संसद के अंदर स्थित महात्मा गांधी, बी आर अंबेडकर और छत्रपति शिवाजी की मूर्ति सहित कई अन्य प्रतिमाओं को पुनर भूनिर्माण कार्य के चलते पुराने भवन के पास कर दिया गया है। इसमें लोकसभा सचिवालय ने कहा कि, इन मूर्तियों को संसद भवन परिसर में ही भव्य ‘प्रेरणा स्थल’ में स्थापित करने के लिए ‘सम्मानपूर्वक’ बदला गया है। लोकसभा सचिवालय ने एक प्रेस रिलीज में बताया कि, नए संसद भवन के निर्माण के बाद, संसद परिसर के पुनर भूनिर्माण और सौंदर्यीकरण के लिए एक योजना बनाई गई है, ताकि संसद की उच्च गरिमा और शिष्टाचार के तरह परिसर को भव्य और आकर्षक बनाया जा सके।
इन बदलाव के अलावा संसद परिसर में अब तैनात सुरक्षाकर्मियों की जगह केन्द्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल को तैनात किया जाएगा। इन बदलावों पर कांग्रेस ने अवसर देखते हुए इस कदम की तीखी आलोचना की है। कांग्रेस ने इल्जाम लगाते हुए कहा कि, संसद भवन के सामने स्थित प्रतिमाओं को उनके प्रमुख स्थान से हटाया गया है। यह क्रूरता है।
कांग्रेस के अमेठी से नवनिर्वाचित सांसद के.एल. शर्मा ने मूर्ति हटाए जाने की तस्वीरें पोस्ट की है और लिखा है कि, “संसद भवन के सामने छत्रपति शिवाजी महाराज, महात्मा गांधी और बाबासाहेब अंबेडकर की मूर्तियों को उनके विशेष स्थानों से हटा दिया गया है। यह बहुत ही घटिया और तुच्छ हरकत है।”
इसके साथ ही कांग्रेस के वरिष्ठ नेता “पवन खेड़ा” ने भी आरोप लगाया है कि, शिवाजी और अंबेडकर की मूर्तियां इसलिए हटाई गईं क्योंकि महाराष्ट्र में भाजपा को वोट नहीं मिले हैं। वहीं गुजरात में उन्हें क्लीन स्वीप नहीं मिला तो महात्मा गांधी की भी मूर्ति हटा दी गई है। साथ ही में उन्होंने यह प्रश्न भी किया है कि, अगर भाजपा को 400 सीटें मिल जाती तो क्या वह संविधान को बख्शते?
वहीं भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (CPI) पार्टी के डी राजा ने भी इस कदम की निंदा करते हुए इसे मनमाना और एकतरफा का नाम दिया है।
कांग्रेस और विपक्ष से लगातार उठ रहे सवालों पर लोकसभा सचिवालय ने कहा कि, संसद भवन परिसर लोकसभा अध्यक्ष के अधिकार क्षेत्र में आता है और पहले भी अध्यक्ष की अनुमति से परिसर के अंदर मूर्तियां का स्थान बदला गया है।
लोकसभा सचिवालय के नए अध्यक्ष के कार्यभार संभालने की जल्दबाजी और इस बयान पर विपक्ष ने सवाल उठाएं हैं।