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SC ने बुलडोजर एक्शन के दुरुपयोग में उठाए सवाल, व्यक्ति के दोषी पाए जाने पर भी नहीं तोड़ा जाएगा घर

SC में बुलडोजर एक्शन के दुरुपयोग को लेकर कई याचिकाएं दर्ज।

Last updated: सितम्बर 2, 2024 6:45 अपराह्न
By Urva Richhariya 9 महीना पहले
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3 Min Read
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सुप्रीम कोर्ट (SC) ने बुलडोजर कार्रवाई को चुनौती देने वाली याचिका के विभिन्न मामलों को सुनने के बाद, बुलडोजर एक्शन के दुरुपयोग पर सवाल उठाए हैं। SC ने सभी याचिका सुनने के बाद सवाल किया कि, किसी व्यक्ति के सिर्फ दोषी पाए जाने पर उसका घर कैसे नष्ट किया जा सकता है? SC ने याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि, किसी व्यक्ति के दोषी पाए जाने के बावजूद भी उसका घर बुलडोजर से नहीं गिराया जा सकता। जज बी.आर गवई और के. वी. विश्वनाथन के पैनल ने कहा कि, वह घरों और इमारतों के ध्वस्तीकरण से संबंधित दिक्कतों के हल के लिए पूरे भारत में दिशानिर्देश जारी करेंगे।

इन याचिकों के मुख याचिकाकर्ता मुस्लिम स्कॉलर्स बॉडी “जमीयत उलमा-ए-हिंद” है। याचिकाकर्ताओं का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ वकील दुष्यंत दवे ने कहा कि, 2022 के दंगों के तुरंत बाद दिल्ली में कई घरों को यह हवाला दे कर नष्ट कर दिया गया था कि, उन लोगों ने हिंसा भड़काई थी। इसमें दूसरे वकील अधिवक्ता चंदर उदय सिंह ने बताया कि, उदयपुर में एक व्यक्ति का घर इसलिए ध्वस्त कर दिया गया था, क्योंकि किराएदार के बेटे पर अपराध का आरोप लगा था।

जज विश्वनाथन ने सुनवाई के दौरान कहा कि, किसी को भी कानून का गलत फायदा नहीं उठाना चाहिए। किरायेदार के बेटे के खिलाफ भले ही आपराधिक मामला दर्ज हो, लेकिन इस आधार पर मकान को ध्वस्त करना सही तरीका नहीं है। इसके अलावा जज गवई ने कहा कि, “सुप्रीम कोर्ट बार को बुलडोजर कार्रवाई के बारे में पहले ही बताया गया है, इसके बावजूद उनके रवैये में कोई बदलाव नहीं दिखे हैं।

वहीं जजों के जवाब में केंद्र सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल “तुषार मेहता” ने कहा कि, कानून का उल्लंघन होने पर घरों को गिराया जा रहा है। वह तभी कार्रवाई करते हैं, जब लोग नगरपालिका कानून का उल्लंघन करते हैं। तुषार की इस दलील में जज पैनल ने कहा कि, शिकायतों को देखते हुए उन्हें लगता है कि कानून का दुरुपयोग हुआ है। हालांकि, यह कानून की स्थिति है, लेकिन इसका दुरुपयोग ज्यादा हो रहा है। साथ ही यदि निर्माण अधिकृत नहीं है, तो उसमें कार्यवाही कानून के अनुसार ही होना चाहिए।

पैनल ने कहा कि, “अचल संपत्तिया यानी वो संपत्ति जिन्हें एक से दूसरी जगह ले जाया नहीं जा सकता है, उन्हें केवल प्रोसीजर के आधार पर ही ध्वस्त किया जा सकता है। इसके लिए हलफनामा दायर किया गया है, जो कुछ दिशानिर्देश निर्धारित करने का प्रस्ताव करते हैं ताकि उठाए गए मामलों के संबंध में दिक्कतों का ध्यान रखा जा सके।

इन याचिकाओं में सुनवाई का अंत नहीं हुआ है। बाकी की सुनवाई SC 17 सितंबर को जारी

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TAGGED: BR Gavai, Bulldozer action, Bulldozer justice, Convicted person, House demolition, Jamiat Ulama-e-Hind, KV Viswanathan, SC, Supreme Court, thefourth, thefourthindia
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