भोपाल। भोपाल के सतपुड़ा भवन में आग लगने के बाद विपक्ष तो सवाल उठा ही रहा था। अब मध्य प्रदेश सरकार के 2 विभागों के अफसर भी एक दूसरे पर ठीकरा फोड़ रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग वाले कह रहे हैं की आग, आदिवासी कल्याण विभाग वालों की मंजिल से लगी और हमारी मंजिल तक आ गई। जबकि आदिवासी कल्याण विभाग वाले भी इसी तरह का आरोप लगा रहे हैं । जांच टीम की रिपोर्ट आने के बाद ही साफ हो सकेगा।
तीसरी और चौथी मंजिल का झगड़ा
सतपुड़ा भवन की आग पर दो सरकारी विभागों के अफसरों में ले-दे हो रही है। तीसरी मंजिल पर आदिवासी कल्याण विभाग का दफ्तर है और चौथी पर स्वास्थ्य विभाग का। आदिवासी विभाग के अफसरों का कहना है कि आग चौथी मंजिल से शुरू हुई और तीसरी तक आ गई, जबकि स्वास्थ्य विभाग वाले कह रहे हैं कि आग तीसरी मंजिल से शुरू हुई और चौथी मंजिल यानी हमारे दफ्तर तक आ गई। एक-दूसरे पर लापरवाही का ठीकरा फोड़ रहे हैं। यह तक कह रहे हैं कि अगर समय रहते कुछ किया होता, फायर ब्रिगेड को खबर कर दी गई होती, तो इतना नुकसान नहीं होता। आग की जांच कर रही कमेटी के लिए बता पाना मुश्किल है कि शुरू कहां से हुई थी। कागजों का ज्यादा नुकसान स्वास्थ्य विभाग वालों का हुआ है। आयुष्मान, दूसरी योजनाओं के कागजात राख हो गए, जबकि आदिवासी कल्याण विभाग वालों के वो कागज जले हैं, जिसमें लिखा था कि केंद्र सरकार की तरफ से कितना पैसा आया और कहां-कहां इस्तेमाल हुआ। विपक्ष इस मामले में नूरा-कुश्ती का आरोप लगा रहा है। उनका कहना है कि सब मिले हुए हैं। भ्रष्टाचार के सबूत मिटाना थे, इसलिए आग लग गई। अब एक-दूसरे पर ठीकरा फोड़ कर जांच को भटका रहे हैं। जांच कमेटी के मुखिया राजेश राजौरा ने कहा कि हमने दोनों मंजिल से सैंपल लिए हैं।
विपक्ष का आरोप..हादसा नही साजिश है आग !
कांग्रेस यानी विपक्ष आरोप लगा रहा है कि सतपूड़ा भवन में जो आग लगी थी,वह कई घोटालो के दस्तावेज नष्ट करने के लिए लगाई गई। आयुष्मान घोटाले के कई कागज उस आग में खाक गए। सरकार की तरफ से कहा गया है कि आरोप बेबुनियाद हैं। आज एक हादसा थी ।इसके बावजूद जांच की जा रही है।