राज्य के सरकारी विद्यालयों में अफसरों द्वारा निरीक्षण में बिना सूचना अनुपस्थित रहने वाले शिक्षकों के खिलाफ़ सरकार की कार्यवाही जारी है। पिछले सात महीने में 15 हजार 790 शिक्षकों का वेतन कट चुका है। इसके अलावा, 4852 और शिक्षकों पर वेतन कटौती की तलवार लटक रही है। शिक्षा विभाग ने सभी जिलों से संबंधित स्कूल और शिक्षकों के बारे में रिपोर्ट मांगी थी। रिपोर्ट आने के बाद शिक्षकों के वेतन काटने की कार्यवाही की जाएगी।
निरीक्षण के आधार पर हो रही कार्यवाही
शिक्षा विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक, जिन शिक्षकों पर वेतन कटौती संबंधी कार्यवाही की जा रही है। उन शिक्षकों को दैनिक विद्यालय निरीक्षण के दौरान स्कूल में नहीं पाया गया है। अधिकांश शिक्षक तो बिना सूचना दिए छुट्टी पर पाए गए हैं। वहीं कुछ शिक्षकों ने विद्यालय में शिक्षण कार्य ठीक से नहीं किए और स्कूल में मिड-डे-मील अच्छे से बच्चों को नहीं दी जाती है। प्रदेश में पिछले साल 1 जुलाई से सरकारी स्कूलों का निरीक्षण अभियान चलाया जा रहा है।
2024 में शिक्षा विभाग के मॉनिटरिंग सेल की 3 अप्रैल की रिपोर्ट के मुताबिक, जिन 15,790 शिक्षकों के वेतन में कटौती की गई हैं।
दरभंगा के 3396, अररिया के 575, औरंगाबाद के 1061, बांका के 12, बेगूसराय के 471, भागलपुर के 714, बक्सर के 321, पूर्वी चंपारण के 410, गोपालगंज के 347, जमुई के 201, किशनगंज के 80, कटिहार के 26, लखीसराय के 92, मधुबनी के 679, मुंगेर के 5, मधेपुरा के 15, नालंदा के 2277, नवादा के 679, पटना के 128, पूर्णिया के 68, रोहतास के 252, सहरसा के 3, समस्तीपुर के 444, शिवहर के 5, शेखपुरा के 102, सारण के 1298, सीतामढ़ी के 488, सुपौल के 717, सिवान के 10, वैशाली के 174, पश्चमी चंपारण के 14, भोजपुर के 151, गया के 162, जहानाबाद के 327, खगड़िया के 40, कैमूर के 664, मुजफ्फरपुर के 359, नालंदा के 618, समस्तीपुर के 217, शिवहर के 23, शेखपुरा के 12, सारण के 586, सीतामढ़ी के 307 और सुपौल के 44 शिक्षक शामिल हैं।