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World

वैश्विक स्तर पर वामपंथी ताकतें क्यों हो रही हैं कमज़ोर?

मोदी और ट्रंप जैसे नेताओं की बढ़ती लोकप्रियता यह संकेत देती है कि दुनिया अब किसी नए और कठोर राजनीतिक ढाँचे की ओर बढ़ रही है।

Last updated: नवम्बर 16, 2024 12:50 अपराह्न
By Rajneesh 6 महीना पहले
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5 Min Read
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पिछले कुछ वर्षों में, विश्व राजनीति में एक बदलाव देखा गया है जहां वामपंथी या उदारवादी विचारधाराओं की ताकत कम होती दिख रही है। वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य से ये बात स्पष्ट भी होती जा रही है – चाहे वह भारत हो, जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने तीसरी बार सत्ता संभाली है, या अमेरिका, जहां हाल ही में डोनाल्ड ट्रम्प ने मजबूत वापसी की है, कई उदाहरण यह दर्शाते हैं कि रूढ़िवादी और राष्ट्रवादी ताकतें अपनी पकड़ मजबूत कर रही हैं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तीसरी बार चुनाव में विजय इस बात का प्रतीक है कि भारतीय जनता का एक बड़ा तबका अब वामपंथी और उदारवादी विचारधारा की ओर से पूरी तरह कट चुका है। मोदी की सफलता का प्रमुख कारण उनकी सरकार द्वारा अपनाई गई राष्ट्रवादी नीतियाँ हैं, जो कि विशेषकर धार्मिक और सांस्कृतिक मुद्दों पर आधारित हैं। इसमें अयोध्या राम मंदिर, अनुच्छेद 370 का हटाना, और हिंदुत्व का एजेंडा शामिल है।

इसके अलावा, भारत में सामाजिक और आर्थिक सुधारों का मुद्दा भी महत्वपूर्ण रहा है। विपक्षी पार्टियाँ, विशेष रूप से कांग्रेस, एक ठोस आर्थिक एजेंडा देने में विफल रही हैं, और जनता में उनका समर्थन धीरे-धीरे घटता जा रहा है।

अमेरिका में डोनाल्ड ट्रम्प की हालिया जीत से संकेत मिलता है कि वहां के मतदाता वामपंथी और उदारवादी एजेंडों के प्रति असंतुष्ट हो रहे हैं। ट्रम्प का “अमेरिका फर्स्ट” का नारा, उनका सख्त आव्रजन नीति का समर्थन, और उनके राष्ट्रवादी दृष्टिकोण ने उन्हें काफी लोकप्रियता दिलाई है। खासकर मिड-वेस्ट और दक्षिणी राज्यों में ट्रम्प का समर्थन बढ़ा है, जहाँ जनता पारंपरिक और रूढ़िवादी मूल्यों का समर्थन करती है।

वामपंथी और उदारवादी एजेंडों की ओर से जो प्रगतिशील नीतियाँ सामने आईं, जैसे कि पर्यावरण संरक्षण, समान अधिकार, और स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार, वे बड़े पैमाने पर जनता को जोड़ने में असफल रहीं। यह स्पष्ट करता है कि ट्रम्प की वापसी सिर्फ उनके व्यक्तित्व की वजह से नहीं, बल्कि एक गहरे सांस्कृतिक बदलाव का प्रतीक भी है।

वर्तमान में लगभग 70 से अधिक देशों में दक्षिणपंथी सरकारें हैं, जिनमें से कुछ सबसे प्रमुख नाम भारत, अमेरिका, यूके, ब्राजील, इटली, और जापान हैं। ये देश अपने देशों में पारंपरिक मूल्यों को बढ़ावा देते हैं और अपनी राष्ट्रीय पहचान पर ज़ोर देते हैं।

वैश्विक परिदृश्य में देखें तो यूरोप से लेकर एशिया तक वामपंथी और उदारवादी सरकारें पीछे हटती नजर आ रही हैं। इसके कारण भी समान हैं – राष्ट्रवाद का उदय, आर्थिक असुरक्षा, और सांस्कृतिक असंतोष। चीन जैसे देशों की बढ़ती ताकत ने भी राष्ट्रवाद को बढ़ावा दिया है, जिससे पश्चिमी देशों में भी प्रतिक्रिया देने जैसे रूझान मजबूत हुए हैं।

वामपंथीक नीतियों में समाज के हर तबके को शामिल करने के प्रयास किए जाते हैं, लेकिन कई बार ये नीति विचारधाराएँ आम जनता की अपेक्षाओं को नहीं पूरा कर पातीं। वैश्वीकरण के इस दौर में, लोग अपनी राष्ट्रीय पहचान और सांस्कृतिक मूल्यों को बचाने के लिए प्रतिबद्ध हो गए हैं। उदारवादी नीतियों का इन मूल्यों से टकराव भी इसकी लोकप्रियता में गिरावट का कारण बनता है। वामपंथी सरकारें अक्सर बड़े सामाजिक कल्याण योजनाओं पर फोकस करती हैं, जो आर्थिक दृष्टिकोण से सही साबित नहीं होतीं। इसके चलते उन्हें विरोध का सामना करना पड़ता है। वामपंथ कई बार पारंपरिक धार्मिक और सांस्कृतिक मूल्यों को भी चुनौती देता है, जिससे उसके विरोध में कट्टरवादी संगठनों का उभार होता है।

इसके अतिरिक्त, सोशल मीडिया का बढ़ता प्रभाव भी एक महत्वपूर्ण कारण है। बहुत से युवा और मध्यमवर्गीय मतदाता अब ऐसे प्लेटफार्मों के जरिए राष्ट्रवादी संदेशों की ओर आकर्षित हो रहे हैं, और वामपंथी विचारधारा को अव्यावहारिक मान रहे हैं।

अमेरिका में जो हुआ वह हाल के वर्षों में ग्लोबल ट्रेंड के रूप में भी उभरा है। लिबरल राजनीति कहीं न कहीं अपने नैरेटिव को आम जन की जरूरतों, उनकी अपेक्षाओं के साथ कनेक्ट करने में विफल साबित हो रही है। इसका मूल कारण है आयडियॉलजिकल मुद्दों पर पूरी तरह ध्यान केंद्रित कर इसी के इर्द-गिर्द चुनाव लड़ने की उनकी रणनीति। इस कवायद में वे जनता को यह बताने-समझाने में या तो देरी कर जाते हैं या कहीं न कहीं विफल हो जाते हैं कि बुनियादी मुद्दों को सुलझाने के लिए उनके पास भी कोई ब्लू प्रिंट है।

मोदी और ट्रम्प जैसे नेताओं की बढ़ती लोकप्रियता यह संकेत देती है कि दुनिया अब किसी नए और कठोर राजनीतिक ढाँचे की ओर बढ़ रही है।

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TAGGED: conservatism, Donald Trump, european politics, global nationalism, global politics, india politics, leftist ideologies, Modi government, nationalism, thefourth, thefourthindia, trump presidency
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