रूस ने कुछ समय पहले ये संकेत दिए थे कि है कि वह Comprehensive Nuclear Test Ban Treaty (CTBT) के अपने समर्थन को रद्द करने की दिशा में आगे बढ़ रहा है। और अब रूस की संसद ने उस वैश्विक संधि से जुड़े करार को खत्म कर दिया है, जिसके तहत कोई देश न्यूक्लियर टेस्ट नहीं कर सकता है। रूस की संसद के दोनों सदनों ने उस बिल को पास कर दिया है, जो परमाणु परीक्षण प्रतिबंध संधि को रद्द करने की बात कहता है। रूस ने 6 अक्टूबर को इस संधि से बाहर आने की घोषणा की थी, जिसके बाद ससंद में इस बाबत बिल लाया गया। संसद से इस बिल को मंजूरी मिलते ही रूस की सेना ने नकली परमाणु हमले की एक ड्रिल की है।
रूस के बाद अब अमेरिका भी जल्द ही ऐसा करेगा जिसके उसने पहले ही संकेत दे दिये थे।
लेकिन ये CTBT आखिर है क्या?
CTBT एक बहुपक्षीय संधि है जिसका उद्देश्य सभी परमाणु विस्फोटों पर प्रतिबंध लगाना है, भले ही वे सैन्य अथवा शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिये हों।
CTBT की जड़ें शीत युद्ध के युग में निहित हैं जब संयुक्त राज्य अमेरिका और सोवियत संघ परमाणु हथियारों को प्राप्त करने में लगे थे तथा कई परमाणु परीक्षण कर रहे थे।
वर्ष 1945 से लेकर वर्ष 1996 तक विश्व स्तर पर 2,000 से अधिक परमाणु परीक्षण हुए, जिनमें से अमेरिका ने 1,032 परीक्षण और सोवियत संघ ने 715 परीक्षण किये।
परमाणु परीक्षणों के पर्यावरण और स्वास्थ्य प्रभावों के विषय में चिंताओं के जवाब में, अंतर्राष्ट्रीय समुदाय ने परीक्षण को सीमित करने के प्रयास किये।
वर्ष 1963 की सीमित परमाणु परीक्षण-प्रतिबंध संधि (Limited Nuclear Test-Ban Treaty- LTBT) ने वायुमंडल, बाह्य अंतरिक्ष और जल के भीतर परमाणु परीक्षण पर रोक लगा दी लेकिन भूमिगत परीक्षणों को अनुमति दी।
वर्ष 1974 की थ्रेसहोल्ड टेस्ट प्रतिबंध संधि (TTBT), 150 किलोटन से अधिक की क्षमता वाले परीक्षणों पर रोक लगाकर एक परमाणु “सीमा” स्थापित करती है, फिर भी यह सभी परमाणु परीक्षणों पर व्यापक प्रतिबंध लगाने में विफल रही है।
1996 में अपनाई गई परीक्षण प्रतिबंध संधि दुनिया में कहीं भी सभी परमाणु विस्फोटों पर प्रतिबंध लगाती है, लेकिन संधि कभी भी पूरी तरह से लागू नहीं की गई। इस पर 187 देशों द्वारा हस्ताक्षर किये गए हैं और 178 देशों द्वारा अनुमोदित किया गया है। हालाँकि यह संधि तब तक औपचारिक रूप से लागू नहीं हो सकती जब तक कि इसे 44 विशिष्ट देशों द्वारा अनुमोदित नहीं किया जाता है। इनमें से आठ देशों ने अभी तक संधि का अनुमोदन नहीं किया है,अमेरिका के अलावा, इसे चीन, भारत, पाकिस्तान, उत्तर कोरिया, इज़राइल, ईरान और मिस्र द्वारा अनुमोदित किया जाना बाकी है।
रूस मे रद्दीकरण पर कौन क्या कह रहा हैं?
पुतिन ने कहा है कि हालांकि कुछ विशेषज्ञों ने तर्क दिया है कि परमाणु परीक्षण करना आवश्यक है, लेकिन उन्होंने अभी तक इस मुद्दे पर कोई राय नहीं बनाई है।
रूस के उप विदेश मंत्री सर्गेई रयाबकोव ने इस महीने की शुरुआत में कहा था कि मॉस्को प्रतिबंध का सम्मान करना जारी रखेगा और परमाणु परीक्षण तभी फिर से शुरू करेगा जब वाशिंगटन पहले ऐसा करेगा। रयाबकोव ने बुधवार को कहा कि रूसी विदेश मंत्रालय को रणनीतिक स्थिरता और हथियार नियंत्रण मुद्दों पर बातचीत फिर से शुरू करने के लिए अमेरिकी प्रस्ताव मिले हैं, लेकिन उन्होंने कहा कि मॉस्को मौजूदा राजनीतिक माहौल में इसे संभव नहीं मानता है।
अमेरिका बनाम रूस?
पड़ोसी देश यूक्रेन पर आक्रमण करने के बाद से, पुतिन ने बार-बार रूस के परमाणु सिद्धांत का सहारा लिया है। इससे तंग आकर अमेरिका भी तीखे तेवर दिखाते हुए कहा “किसी भी देश की पार्टी द्वारा इस तरह का कदम बेवजह परमाणु विस्फोटक टेस्ट के खिलाफ वैश्विक मानदंड को खतरे में डालता है।”विदेश विभाग ने कहा, रूस को “अन्य देशों पर दबाव डालने के असफल प्रयास में हथियार नियंत्रण और परमाणु टेस्ट को लेकर गैरजिम्मेदार बयानबाजी नहीं करनी चाहिए”, ऐसा प्रतीत होता है कि इस कदम का उद्देश्य अमेरिका और अन्य देशों पर दबाव डालना है जो रूसी सेना के खिलाफ यूक्रेन का लड़ाई में समर्थन कर रहे हैं।”