हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला के संजौली में मस्जिद के अवैध निर्माण को लेकर हिंदू संगठनों और सिविल सोसायटी के लोग प्रदर्शन कर रहे है। पहले से तय इस प्रदर्शन को देखते हुए शहर में जगह-जगह पर पुलिस के जवान तैनात किए गए है। हालांकि दोपहर बाद प्रदर्शनकारी अलग-अलग रास्तों से संजौली पहुंच चुके हैं और प्रदर्शनकारी लगातार नारेबाजी कर रहे है। पुलिस ने कई जगह बैरिकेटिंग भी की थी लेकिन प्रदर्शनकारियों ने बैरिकेट तोड़ दिए। प्रदर्शनकारियों की ओर से पत्थरबाजी होने के बाद पुलिस ने लाठीचार्ज किया और वाटर कैनन का इस्तेमाल भी किया। पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच हुई इस झड़प में कुछ प्रदर्शनकारियों के साथ-साथ पुलिसवालों को भी चोटें आई हैं। पुलिस के साथ-साथ जिला प्रशासन के आला अधिकारी भी मौके पर हैं। शिमला के एसपी और डीसी सुबह से ही संजौली में डेरा डाले बैठे है और दोपहर बाद हिमाचल प्रदेश के डीजीपी भी वहां पहुंच गए। पुलिस लगातार प्रदर्शनकारियों को समझाने की कोशिश कर रही है। वहीं प्रदर्शनकारी लगातार पुलिस से लेकर सरकार के खिलाफ नारेबाजी कर रहे हैं। जिसके चलते संजौली में हालात और तनावपूर्ण होते जा रहे है।
बता दे कि, कुछ दिनों पहले शिमला के मल्याणा में दो गुटों के बीच आपसी झगड़ा हुआ था। जिसमें कुछ समुदाय विशेष के लोगों ने तेजधार हथियारों से एक युवक को लहूलुहान कर दिया था जबकि कुछ अन्य लोगों से भी मारपीट की थी। जिसके बाद मामले ने तूल पकड़ा और लोगों का गुस्सा बीते दिनों शिमला के संजौली में बनी मस्जिद के बाहर फूट पढ़ा। इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने मल्याणा में मारपीट करने वाले लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने और मस्जिद के अवैध निर्माण को गिराने की मांग की थी।
आज संजौली में भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की धारा 163 लागू रहेगी। डीसी शिमला अनुपम कश्यप ने बताया कि,11 सितंबर यानी आज सुबह 7 बजे से लेकर रात 11:59 बजे तक ये आदेश जारी रहेगा। पुलिस द्वारा प्रदर्शनकारियों को रोकने की कोशिश की गई। जिसके बाद भीड़ ने शिमला पुलिस पर पथराव किया और पुलिस ने भी एक्शन लेते हुए भीड़ पर लाठीचार्ज किया। इस दौरान एक पुलिस जवान सहित कई लोग घायल हुए हैं।
इस दौरान प्रदर्शन में शामिल लोगों ने आरोप लगाया कि, वो संजौली चौक तक जाना चाहते थे। लेकिन पुलिस ने उन पर लाठियां बरसाईं जो कि, निंदनीय है। इस प्रदर्शन के लिए हिंदू संगठनों ने इजाजत मांगी थी लेकिन उन्हें परमिशन नहीं दी गई थी। लोगों का आरोप है कि, वे परमिशन का इंतजार नहीं कर सकते हैं। वे अवैध निर्माण के खिलाफ हैं और प्रदर्शन जारी रखेंगे।