अफगानिस्तान में तालिबान के 2021 में सत्ता में आने के बाद से महिलाओं के अधिकार और स्वतंत्रता पर लगातार हमले हो रहे हैं। 1996-2001 के अपने पहले शासनकाल के दौरान भी तालिबान ने महिलाओं को समाज से अलग रखने और उन्हें शिक्षा, नौकरी और स्वतंत्रता से वंचित करने के कठोर नियम लागू किए थे। दो दशक बाद जब तालिबान ने फिर से सत्ता संभाली, तो उन्होंने वही दमनकारी नीतियां लागू करनी शुरू कर दीं। हाल ही में, देश के इकलौते Women’s Radio Station, Radio Begum को बंद कर दिया गया, जो महिलाओं के लिए एक सशक्त माध्यम था।
Women’s Radio Station बंद, छीन ली गई महिलाओं की आखिरी आवाज़
अफगानिस्तान का ‘Radio Begum’ radio station, जो महिलाओं के अधिकारों, शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे मुद्दों को उठाने का एकमात्र माध्यम था, तालिबान ने यह कहते हुए बंद कर दिया कि यह उनके नियमों का उल्लंघन कर रहा है। यह radio station न केवल महिलाओं के लिए एक platform था, बल्कि उन महिलाओं की भी आवाज़ था जो अपनी स्वतंत्रता के लिए संघर्ष कर रही थीं।
तालिबान का पहला शासन बनाम आज का दौर
1996-2001 के दौरान तालिबान का शासन भी महिलाओं के लिए कठोर था, लेकिन तब कुछ हद तक सामाजिक संगठनों और अंतरराष्ट्रीय दबाव के कारण महिलाओं को मदद मिल पाई थी। 2001 के बाद जब अमेरिका और अन्य देशों ने तालिबान को सत्ता से हटाया, तब महिलाओं को शिक्षा, रोजगार और समाज में भागीदारी के अवसर मिले।
पहले का दौर: महिलाओं ने स्कूल और कॉलेज में पढ़ाई शुरू की, नौकरियों में हिस्सा लिया और सरकार से लेकर मीडिया तक हर क्षेत्र में अपनी जगह बनाई।
आज का दौर: महिलाओं को फिर से उनके घरों में कैद कर दिया गया। उनकी शिक्षा और रोजगार छीनकर उन्हें केवल घरेलू जिम्मेदारियों तक सीमित कर दिया गया है।
महिलाओं का भविष्य: अंधकारमय स्थिति
तालिबान की दमनकारी नीतियों ने अफगानिस्तान की महिलाओं का भविष्य पूरी तरह से अंधकारमय बना दिया है। शिक्षा, रोजगार और स्वतंत्रता से वंचित होकर महिलाएं आज हर स्तर पर कमजोर हो गई हैं। 2021 में सत्ता में आने के बाद से, महिलाओं पर कई सख्त प्रतिबंध लगाए गए हैं, जो उन्हें समाज से लगभग पूरी तरह अलग कर देते हैं। तालिबान ने हाल ही में महिलाओं के खिलाफ कई नए कानून लागू किए हैं। तालिबान का शासन महिलाओं के लिए हमेशा से अत्याचार का प्रतीक रहा है।
- शिक्षा पर प्रतिबंध: लड़कियों को Secondary Education और उच्च शिक्षा से वंचित कर दिया गया है। विश्वविद्यालयों में महिलाओं का प्रवेश पूरी तरह से रोक दिया गया है।
- कम उम्र में शादी: तालिबान ने विवाह के लिए महिलाओं की न्यूनतम उम्र घटाकर 13-14 वर्ष कर दी है। यह कानून न केवल उनके बचपन को छीनता है, बल्कि उन्हें कम उम्र में जिम्मेदारियों के बोझ तले दबा देता है।
- सार्वजनिक जीवन से बहिष्कार: महिलाओं को पार्क, जिम और बागानों जैसे सार्वजनिक स्थानों पर जाने की अनुमति नहीं है।
- पहनावे पर सख्त नियंत्रण: Burqa पहनना अनिवार्य है और बिना इसे पहने बाहर निकलने पर सज़ा दी जाती है।
- NGO और नौकरी पर रोक: महिलाओं को गैर-सरकारी संगठनों (NGOs) और अन्य sectors में काम करने से रोक दिया गया है।
- Driving पर प्रतिबंध: महिलाओं के वाहन चलाने पर पूरी तरह से रोक लगा दी गई है।
- Health Sector में कटौती: कई स्वास्थ्य सुविधाओं में महिलाओं के इलाज के लिए महिला डॉक्टरों की कमी हो गई है क्योंकि महिलाएं medical क्षेत्र में काम करने से रोक दी गई हैं।
इन कानूनों के चलते अफगानिस्तान की महिलाएं अब पूरी तरह से अपने घरों में कैद हो चुकी हैं। उनकी शिक्षा, स्वतंत्रता और आर्थिक आत्मनिर्भरता को छीन लिया गया है। यह दमनकारी माहौल उनके जीवन को न केवल सीमित करता है, बल्कि यह समाज के विकास और भविष्य के लिए भी एक गंभीर खतरा है।
Women’s Radio Station का बंद होना केवल एक घटना नहीं है, बल्कि यह महिलाओं के अधिकारों पर तालिबान के एक और हमले का प्रतीक है। अफगानिस्तान की महिलाएं हर दिन अपने अस्तित्व और स्वतंत्रता के लिए लड़ रही हैं। यह दुनिया के लिए एक गंभीर चेतावनी है कि अगर अब कदम नहीं उठाए गए, तो लाखों महिलाओं की आवाज़ और उनके सपने हमेशा के लिए दबा दिए जाएंगे।