भारत में पुरुषों द्वारा आत्महत्या के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। यह सिर्फ मानसिक स्वास्थ्य की समस्या नहीं है, बल्कि समाज, कानून और आर्थिक दबावों से भी जुड़ी हुई है। यह सवाल उठाता है कि आखिर क्यों पुरुषों की ये तकलीफें अनसुनी रह जाती हैं।
आंकड़े जो सोचने पर मजबूर करते हैं
National Crime Records Bureau (NCRB) के अनुसार, भारत में हर साल हजारों पुरुष आत्महत्या कर लेते हैं। महिलाओं की तुलना में पुरुषों में आत्महत्या के मामले लगभग दोगुना है। खासकर कामकाजी पुरुषों में यह समस्या अधिक देखी जा रही है, जो परिवार और नौकरी की जिम्मेदारियों का दबाव नहीं झेल पाते।
अतुल सुभाष का मामला: कानूनी दुरुपयोग का दर्द
कुछ समय पहले ही बेंगलुरु के engineer अतुल सुभाष ने आत्महत्या कर ली थी। अपने सुसाइड नोट में उन्होंने पत्नी और ससुराल वालों पर मानसिक प्रताड़ना का आरोप लगाया था। यह घटना उन कई पुरुषों की ओर इशारा करती है जो कानूनों के दुरुपयोग का शिकार होते हैं। दहेज प्रताड़ना से बचाने के लिए बनाई गई 498A जैसी धाराओं का कई बार गलत इस्तेमाल होता है, जिससे पुरुषों और उनके परिवारों को मानसिक और कानूनी तनाव झेलना पड़ता है।
आर्थिक दबाव: बढ़ता बोझ
बेरोजगारी, कर्ज और घर चलाने की जिम्मेदारी पुरुषों पर भारी पड़ती है। समाज पुरुषों को “कमाने वाला” मानता है, जिससे उन पर आर्थिक दबाव बढ़ता है। कर्ज का बढ़ता बोझ और आर्थिक अस्थिरता उन्हें निराशा की ओर ले जाती है।
मानसिक स्वास्थ्य: अनदेखी समस्या
पुरुष अपनी भावनाएं और समस्याएं अक्सर दबा लेते हैं। समाज उन्हें “मजबूत” और “कठोर” मानता है, जिससे वे अपनी मानसिक समस्याओं को किसी के साथ साझा नहीं कर पाते। यही मानसिक दबाव कई बार आत्महत्या का कारण बनता है।
Alimony और कानून का दर्द
तलाक के मामलों में कई बार Alimony (भरण-पोषण) का इस्तेमाल पुरुषों को मानसिक और आर्थिक रूप से परेशान करने के लिए किया जाता है। लंबे समय तक चलने वाली कानूनी लड़ाइयां पुरुषों पर गहरा असर डालती हैं। यह समस्या उनके मानसिक स्वास्थ्य को और कमजोर कर देती है।
समाधान: अगर आप महसूस करें कि किसी पुरुष को मानसिक परेशानी हो रही है, तो क्या करें?
- सुनें और समझें: अगर आपको लगता है कि किसी पुरुष को तनाव या चिंता हो रही है, तो सबसे पहले उसे ध्यान से सुनें। बिना जज किए उसकी बातें समझने की कोशिश करें। यह एक बड़ा कदम हो सकता है जो उस व्यक्ति को अपनी भावनाओं को व्यक्त करने का हौसला देगा।
- प्रोत्साहित करें कि वह मदद लें: मानसिक स्वास्थ्य की समस्याओं को हल करने के लिए मदद लेना जरूरी है। आप उस व्यक्ति को काउंसलिंग या मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ से मिलवाने के लिए प्रेरित करें। यह उसे सही दिशा में मदद कर सकता है।
- सकारात्मक माहौल बनाएं: अगर कोई व्यक्ति मानसिक परेशानी से जूझ रहा है, तो उसे अपने आसपास सकारात्मक और सहायक वातावरण की आवश्यकता होती है। उसे यह एहसास दिलाएं कि वह अकेला नहीं है और उसकी समस्याओं को हल किया जा सकता है।
- प्रेरणा दें, लेकिन दबाव न डालें: किसी पुरुष को अगर आप महसूस करते हैं कि वह मानसिक परेशानी से जूझ रहा है, तो उसे धीरे-धीरे खुद को खुलने के लिए प्रोत्साहित करें, लेकिन उस पर किसी तरह का दबाव न डालें।
- आवश्यक कदम उठाएं: अगर आप महसूस करें कि वह व्यक्ति आत्महत्या या हिंसा का विचार कर रहा है, तो तुरंत किसी पेशेवर से संपर्क करें या उसकी मदद करने के लिए परिवार और दोस्तों को सूचित करें।
- संगठित समर्थन: परिवार और दोस्तों के बीच एक मजबूत समर्थन नेटवर्क बनाएं, ताकि उस व्यक्ति को हर कदम पर मदद मिल सके और वह खुद को अकेला महसूस न करे।
इस तरह, एक व्यक्ति न केवल खुद को बल्कि अपने आसपास के पुरुषों को भी मानसिक परेशानियों से बाहर निकलने में मदद कर सकता है।
पुरुषों में बढ़ती आत्महत्याएं समाज के लिए एक बड़ी चेतावनी हैं। हमें यह समझना होगा कि पुरुष भी भावनात्मक और मानसिक सहयोग के हकदार हैं। समाज और परिवार को एक ऐसा माहौल बनाना चाहिए, जहां पुरुष अपनी समस्याएं खुलकर बता सकें। आत्महत्या किसी भी समस्या का हल नहीं है, बल्कि इसे रोकने के लिए हमें सभी स्तरों पर काम करना होगा।