भारत कई प्राचीन और रहस्यमय मंदिरों का देश है। भारत के कई मंदिर आए दिन चर्चा में बने होते है। ऐसा ही एक शिव मंदिर है, जो दिन में दो बार गायब हो जाता है। भगवान शिव का यह प्रसिद्ध प्राचीन मंदिर, स्तंभेश्वर महादेव मंदिर है,जो गुजरात में है, और दिन में कम से कम दो बार गायब हो जाता है। हालांकि इस मंदिर को गायब मंदिर या खोया हुआ मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। यह मंदिर अपने आप में खास है और दूर-दूर से पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है। इस मंदिर के रहस्य का पता आजतक कोई नहीं लगा पाया है यही वजह है कि इस चमत्कार को देखने यहां लाखों की संख्या में श्रद्धालु हर साल पहुंचते हैं। ये मंदिर समुद्र के किनारे बना है। जिसकी खोज आज से करीब 200 वर्ष पहले हुई थी। इतना ही नहीं बल्कि आपको बता दें कि इस मंदिर में भक्तों की गहरी आस्था है। कहते हैं यहां दर्शन करने से जीवन की कठिनाइया दूर हो जाती है।
कहा जाता है की इस मंदिर का अभिषेक खुद समुद्र करता है। भगवान शिव का यह मंदिर वडोदरा से लगभग 85 किलोमीटर दूर स्थित जंबूसर तहसील के कावी-कंबोई गांव में है। जहाँ इस मंदिर कि शिवलिंग की ऊंचाई 4 फीट और इसका व्यास 2 फीट का है। बताया जाता है कि इस मंदिर का गायब होना एक प्राकृतिक घटना का परिणाम है। यानि यह मंदिर समुद्र तट के किनारे है जिसके कारण जब जब भी समुद्र में लहरे उठती है। तो ये मंदिर पूरी तरह से पानी में डूब जाता है। और जब लहरे उतर जाति है तब ये मंदिर दोबारा से नजर आने लगता है।
क्या है इस मंदिर का इतिहास
आपको बता दे कि भगवान शिव को समर्पित इस स्तंभेश्वर तीर्थ मंदिर का वर्णन स्कन्द पुराण और श्री महाशिवपुराण में मिलता है। पौराणिक तथ्यों के अनुसार राक्षस ताड़कासुर ने भगवान शिव की तपस्या से उन्हें प्रसन्न कर लिया और वरदान माँग लिया कि उसका वध सिर्फ भगवान शिव का पुत्र ही कर पाए और वो भी मात्र 6 दिन की आयु का। इस तरह का वरदान पाकर ताड़कासुर ने हर जगह शोर मचाना शुरू कर दिया। राक्षस के शोर से तंग आकर मनुष्य और देवता, भगवान शिव के पास पहुँचे। तब भगवान शिव के तेज से उत्पन्न हुए शिव-शक्ति के पुत्र कार्तिकेय ने मात्र 6 दिन की आयु में ताड़कासुर का संहार कर दिया। जब कार्तिकेय को यह पता चला कि जिस राक्षस का उन्होंने वध किया है वह उनके पिता का बहुत बड़ा भक्त था, तो उनको इस बात से बहुत दुख हुआ। इसके बाद भगवान विष्णु ने कार्तिकेय को यह सुझाव दिया कि जहाँ उन्होंने राक्षस का वध किया है, उस स्थान पर शिव मंदिर का निर्माण करा दें तो उनके मन को शांति मिलेगी। भगवान विष्णु के कहने पर कार्तिकेय ने इस मंदिर का निर्माण कराया और सभी देवताओं ने मिलकर विश्वनंदक स्तंभ की स्थापना की जो स्तंभेश्वर महादेव के नाम से जाना गया।