चुनाव आयोग ने इलेक्टोरल बॉन्ड यानी राजनीतिक दलों को दिए जाने वाले चंदे से जुड़े आकंड़े 14 मार्च को सार्वजनिक कर दिए। इन आँकड़ों से कई चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं। साथ ही सरकार और कॉर्पोरेट की मिलीभगत का खेल भी देखने को मिला है। भारतीय स्टेट बैंक ने भारत की सर्वोच्च अदालत के आदेशानुसार 12 मार्च को ही निर्वाचन आयोग को इलेक्टोरल बॉन्ड से जुड़ा डेटा दे दिया था।
चुनाव आयोग ने अपनी वेबसाइट पर इसे दो हिस्सों में जारी किया है। डेटा से जुड़ी पहली लिस्ट 337 पेज की है जिसमें उन कंपनियों की जानकारी है जिन्होंने बॉन्ड्स खरीदे हैं। वहीं दूसरी 426 पेज की लिस्ट में बॉन्ड से चंदा पाने वाले राजनीतिक दलों की जानकारी है।
ECI द्वारा जारी आकड़ों के मुताबिक़, बीजेपी सबसे ज़्यादा चंदा हासिल करने वाली पार्टी बनकर सामने आई है। भारतीय जनता पार्टी ने 12 अप्रैल, 2019 से 24 जनवरी, 2024 के बीच कुल 60 अरब रुपये से अधिक के चुनावी बॉन्ड भुनाए हैं। वहीं इस मामले में दूसरे नंबर पर तृणमूल कांग्रेस है, जिसने 16 अरब रुपये से अधिक के इलेक्टोरल बॉन्ड को इनकैश किया है। वहीं सबसे ज्यादा इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदने वाली कंपनी फ़्यूचर गेमिंग एंड होटल सर्विसेज़ है। इस कंपनी ने कुल1368 बॉन्ड खरीदे, जिसकी क़ीमत 13.6 अरब रुपये से अधिक रही।
आइए जानते हैं कि टॉप 30 में से उन 14 कंपनियों के चंदे और सरकारी एजेंसी के एक्शन के बारे में :
फ्यूचर गेमिंग और होटल सर्विसेज: इस कंपनी ने 27 अक्टूबर 2020 और 5 अक्टूबर 2023 के बीच 1368 करोड़ रुपये का चंदा दिया। 2022 में ED ने मनी लॉन्ड्रिंग मामले में कंपनी और उसके अलग-अलग उप-वितरकों की 409 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति ज़ब्त की थी।
इसके अलावा 2019 में भी ED ने लॉट्री स्कैम मामले में PMLA के तहत सैंटियागो मार्टिन और उनके सहयोगियों के कोयंबटूर जिले में स्थित इमारतों के साथ 61 फ्लैट, 82 खुले प्लॉट और 6 प्लॉट की 119.6 करोड़ रुपए के करीब की संपत्ति कुर्क की थी।
30 कंपनियों में से 13 पर इनकम टैक्स और जांच एजेंसियों ने छापे मारे
मेघा इंजीनियरिंग एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड: अक्टूबर 2019 में, इनकम टैक्स विभाग ने हैदराबाद और दूसरे शहरों में तेलुगु टाइकून कृष्णा रेड्डी की मेघा इंजीनियरिंग इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड (MEIL) के कई कार्यालयों पर छापेमारी की थी। तब से, कंपनी ने चुनावी बॉन्ड में 966 करोड़ रुपये का दान दिया है।
हल्दिया एनर्जी लिमिटेड: इस कंपनी ने चुनावी बॉन्ड में 377 करोड़ रुपये का चंदा दिया है। मार्च 2020 में इसे केंद्रीय जांच ब्यूरो की कार्रवाई का सामना करना पड़ा था।CBI की जांच से पहले 2019 के चुनावी महीने मई में करीब 15 करोड़ रुपए का चंदा दिया था।
वेदांता लिमिटेड: वेदांता ग्रुप की कंपनी तलवंडी साबो पावर लिमिटेड (TSPL) पर अगस्त 2022 में मनी लॉन्ड्रिंग जांच के सिलसिले में ईडी ने छापा मारा था। ग्रुप ने चुनावी बॉन्ड में सामूहिक रूप से 400 करोड़ रुपये का चंदा दिया है।
