अमेरिकी प्रेसिडेंट डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में एक executive order पर sign किए हैं, जिसके तहत Department of Education को बंद करके education related rights center और regional communities को सौंपने की प्रोसेस शुरू की जाएगी। यह कदम उनके चुनावी वादों में से एक था, जिसका motto एजुकेशनल सिस्टम में सुधार करने से जुड़ा है।
ट्रंप का मानना है कि शिक्षा संबंधी निर्णय स्थानीय स्तर पर लिए जाने चाहिए, ताकि राज्यों और समुदायों की डिमांड के अनुसार नीतियां बनाई जा सकें। इससे स्थानीय अधिकारी अपने छात्रों की जरूरतों को बेहतर तरीके से समझ और पूरा कर सकेंगे। हालांकि अमेरिकी संसद की मंजूरी लिए बिना ट्रंप ने इस कार्यकारी आदेश पर साइन किया है, जिसका विपक्षी दल विरोध कर रहा है।
शुरू से ही इस लॉ के खिलाफ थे Republicans
साल 1979 में जिमी कार्टर अमेरिका के प्रेसिडेंट थे। उसी समय अमेरिका की Federal government ने शिक्षा विभाग की स्थापना की थी। जब यह डिपार्टमेंट बनाया गया था, तब भी रिपब्लिकन लीडर्स ने इसका विरोध किया था।
इस डिपार्टमेंट का मकसद शिक्षा से जुड़े तमाम सरकारी कोशिशों को एक ही एजेंसी के अंडर लाना था। हालांकि, यह विभाग सीधे स्कूलों का सिलेबस तय नहीं करता था बल्कि शिक्षा से जुड़े आंकड़े एकत्रित करता था, शोध कार्यों को बढ़ावा देता था।
Department बंद करने से क्या होगा?
शिक्षा विभाग को समाप्त करने से संघीय बजट में कटौती संभव है। 2023 में विभाग का बजट लगभग $79 बिलियन था, और इसे समाप्त करने से कम्यूनिटी लॉस में कमी और लोन लेने वालों का बोझ कम होने की उम्मीद है। इस डिपार्टमेंट को खत्म करने से bureaucratic complexities में कमी आ सकती है।
इसके कई फायदे हो सकते हैं जैसे – वहां के states को अपनी जनसंख्या की विशेष आवश्यकताओं के अनुसार शिक्षा नीतियां बनाने की स्वतंत्रता मिलेगी।
Regional scenario में निर्णय लेने से नए और प्रभावी शिक्षा मॉडलों का विकास संभव है, जो छात्रों की आवश्यकताओं को पूरा कर सकते हैं। साथ ही राज्य सरकारें अपनी प्राथमिकताओं के अनुसार शिक्षा बजट का प्रबंधन कर सकेंगी, जिससे संसाधनों का अधिक प्रभावी उपयोग संभव होगा।
हालांकि इससे कई Negative impact भी हो सकते हैं, जैसे -States के बीच एजुकेशन क्वालिटी में indifference बढ़ सकता है, जिससे कुछ रीजन में स्टूडेंट्स को क्वालिटी एजुकेशन से वंचित होना पड़ सकता है।
शिक्षा विभाग विशेष जरूरतमंद छात्रों के लिए economical help, फंडिंग और स्टूडेंट लोन की निगरानी करता है। department के बंद होने से इन प्रोग्राम्स की consistency पर असर पड़ सकता है, जिससे disadvantaged groups के लिए एजुकेशन की पहुंच कम हो सकती है। और कई स्कूल और कॉलेज वित्तीय संकट का सामना कर सकते हैं, जिससे उनकी सर्विसेस की क्वालिटी प्रभावित हो सकती है।
डेमोक्रेट्स ट्रंप के इस फैसले से खुश नहीं हैं। उनका कहना है कि ये सबसे विनाशकारी कदमों में से एक है। इस फैसले से छात्रों को नुकसान होगा। हालांकि, ट्रंप के साइन के साथ ही शिक्षा विभाग खत्म नहीं हो जाएगा। इसके लिए संसद की मंजूरी जरूरी होगी लेकिन ट्रंप को भरोसा है कि वह इसे पास करा लेंगे। अब भविष्य में इस फैसले का क्या असर होगा ये देखने वाली बात होगी।