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SC: असंवैधानिक नहीं है यूपी मदरसा बोर्ड, HC के आदेश पर लगाई रोक

22 मार्च को इलाहाबाद HC ने मदरसा शिक्षा बोर्ड को असंवैधानिक घोषित कर दिया था।

Last updated: अप्रैल 5, 2024 7:56 अपराह्न
By Urva Richhariya 1 वर्ष पहले
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4 Min Read
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पिछले कुछ महीनों से चले आ रहे यूपी मदरसों के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने पूर्णवाराम लगा दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने आज इलाहाबाद हाई कोर्ट द्वारा उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा बोर्ड एक्ट, 2004 को रद्द करने वाले आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी। जस्टिस चंद्रचूड़ ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के इस निर्णय को “असंवैधानिक” मान कर रद्द कर दिया है।

दरअसल, 22 मार्च को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने राज्य मदरसा शिक्षा बोर्ड एक्ट, 2004 को असंवैधानिक घोषित कर दिया था। हाई कोर्ट का तर्क था कि मदरसों में धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांत का उल्लंघन हुए जा रहा है। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने यह फैसला सुनाते हुए उत्तर प्रदेश सरकार को छात्रों और शिक्षकों को औपचारिक स्कूली की शिक्षा प्रणाली से जोड़ने के आदेश दिए थे।

आज की तारीख में उत्तर प्रदेश में लगभग 25,000 मदरसे स्थित हैं, जिनमें से 16,500 मदरसों को उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा बोर्ड से मान्यता प्राप्त हैं और बाकी 8,500 मदरसे गैर मान्यता वाले हैं। हाई कोर्ट के आदेश के बाद इनमें से 560 मदरसों को योगी सरकार ने बंद करने का नोटिस जारी कर दिया था। ऐसे होने पर लगभग 16 लाख मदरसे छात्र और 10,000 शिक्षकों पर असर पढ़ता।

क्यों किए इलाहाबाद हाई कोर्ट ने मदरसे बंद?

कुछ महीने पहले इलाहाबाद हाई कोर्ट में यूपी मदरसा बोर्ड के खिलाफ एक याचिका दर्ज हुई थी। हाई कोर्ट मदरसा बोर्ड की संवैधानिकता को चुनौती देने वाली उसी याचिका पर सुनवाई कर रहा था। याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में इस बात पर भी आपत्ति जताई गई थी कि मदरसों का प्रबंधन शिक्षा विभाग की जगह अल्पसंख्यक कल्याण विभाग किए जा रहा था।

हाई कोर्ट में याचिकाकर्ता और उनके वकील ने यह प्रस्तुत किया था कि मदरसा एक्ट संविधान की मूल संरचना यानी धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांतों का उल्लंघन करता है। याचिकाकर्ता ने कहा कि यूपी मदरसा बोर्ड अब तक गुणवत्तापूर्ण और सार्वभौमिक स्कूली शिक्षा प्रदान करने में विफल रहा है, जो अनुच्छेद 21 के अनुसार 14 वर्ष की आयु तक के छात्रों के लिए अनिवार्य है। इसी प्रकार इन मदरसों में पढ़ रहे छात्रों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन हुआ जा रहा है।

इसी याचिका पर गौर करते हुए इलाहाबाद हाई कोर्ट ने पिछले महीने मदरसों को असंवैधानिक घोषित करते हुए बंद करने के आदेश दिए थे।

सुप्रीम कोर्ट ने आज इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश को जवाब देते हुए उस पर अंतरिम रोक लगा दी है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हाई कोर्ट का उद्देश्य नियामक प्रकृति का था। अदालत ने भी कहा कि हाई कोर्ट ने मदरसा एक्ट के प्रोविजन को गलत समझ लिया है क्योंकि उसका कार्य धार्मिक शिक्षा प्रदान करना नहीं है। मदरसा बोर्ड का उद्देश्य रेगुलरोटी लाना है और हाई कोर्ट का यह मानना कि बोर्ड की स्थापना से धर्मनिरपेक्षता का उल्लंघन होगा, यह बिल्कुल सही नहीं है।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हाई कोर्ट के पास याचिका यह सुनिश्चित करने के लिए आई थी कि मदरसे धर्मनिरपेक्ष शिक्षा प्रदान करे, न की उन्हें रद्द करने के लिए।

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TAGGED: Allahabad High Court, high court, thefourth, thefourthindia, unconstitutional, UP Board of Madarsa Education Act 2004, UP Madrasa Board
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