यशोदा सुपर स्पेशलिटी अस्पताल: हैदराबाद स्थित कॉर्पोरेट हॉस्पिटल चेन पर दिसंबर 2020 में IT अधिकारियों ने छापा मारा था। इसने अक्टूबर 2021 में चुनावी बॉन्ड में 162 करोड़ रुपये का दान दिया था।
डीएलएफ कमर्शियल डेवलपर्स लिमिटेड: रियल्टी डेवलपर कंपनी ने चुनावी बॉन्ड में 130 करोड़ रुपये का दान दिया। भूमि आवंटन में कथित अनियमितताओं को लेकर जनवरी 2019 में CBI अधिकारियों ने यहां छापा मारा था। फिर, नवंबर 2023 में, ED ने रियल एस्टेट फर्म सुपरटेक के खिलाफ जांच के सिलसिले में उसके गुरुग्राम कार्यालयों की तलाशी ली थी।
जिंदल स्टील एंड पावर लिमिटेड: अप्रैल 2022 में ED ने विदेशी मुद्रा नियमों के कथित उल्लंघन से जुड़े जांच के सिलसिले में JSPL के परिसरों की तलाशी ली थी। कंपनी ने चुनावी बॉन्ड के जरिए कुल 123 करोड़ रुपये का चंदा दिया।
चेन्नई ग्रीनवुड्स प्राइवेट लिमिटेड: कंस्ट्रक्शन फर्म चेन्नई ग्रीनवुड्स प्राइवेट लिमिटेड पर जुलाई 2021 में IT अधिकारियों ने छापा मारा था। जनवरी 2022 में इसने चुनावी बॉन्ड में 105 करोड़ रुपये का दान दिया था।
डॉक्टर रेड्डीज लैबोरेटरीज लिमिटेड: नवंबर 2023 में, आईटी अधिकारियों ने टैक्स चोरी के आरोप में डॉ. रेड्डीज लैबोरेटरीज के डॉ. के नागेंद्र रेड्डी के यहां छापेमारी की थी। यह तेलंगाना की शिक्षा मंत्री सबिता इंद्रा रेड्डी के परिसरों की तलाशी से जुड़े एक बड़े ऑपरेशन का हिस्सा था। डॉ रेड्डीज लैबोरेट्रीज ने तब तक चुनावी बॉन्ड के जरिए 80 करोड़ रुपये का दान दिया था।
आईएफबी एग्रो लिमिटेड: जून 2020 में, भारत के सबसे बड़े डिस्टिलर और स्पिरिट निर्माताओं में से एक, आईएफबी एग्रो ने आरोप लगाया कि जीएसटी खुफिया महानिदेशालय (DGGST) की कोलकाता जोनल यूनिट ने कंपनी के नूरपुर प्लांट पर छापा मारा था।
एनसीसी लिमिटेड: हैदराबाद स्थित फर्म ने चुनावी बॉन्ड के जरिए 60 करोड़ रुपये का चंदा दिया है। टैक्स चोरी के आरोप में आयकर विभाग ने नवंबर 2022 में कंपनी पर छापेमारी की थी।
डिवि एस लेबोरेटरी लिमिटेड: हैदराबाद स्थित डिविज लेबोरेटरी को फरवरी 2019 में आईटी कार्रवाई का सामना करना पड़ा। कंपनी ने तब से चुनावी बॉन्ड के जरिए 55 करोड़ रुपये का चंदा दिया था।
यूनाइटेड फॉस्फोरस इंडिया लिमिटेड: IT विभाग ने जनवरी 2020 में यूपीएल के कार्यालयों और परिसरों पर छापेमारी की थी। कंपनी ने नवंबर 2022 में चुनावी बॉन्ड के जरिए 50 करोड़ रुपये का चंदा दिया।
अरबिंदो फार्मा: प्रवर्तन निदेशालय ने 10 नवंबर 2022 में कथित दिल्ली शराब नीति घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग जांच के सिलसिले में अरबिंदो फार्मा के निदेशक सरथ रेड्डी को गिरफ्तार किया था।
चुनावी बॉन्ड खरीदने वाली अन्य बड़ी कंपनियों में ग्रासिम इंडस्ट्रीज, टोरेंट पावर, भारती एयरटेल, डीएलएफ कमर्शियल डेवलपर्स, अपोलो टायर्स, लक्ष्मी मित्तल, एडलवाइस, पीवीआर, सुला वाइन, वेलस्पन, सन फार्मा, आईटीसी, महिंद्रा एंड महिंद्रा, डीएलएफ, पीवीआर, बिड़ला, बजाज, जिंदल, स्पाइसजेट, इंडिगो और गोयनका आदि शामिल हैं।