भोपाल। अपनी-अपनी एकतरफा जीत का दावा कर रही भाजपा और कांग्रेस को झटका लगने वाला है। मध्यप्रदेश की होने वाली सरकार पर आया पहला सर्वे कह रहा है कि मुकाबला बराबरी का रहेगा। त्रिशंकु के हालात भी बन सकते हैं। एबीपी-सी वोटर सर्वे ने आंकड़े जारी किए हैं। 230 में से भाजपा को 106 से 118 सीटें मिल सकती हैं। कांग्रेस को कुछ बढ़त बताई जा रही है। 108 से 120 सीट मिलने के आसार हैं। बसपा और सपा 5 से कम सीट में सिमट सकती हैं।
वोट शेयर का गणित
वोट-शेयर के मामले में मुकाबला और कड़ा हो जाएगा। दोनों ही पार्टियों को 44-44 फीसद वोट मिलते दिख रहे हैं। दावे तो आम आदमी पार्टी भी कर रही है, लेकिन इस बार भी खाता खोलने में पसीने आते दिख रहे है। पिछड़ी जातियों से जुड़ी 80 से ज्यादा विधानसभा ही जीत-हार का फैसला करेगी। बाकी जगह ऐसी हैं, जहां कांग्रेस और भाजपा के अपने-अपने गढ़ हैं।
पिछली बार की स्थिति
2018 के चुनाव में भाजपा ने 109 सीट जीती थीं। वो 7 सीट से पिछड़ रहे थे। कांग्रेस 114 पर पहुंची थी। बहुमत के लिए दो सीट चाहिए थीं। सपा, बसपा और निर्दलीय मिला कर चार विधायकों का साथ मिल गया था। कुर्सी पर बैठे कमलनाथ ने अंगड़ाई ली ही थी कि ज्योतिरादित्य सिंधिया को खटक गया। 22 विधायक लेकर पाला बदल लिया। शिवराज को फिर कुर्सी मिल गई। अब कांग्रेस गद्दार वाला फॉर्मूला लेकर मैदान में उतरी है और उम्मीद कर रही है कि इस बार अकेले ही बहुमत का आंकड़ा छू जाएंगे। सीएम उनके इस दावे को फर्जी बताते हैं। इंटरव्यू में कह चुके हैं कि अगर लोग हमसे गुस्सा होते, तो कांग्रेस से आए विधायकों को रिकॉर्ड वोटों से न जिताते।