शरीर और मन दोनों को सेहतमंद बनाए रखने के लिए नियमित रूप से दिनचर्या में योगा को शामिल करके लाभ प्राप्त किया जा सकता है। योग, शरीर में ऊर्जा के स्तर को बढ़ावा देने के साथ मन को शांत भी करता हैं। ऐसे में यह कहा जा सकता है कि जीवन की गुणवत्ता को बढ़ाने के लिए योगासनों का नियमित अभ्यास आपके लिए काफी मददगार होता है। योग का अभ्यास शरीर, श्वास और मन को जोड़े रखता है। समग्र स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए योगासनों में शारीरिक आसन, सांस लेने के व्यायाम और ध्यान का संयोजन किया जाता है।
योग के जन्मदाता कौन है?
योग के जन्मदाता महर्षि पतंजलि को माना जाता है। जब भी योग की बात आती है, तो महर्षि पतंजलि का नाम प्रमुख रूप में लिया जाता है। ऐसा इसलिए क्योंकि महर्षि पतंजलि ही एकमात्र व्यक्ति थे, जिन्होंने योग को आस्था, और अंधविश्वास से बाहर निकालकर योग को एक सुव्यवस्थित रूप दिया था। जबकि योग तो प्राचीनकाल से ही साधु संतों के मठो में किया जाता था। आदिदेव शिव जी और गुरु दत्तात्रेय को योग का जनक माना गया है। शिव जी के सात शिष्यों ने योग का प्रचार धरती पर किया था।
योग के प्रकार
हमारे यहाँ के ऋषि मुनि जब वनों में अध्यात्म की खोज के लिए जाते थे, और जब वो पशु पक्षियों को देखते थे, तो उनमे वो योग की क्रिया को देखते थे। और इन पशु पक्षियों को ना तो सर्दी और ना ही बुखार आदि होता है, जिस प्रकार हम मनुष्य को होता है। उन्होंने हमे बताया की, उनके बैठने का तरीका, खाने का तरीका और पानी पीने का तरीका बहुत ही अलग और सही है। जो की हम मानव को भी करना चाहिए। देखिए जिन्हें हम जानवर कहते है। उन्हें बिना बताये और बिना सिखाये ही कितना ज्ञान है। वो पानी धीरे धीरे पीते है। खाते है तो चबा चबा कर है। यह सब उन्हें सिखाया नही जाता और उनके इसी तरह से रहने की क्रिया ने कई योग को जन्म दिया। वैसे तो योग को हम 6 भागो में बाट सकते है, जो कुछ इस प्रकार है।
(1) पशुवत आसन
मयूर आसन, भुजंगासन, सिंहासन, शलभासन, मत्स्यासन, शवासन, नौकासन, उल्लू आसन, हंसासन, गरुड़ासन यह सभी आसन पशु पक्षियों को देखकर और उनके उठने बैठने की क्रिया है और नाम भी उन्ही के नाम पर आधारित है।
(2) वस्तुगत योग आसन
धनुरासन, हलासन, वज्रासन, बालासन, नौकासन, दंडासन, शिलासन, अर्ध धनुरासन, उर्ध्व धनुरासन, विपरीत नौकासन इस प्रकार के आसन निर्जीव वस्तुओं को देखकर बनाये गए है।
(3) प्रकृति योग आसन
हमारे आस-पास के वातावरण में प्रकृति की सुंदरता से जुड़े कुछ आसन इस प्रकार बनाए गए है। लतासन, पद्मासन, वृक्षासन, ताड़ासन, मंडूकासन, अर्धचंद्र, तलाबासन, पर्वतासन, अधोमुख वृक्षासन, अनंतासन।
(4) अंग या मुद्रा योग आसन
मनुष्य के अंग और उनके बैठने उठने के आसन को योग का नाम दिया है, वो इस प्रकार है। सर्वांगासन, पादहस्तासन, सलम्ब सर्वांगासन, शीर्षासन, विपरीतकरणी सर्वांगासन, मेरुदंडासन, सुप्तपादसनगुष्ठासन, कटिचक्रासन, मलासन, प्रनमुक्तासन, भुजपीडासन।
(5) योगिनां योग आसन
इस प्रकार के आसन किसी योगी, संत या किसी देवता के नाम पर आधारित है। जैसे की महावीरासन, हनुमानासन, ब्रहामुद्रासन, भारद्वाज आसन, वज्रासन, वीरभद्रासन, वशिष्ठासन, ध्रुवासन, मत्स्येन्द्रासन, भैरवासन।
(6) अन्य प्रकार के आसन
अन्य प्रकार के योग कुछ इस तरह होते है। वज्रासन, पवनमुक्तासन, सुखासन, योग मुद्रा, चक्रासन, स्वस्तिकासन, वतायनासन, पासासन, उपविष्ठ कोणासन, बद्धकोणासन।
योग करते समय इन बातों का विशेष ध्यान रखें
वैसे तो योग आमतौर पर सुरक्षित होता हैं, फिर भी यदि आप गलत आसन में इसका अभ्यास करते हैं, तो इससे मांसपेशियों में खिंचाव आने की दिक्कत हो सकती है। योग करते समय सुरक्षित रहने के लिए इसका सही तरीके से अभ्यास किया जाना आवश्यक है। पहले धीरे-धीरे इसकी शुरुआत करें और समय के साथ इसे बढ़ाते जाएं। अपनी सेहत के हिसाब से योग का चयन करने के लिए आप किसी विशेषज्ञ की सहायता भी ले सकते है।
योग करने के लाभ
(1) योग करने से शरीर स्वस्थ रहता है।
(2) योग ना केवल मानसिक बल्कि शारीरिक लाभ भी प्रदान करता है।
(3) योग से रक्त संचार बढ़ता है।
(4) योग से बुढ़ापा जल्दी हमारे शरीर को नहीं घेरता है।
(5) योग से शरीर हल्का-फुल्का चुस्त तथा गतिशील बना रहता है।
(6) योग से कसरत करने की क्षमता बढ़ती है ओर शरीर स्वास्थ्य रहता है।
(7) योग से व्यक्ति मेहनती बनता है।
(8) योग से जीवन उल्लासपूर्ण और सुखी रहता है।
(9) योग करने वाला व्यक्ति हंसमुख, आत्मविश्वासी, उत्त्साहि तथा निरोग रहता है।
(10) सबसे श्रेष्ठ योग व्यायाम है।
(11) योग करने वाले के चहरे पर एक अलग ही तेज रहता है।
(12) योग से लाभ भी तभी होंगा जब हम योग सही प्रकार से करेंगे।