छत्तीसगढ़। हाल ही में एक महिला की मौत से जुड़े मामले में हाई कोर्ट का एक चौंकाने वाला फैसला सामने आया। इस केस में महिला के पति पर आरोप था कि उसने अपनी पत्नी के साथ ज़बरदस्ती अप्राकृतिक यौन संबंध (forced unnatural sex) बनाए, जिससे उसकी मौत हो गई। लेकिन कोर्ट ने इस मामले में पति को राहत देते हुए कहा कि भारत के कानून के अनुसार, शादी के भीतर अगर पति अपनी पत्नी के साथ संबंध बनाता है, तो उसे बलात्कार (Rape) नहीं माना जा सकता, भले ही वह जबरदस्ती क्यों न हो।
क्या है भारतीय कानून?
भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 375 में बलात्कार की परिभाषा दी गई है, लेकिन इसका एक अपवाद यह है कि यदि पति अपनी पत्नी के साथ संबंध बनाता है और उसकी उम्र 15 साल से अधिक है, तो इसे बलात्कार नहीं माना जाएगा। इसी प्रावधान के चलते अदालत ने पति को बलात्कार और अप्राकृतिक संबंध (IPC 377) के आरोप से बरी कर दिया। हालांकि, इस मामले में महिला की मौत हुई थी, लेकिन कोर्ट ने इसे भी पति की सीधी गलती नहीं माना और उसे गैर इरादतन हत्या के आरोप से भी मुक्त कर दिया।
क्या यह कानून महिलाओं के अधिकारों का हनन करता है?
इस फैसले के बाद सवाल उठने लगे हैं कि क्या यह कानून महिलाओं की सुरक्षा के खिलाफ है? शादीशुदा महिलाओं के लिए बलात्कार कानून का अलग पैमाना क्यों है? अगर कोई महिला अपनी मर्जी के बिना किसी के भी साथ संबंध नहीं बनाना चाहती, तो शादी के बाद उसकी मर्जी क्यों मायने नहीं रखती? यह फैसले उन हजारों महिलाओं के लिए चिंता का विषय बन गया है, जो घरेलू हिंसा और ज़बरदस्ती का शिकार होती हैं।
महिला की मौत और उसके परिवार का दर्द
इस मामले में महिला की मौत के बाद उसके परिवार ने इंसाफ़ की मांग की थी। उनका कहना था कि उनकी बेटी के साथ उसके पति ने अमानवीय व्यवहार किया, जिससे उसकी जान चली गई। लेकिन कानूनी प्रावधानों के चलते उन्हें न्याय नहीं मिल पाया। यह केस उन अनगिनत महिलाओं का प्रतीक बन गया है, जो शादी के अंदर हिंसा और शोषण झेलती हैं, लेकिन कानून की सीमाओं के कारण उनकी आवाज़ दब जाती है।
क्या यह मामला नई बहस को जन्म देगा?
इस फैसले ने एक बार फिर “Marital Rape” यानी शादी के भीतर बलात्कार पर बहस को हवा दे दी है। कई देशों में Marital Rape को अपराध माना जाता है, लेकिन भारत में यह अभी भी वैध है। क्या इस मामले के बाद कानून में कोई बदलाव आएगा या फिर महिलाओं को इसी तरह अपने अधिकारों की लड़ाई लड़नी होगी? यह सवाल हर किसी के मन में है।
यह मामला सिर्फ एक महिला की मौत का नहीं, बल्कि एक बड़े सामाजिक और कानूनी मुद्दे का प्रतीक बन गया है। जब एक महिला की सहमति के बिना संबंध बनाना अपराध है, तो शादी के बाद यह नियम क्यों बदल जाता है? यह एक ऐसा सवाल है, जिसका जवाब आज भी भारतीय कानून और समाज के पास नहीं है।