कतर ने 2 साल बाद जासूसी के आरोप में मौत की सजा पाए हुए 8 भारतीय नौसैनिकों को रिहा कर दिया गया है। भारतीय नौसेना के 8 सदस्यों में से 7 सदस्य भारत लौट आए हैं।
कब और क्यों हुए थे गिरफ्तार?
अगस्त 2022 में सभी नौसेना अधिकारी गिरफ्तार हुए थे। उनकी गिरफ्तारी एक निजी फर्म ‘दहरा ग्लोबल’ द्वारा कतरी नौसेना के लिए इटेलियन पनडुब्बियों की शुरूआत में सहायता करते समय हुई थी। जिसके बाद अक्टूबर 2022 में कतर की एक निचली अदालत ने कथित जासूसी के आरोप में उन्हें मौत की सज़ा सुनाई थी। बाद में मौत की सज़ा को जेल की सज़ा में बदल दिया गया था। उनकी रिहाई सुनिश्चित करने के लिए भारत ने उच्च स्तरीय यात्राओं और चर्चाओं के प्रयास भी किए थे। लेकिन इसके बावजूद दिसंबर 2022 में उनकी मौत की सज़ा सुनिश्चित कर दी गई थी।
दहरा ग्लोबल का काम?
दहरा ग्लोबल कतर में स्थित एक निजी समुद्री सुरक्षा कंपनी थी। दहरा ग्लोबल कतर के सशस्त्र बलों को प्रशिक्षण और विभिन्न अन्य सेवाएं प्रदान करता था। इसके अलावा दहरा ग्लोबल कतर के समुद्री सुरक्षा अभियानों को भी देखता था। कंपनी को जून 2023 में बंद कर दिया गया था। दहरा ग्लोबल टेक्नोलॉजीज का मालिक खामिस अल-अजमी था। खामिस एक कतरी नागरिक था और उसी ने भारतीयों को अपनी कंपनी में काम पर रखा था। खामिस को बॉन्ड खत्म होने से पहले हिरासत में ले लिया गया था।
कैसे मिली रिहाई?
रिहाई का ऑफिशियल कारण अभी तक साफ रूप से नहीं बताया गया है। हालाँकि, इसका श्रेय कतरी अमीर (राजा) की क्षमा और भारत सरकार के सफल राजनयिक प्रयासों को दिया जा रहा है। भारत के कूटनीतिक प्रयासों के बाद, जनवरी 2024 में सज़ाएँ जेल की सजा में बदल दी गईं थी। जिसके बाद 12 फरवरी को सभी अधिकारियों को रिहाई मिल गई। उनकी रिहाई 18 महीने की हिरासत, शुरुआती मौत की सजा और बाद में जेल की सजा में बदलाव होने के बाद मिली है। भारत सरकार ने अमीर के फैसले की सराहना की है।
कौन-कौन हुए थे गिरफ्तार?
भारतीय नौसेना के कप्तान नवतेज सिंह गिल, कप्तान बीरेंद्र कुमार वर्मा, कप्तान सौरभ वशिष्ठ, कमांडर अमित नागपाल, कमांडर पूर्णेंदु तिवारी, कमांडर सुगुनाकर पकाला, कमांडर संजीव गुप्ता और नाविक रागेश को गिरफ्तारी मिली है। इन सभी ने भारतीय नौसेना के अंदर नेविगेशन, इंजीनियरिंग और लॉजिस्टिक्स के साथ कई और भूमिकाओं में कार्य किया है। इनमें से 7 अधिकारी भारत लौट आए हैं और अपने परिवारों से फिर मिल गए हैं। जबकि एक अधिकारी किसी अज्ञात कारणों से कतर में ही है।
इन सभी अधिकारियों की रिहाई भारत के लिए एक अहम कूटनीतिक जीत है।