेक्स में लगभग 1,000 अंकों की गिरावट आई, जबकि निफ्टी 22,250 के नीचे पहुंच गया।
बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज का सेंसेक्स गिरावट के साथ ही खुला। कुछ ही देर में यह 74,201 के आंकड़े से 73,542 पर आ गया। इस गिरावट के साथ निफ्टी ने 28 साल का रिकॉर्ड तोड़ दिया है। फरवरी लगातार पांचवा महीना है, जो निफ्टी में गिरावट के साथ बंद होने की कगार पर है।
इस गिरावट के पीछे कई प्रमुख कारण है आइये समझने की कोशिश करते हैं।
- अमेरिकी टैरिफ नीतियों का प्रभाव : अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कनाडा और मैक्सिको से आयातित वस्तुओं पर 25% शुल्क लगाने की घोषणा की, जो 4 मार्च से प्रभावी होगा। इसके अलावा, चीन से आयातित वस्तुओं पर भी 10% अतिरिक्त शुल्क प्रस्तावित किया गया है। इन नीतियों ने वैश्विक व्यापार युद्ध की आशंका बढ़ा दी है, जिससे निवेशकों में चिंता बढ़ी है।
- वैश्विक आर्थिक मंदी की चिंताएँ : अमेरिका में बेरोजगारी दर में अप्रत्याशित वृद्धि और मुद्रास्फीति की बढ़ती दर ने वैश्विक आर्थिक मंदी की आशंकाओं को बढ़ाया है। इसका सीधा असर भारतीय बाजार पर भी पड़ा है।
- विदेशी निवेशकों की लगातार trading: वर्ष 2025 की शुरुआत से ही विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) ने भारतीय बाजार से लगभग 1.1 ट्रिलियन रुपये की निकासी की है। यह धनराशि चीन जैसे अन्य उभरते बाजारों में निवेश की जा रही है, जहां वैल्यूएशन सस्ती हैं।
- आईटी और वित्तीय सेक्टर पर दबाव : अमेरिकी बाजार में मंदी और टैरिफ नीतियों के कारण भारतीय आईटी कंपनियों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है। इसके साथ ही, वित्तीय सेक्टर में भी trading देखी गई, जिससे बाजार में और गिरावट आई है।
- बढ़ती महंगाई और डॉलर की मजबूती : अमेरिका में बढ़ती महंगाई और डॉलर के मजबूत होने से उभरते बाजारों से पूंजी का बहिर्वाह हो रहा है। निवेशक सुरक्षित संपत्तियों की ओर रुख कर रहे हैं, जिससे भारतीय बाजार पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है।
- GDP डेटा से पहले घबराहट धीमी आर्थिक वृद्धि, कमजोर होती आय गति, ट्रम्प की टैरिफ नीतियों और विदेशी निवेशकों द्वारा लगातार बिकवाली से संबंधित चिंताओं ने बेंचमार्क को सितंबर के अंत में रिकॉर्ड ऊंचाई से 14% नीचे खींच लिया है।
- IT स्टॉक दबाव में शुक्रवार को अधिकांश एशियाई बाजारों में गिरावट आई, MSCI एशिया EX JAPAN Index में 1.21% की गिरावट आई, जो चिपमेकर एनवीडिया में तेज गिरावट के बाद वॉल स्ट्रीट पर रात भर के नुकसान को दर्शाता है।
- पिछले कई महीनों से विदेशी संस्थागत निवेशक (FII) भारतीय बाजार से पैसे निकाल रहे हैं। इस साल अभी तक FIIs ने भारतीय बाजार से एक लाख 13 हजार 721 करोड़ रुपये निकाले हैं। पहले जब ऐसा होता था, तब घरेलू संस्थागत निवेशक (DII) निवेश करते थे। हालांकि, इस बार यह ट्रेंड देखने को नहीं मिल रहा है।
इन सभी वजहों के संयुक्त प्रभाव से भारतीय शेयर बाजार में भारी गिरावट देखी गई है। निवेशकों को सलाह दी जाती है कि वे सतर्क रहें और बाजार की मौजूदा परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए निवेश संबंधी निर्णय लें। वैसे भारतीय शेयर बाजार में ये गिरावट कब तक जारी रहेगी? कुछ एक्सपर्ट्स कहते हैं कि मार्च में कुछ रिकवरी देखने को मिल सकती है।