सुष्मिता सेन पूर्व मिस यूनिवर्स रह चुकी हैं। ऐसे में महिलाओं की खूबसूरती की ऐसी प्रतिमूर्ति को वेब सीरीज में एक किन्नर के किरदार में कास्ट करना, यकीनन एक बेहद बोल्ड कदम है। नेशनल अवॉर्ड जीत चुके डायरेक्टर रवि जाधव अपनी मराठी फिल्मों ‘नटरंग’, ‘बालगंधर्व’ और ‘बलक-पलक’ के लिए पहचाने जाते हैं। जाहिर तौर पर ‘ताली’ में सुष्मिता सेन की कास्टिंग के साथ ही उन्होंने इस वेब सीरीज की ओर सबका ध्यान खींचा है। ‘आर्या’ जैसी वेब सीरीज से ओटीटी के दर्शकों का दिल जीतने वाली सुष्मिता सेन ने भी श्रीगौरी सावंत के किरदार में पूरी ईमानदारी से अपनी आत्मा डाल दी है। हालांकि, इस पूरी कवायद का जो फलसफा सामने आया है, उसमें श्रीगौरी सावंत की जिंदगी के संघर्ष से जुड़े कुछ बेहतरीन पल तो हैं, लेकिन इस लंबी सीरीज को देखकर यह नहीं कहा जा सकता कि यह हर मोड़ पर आपको बांधने में सफल रहती है।
क्या है ‘ताली’ की कहानी
यूं तो कहने को ‘ताली’ ट्रांसजेंडर एक्टिविस्ट और मोटिवेशनल स्पीकर श्रीगौरी सावंत की बायोपिक है। लेकिन इसे महज बायोपिक कहना काफी नहीं है क्योंकि यह वेबसीरीज अपने अंदर भारत में पूरी ट्रांसजेंडर कम्यूनिटी के लिए लम्बी कानूनी लड़ाई, अधिकार हासिल करने का संघर्ष और उनकी सफलता की कहानी है। दरअसल, श्रीगौरी सावंत ही वह इंसान हैं जिनकी कोशिशों के बाद तीसरा जेंडर संवैधानिक रूप से अपने हक पा सका उन्हें नागरिकता मिली, उन्हें वोट देने का अधिकार मिला और चुनाव लड़ने से लेकर हर वो अधिकार मिला जो हर इंसान को मिलना जरूरी है।
कहानी शुरू होती है, साल 1988 और शहर पुणे के एक मोहल्ले से जहां रहने वाला एक टीन एजर गणेश स्कूल में पढ़ता है। परिवार में पिता दिनकर सावंत पुलिस इंस्पेक्टर हैं, घर में उसकी मां और बहन स्वाति भी हैं। पहले एपिसोड में हम देख सकते हैं कि गणेश को कैसे अपने शरीर को लेकर यह फील होता है कि वह गलत शरीर में है, वह एक लड़के के शरीर में है लेकिन वह अंदर से एक लड़की है। उसे मां का मेकअप करना, उनके कपड़े पहनना और डांस करना पसंद है। जब स्कूल में उससे पूछा जाता है कि वह बड़ा होकर क्या बनेगा तो वह कहता है कि मैं बड़ा होकर मां बनूंगा। जिसके बाद सब हंसते हैं और उसकी टीचर कहती है कि लड़के कभी मां नहीं बन सकते।
कैसा है अभिनय
यह कहानी भले ही श्रीगौरी सावंत की है, लेकिन इसे देखते हुए हर दर्शक इससे कनेक्ट हो सकेगा। क्षितिज पटवर्धन ने यह स्क्रीनप्ले लिखा है, इसकी खूबी है कि यह पूरी कहानी फ्लैशबैक में चलती है, यानी श्रीगौरी सावंत की यादों में यह कहानी दिखाई गई है। जितने भी कलाकार सीरीज में सभी ने काफी बेहतरीन काम किया है। लेकिन सुष्मिता सेन की एक्टिंग इतनी दमदार है कि सीरीज देखते हुए आप यह भूल जाएंगे कि यह श्रीगौरी सावंत नहीं हैं।