Paris में हुए Paralympic खेलों में अपनी तीरंदाज़ी से मशहूर हुई शीतल देवी के बाद भारत के पास एक और उभरती हुई तीरंदाज़ मिली हैं, जिसका नाम हैं पायल नाग। नई दिल्ली में चल रहे Khelo India Para Games में Gold Medal के लिए मुक़ाबला करते हुए शीतल देवी ने पायल नाग को हराकर 109-103 से हराकर Gold अपने नाम किया। पायल को Silver से ही संतोष करना पड़ा। हालांकि जवाहरलाल नेहरु स्टेडियम में पायल के लिए भी अनेक लोगों ने तालियां बजाई, जो उनकी मेहनत और संघर्ष का प्रतीक हैं।
हालांकि पायल का यहां तक का सफर आसान नहीं था। साल 2015 में एक बिल्डिंग में खेलते हुए पायल 11,000 वोल्ट बिजली की तारों की चपेट में आ गई। जान तो बच गई, लेकिन दोनों हाथ पैर गंवाने पड़े। मूल रूप से ओडिशा के बालांगीर के रहने वाले पायल के पिता छत्तीसगढ़ के रायपुर में मिस्त्री के तौर पर काम कर रहे थे। परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी, जिसके चलते पायल को अनाथाश्रम भेज दिया। ऐसे मौकों पर अक्सर कई लोग निराश होकर गलत कदम उठा लेते हैं, मगर पायल की इच्छाशक्ति कभी कम नहीं हुई।
Para-archery से पहले, पायल ने अपने मुंह से Painting की कला सीखी थी और अपनी Paintings की ही बदौलत Mata Vaishno Devi Shrine Board Archery Academy के कोच कुलदीप वेदवान की नज़र उनपर पड़ी। कोच वेदवान ने उनके लिए विशेष prothestic device का इंतेज़ाम किया, जिससे पायल ने Archery में अपने सफर की शुरुआत की।
तीन साल बाद, जनवरी 2025 में Para-Archery Nationals हुए, जिसमें पायल ने शीतल देवी जिन्हें वो प्यार से “दीदी” कहकर बुलाती हैं, को हराया। दिलचस्प संयोग हैं कि दोनों के कोच कुलदीप वेदवान ही थे। Khelo India में भी अच्छा प्रदर्शन करने के बाद, Payal की नज़रें अब Asian और International Tournaments पर हैं। उनका सपना हैं कि वे अपने देश के लिए Gold Medal हासिल करें। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि यदि वे एक अनाथाश्रम से आकर शीतल देवी को हरा सकती हैं तो उनके लिए Gold जीतने से कम कुछ नहीं हो सकता हैं।
पायल की कहानी ये साबित करती हैं कि कठिनाइयों के बाद भी कड़ी मेहनत और मज़बूत इच्छाशक्ति से हर मुश्किल को पार किया जा सकता हैं। उन्होंने ये साबित कर दिखाया कि इंसान अगर ठान ले तो किसी भी बाधा को पार कर सकता हैं। पायल से यही उम्मीद की जाएगी कि वे आने वाले वक्त में भारत को Paralympics में Gold Medal दिलवाएं और देश का नाम रोशन करे।