तेलंगाना के नगरकुरनूल जिले में एक दर्दनाक हादसा हुआ, जब Srisailam Left Bank Canal (SLBC) टनल प्रोजेक्ट के निर्माणाधीन खंड की छत का एक हिस्सा अचानक से गिर गया। इस दुर्घटना में 8 लोग अंदर फंसे हुए हैं, जिन्हें बाहर निकालने का प्रयास जारी हैं।
क्या हैं पूरी कहानी?
यह घटना शनिवार की हैं, जब 50 से अधिक मज़दूर और इंजीनियर टनल के अन्दर काम कर रहे थे। वे लोग सुरंग के 13.5 किमी तक अंदर पहुंच चुके थे कि छत ढह गई। 42 लोग तो बाहर निकलने में कामयाब रहे, लेकिन 2 इंजीनियर और 6 श्रमिकों सहित कुल 8 लोग अंदर ही फंस गए। बचाव दल घटना स्थल पर पहुंच चुका हैं और कोशिश जारी हैं।
बचाव अभियान में शामिल दल!
बड़े स्तर पर बचाव अभियान चलाया जा रहा हैं, जिसमें लगभग 300 लोग शामिल हैं। इनमें NDRF के 128, SDRF के 120, 24 सेना के जवान और 23 सिंगरानी कोलियरीज के लोग शामिल हैं।
ताज़ा जानकारी और मुश्किलें!
ताज़ा खबरों के अनुसार, रैट माइनर्स भी इस बचाव अभियान में शामिल हो चुके हैं जिससे उत्तराखंड में सिल्क्यारा बेंड-बरकोट सुरंग में फंसे श्रमिकों को बाहर निकाला गया था। NDRF के जवान सुरंग के अंदर बोरिंग मशीन तक पहुंच चुके हैं। मगर कीचड़ और मलबे की वजह से अभियान में बाधा आ रही है। सुरंग के लगभग 2 किमी हिस्से में पानी भरा है। लगभग 200 मीटर हिस्से में कीचड़ और मलबे का ढेर है। भारी मोटरों के सहारे सुरंग में भरा पानी निकाला जा रहा है। इस बीच सुंरग के अंदर जाने वाली लोको ट्रेन भी 11 किमी अंदर खराब हो गई है। इससे भी अभियान में बाधा पहुंच रही है। ट्रेन को ठीक करने की कोशिश की जा रही है।
बढ़ता समय और घटती उम्मीदें!
इस घटना को तकरीबन 48 घंटे पूरे हो चुके हैं। हर पल गुज़रने के साथ श्रमिकों के वापस सही सलामत लौटने की उम्मीदें कम होती जा रही हैं। तेलंगाना मंत्रिमंडल के दो मंत्री उत्तम कुमार रेड्डी और जे. कृष्ण राव स्थल पर मौजूद हैं और इस अभियान की निगरानी कर रहे हैं। मंत्री लोको ट्रेन से अंदर भी गए थे। कृष्ण राव के अनुसार सुरंग के अंदर बहुत सा मलबा जमा हो गया हैं जिसके कारण उससे गुज़रना कठिन हो गया हैं । बचाव दल का अभी तक किसी श्रमिक से कोई भी संपर्क नहीं हो पाया हैं।
ऑक्सीजन सप्लाई और संघर्ष जारी!
सुरंग के अंदर फंसे लोगों को ऑक्सीजन की सप्लाई जारी हैं, ताकि उनका जीवन सुरक्षित रहे। हालांकि पानी और मलबे के कारण लगातार बाधाएं उत्पन्न हो रही हैं। बढ़ते समय के साथ स्थिति और भी मुश्किल होती जा रही हैं।