रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे संघर्ष को तीन वर्ष हो चुके हैं, लेकिन हिंसा का अंत अभी तक नहीं हुआ है। इस दौरान, भारतीय विदेश मंत्रालय ने पुष्टि की है कि रूसी सेना में सेवा करते हुए 12 भारतीय नागरिक मारे गए हैं, जबकि 16 अन्य लापता हैं। यह स्थिति चिंताजनक है और यह प्रश्न उठाती है कि भारतीय नागरिक एक ऐसे देश की सेना में शामिल होने के लिए क्यों तैयार हो जाते हैं, जहां हर समय जान का जोखिम बना रहता है।
दरअसल रूस की सेना में विदेशी नागरिकों की भर्ती की प्रक्रिया 1998 में शुरू हुई थी, जब एक कानून पारित किया गया था जो 1999 में राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद लागू हुआ। इस कानून के तहत, 18 से 30 वर्ष की आयु के विदेशी नागरिक, जो रूसी भाषा बोलने, लिखने और समझने में सक्षम हैं, पांच वर्ष के कॉन्ट्रैक्ट के साथ रूसी सेना में शामिल हो सकते थे। हालांकि, 2022 में यूक्रेन के साथ युद्ध शुरू होने के बाद, इन नियमों में ढील दी गई और कॉन्ट्रैक्ट की अवधि घटाकर एक वर्ष कर दी गई।
रूस सरकार का कहना है कि अप्रैल, 2024 के बाद उसने अपनी सेना में भारतीयों की भर्ती पर रोक लगा दी है। साथ ही जो पहले से सेना में हैं, उनका कॉन्ट्रैक्ट बढ़ाया गया है। इसके बावजूद भारतीयों की मौत की खबरें आ रही हैं।
आपके मन में सवाल उठ सकता है कि अगर सेना में ही जाना है, तो भारतीय सेना क्यों नहीं? रूस आखिर ऐसा क्या दे रहा है, जो भारत ही नहीं बल्कि कई देशों के नागरिक उसकी तरफ से जंग में आग में झोंके जाने को तैयार हैं? इन सवालों से पहले जान लेेते हैं कि रूसी सेना में भर्ती होने के क्या फ़ायदे हैं।
रूस लंबे समय से ही अपनी सेना में विदेशियों की भर्ती को लेकर कई स्कीम लागू करता रहा है। रूस में विदेशी नागरिक किसी भी रैंक में जा सकते हैं। रूसी सेना में भर्ती होने वाले विदेशियों को 2000 से 2100 डॉलर तक हर महीने दिए जाते हैं। यानी करीब पौने दो लाख रुपये। लेकिन रूस पहुंचने के बाद तस्वीर कुछ और ही रहती है। पहले शर्त थी कि किसी भी विदेशी नागरिक को 5 साल सेना में रहना होगा। इसके बाद उसे रूस की नागरिकता मिल जाएगी। लेकिन 27 फरवरी, 2023 को इसे घटाकर एक साल कर दिया गया।
4 जनवरी, 2024 को पुतिन ने एक और आदेश पारित किया। इसके मुताबिक अगर कोई भी विदेशी नागरिक 1 साल तक सेना में रहता है, तो उसके पूरे परिवार को नागरिकता दे दी जाएगी। नागरिकता लेने की प्रक्रिया को भी आसान बना दिया गया।
लेकिन ये जितना सुनने में शानदार लग रहा है उतना है नहीं। कई मामलों में, भारतीय नागरिकों को रोजगार या शिक्षा के अवसरों का वादा करके रूस लाया गया, लेकिन वहां पहुंचने पर उनके पासपोर्ट जब्त कर लिए गए और उन्हें सेना में शामिल होने के लिए मजबूर किया गया।
रूस की सेना में सिर्फ भारतीय ही नहीं बल्कि कई देशों के नागरिक शामिल हैं। श्रीलंका, पाकिस्तान, बांग्लादेश, नेपाल समेत कई देशों के नागरिक इस समय रूस की सेना में हैं। एक अनुमान के मुताबिक 2019 तक ही 17 हजार से ज्यादा विदेशी नागरिक रूस की सेना में थे। ऐसा नहीं है कि ये लोग जो रूसी सेना में भर्ती हो रहे हैं, वो यूक्रेन से जंग लड़ना चाहते हैं। दरअसल वो एक ‘फ्रॉड’ में उलझ जा रहे हैं जो कई एजेंट्स द्वारा बुना गया है।
भारत सरकार इस तरह की भर्तियों को रोकने के लिए लगातार सख्त कदम उठाने में लगी हुई है। भारत की ओर से यह साफ किया गया है कि रूसी सेना में भर्ती एजेंट द्वारा धोखेबाजी है, इसमें फंसना नहीं चाहिए। पिछले CBI ने ऐसी 19 एजेंसियों के खिलाफ केस दर्ज किया था, जो रूसी सेना में भारतीयों की भर्ती में भूमिका निभा रही थी। बहुत से लोगों को अरेस्ट भी किया गया।
यह आवश्यक है कि भारतीय नागरिक विदेशों में रोजगार के अवसरों के बारे में सतर्क रहें और किसी भी संदिग्ध प्रस्ताव को स्वीकार करने से पहले उसकी पूरी जांच करें, ताकि भविष्य में भारतीय नागरिकों की जान जोखिम में न पड़े।