चुनावी साल में दाखिल हो चुके मध्य प्रदेश के हर इलाके मे सियासत के अंदाज़ी घोड़ों की दौड़ शुरू हो गई है इन्ही मे से एक रेस है, इंदौर के शहर कांग्रेस अध्यक्ष की । सुगबुगाहट है कि इसी महीने फैसला हो जाएगा की आने वाले विधानसभा चुनाव में शहर कांग्रेस की कप्तानी कौन करेगा ?
नाम तो तीन-चार चल रहे हैं, लेकिन सबसे आगे दो ही चेहरे हैं। गोलू अग्निहोत्री और अरविंद बागड़ी । इस बात के आसार कम ही है कि विनय बाकलीवाल को दोबारा मौका मिले । गोलू का दावा सबसे मजबूत है और इस मजबूत दावे की वजह है पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ का एक अधूरा वादा।
इस अधूरे वादे का बीज पिछले विधानसभा चुनाव के वक्त पड़ा था। ज़रा याद करिए टिकटों के ऐलान का वो वक्त, जब एक नंबर विधानसभा से गोलू अग्निहोत्री का कांग्रेस प्रत्याशी बनना तय हो गया था, उनका टिकट तय हो गया था । मिठाइयों का दौर चल पड़ा था । फिर सियासी ऊंट ने करवट बदली और अचानक उनका टिकट कट गया ।
संजय शुक्ला को टिकट दे दिया गया और उनको एक नंबर मे कांग्रेस का चेहरा बना दिया गया । “हाथ आया लेकिन मुंह ना लगा” वाली हालत में पहुंचे गोलू का सब्र जवाब दे गया और आंसू तक बह निकले, विद्रोह की बातें भी चल पड़ी थी। फिर न जाने क्या हुआ कि गोलू ने खुद को संभाला । उस सब्र की वजह कमलनाथ के उस अधूरे वादे को ही बताया जाता है ।
बंद कमरों मे हुआ या फोन पर? साफ नही है लेकिन कमलनाथ की तरफ से यह बात पहुंचा दी गई थी “और थोड़ा इंतजार कर लो फल मीठा होगा” । गोलू ने बड़ा दिल दिखाया और सच्चे सिपाही की तरह कांग्रेस के काम में जुट गए। दिल पर पत्थर रख लिया और मुंह पर हंसी ।
अब वक्त आ गया है कि वह अधूरा वादा पूरा हो जाए । बातें हैं कि शहर कांग्रेस अध्यक्ष का पद भी मिलेगा और विधानसभा का टिकट भी ।
गोलू के मजबूत दावे की दूसरी अहम वजह उनकी जेब है, जो कि शहर कांग्रेस में सबसे भारी मानी जाती है। जेब के मामले में शायद कोई टक्कर दे भी दे, लेकिन जब भी बात नियत और दौलत की आएगी गोलू सब पर भारी पड़ेंगे।
इस लिस्ट में दूसरा नाम अरविंद बागड़ी का भी है, जो जेब के मामले में तो किसी से पीछे नहीं लेकिन कुछ वजह है जो उन्हें दौड़ मे दूसरे नंबर पर कर रही हैं। अरविंद पूर्व पार्षद रहे हैं और डटकर लड़ने वाले कांग्रेसियों मे से एक माने जाते हैं । कोरोना काल में उन्होंने खूब मेहनत की । घर-घर राशन भी पहुंचाया था । हर जरूरतमंद के साथ खड़े थे। उनकी बहादुरी और दरियादिली पर बड़े कांग्रेस नेता ने भी ताली बजाई थी । अरविंद इस दौड़ में दूसरे नंबर पर जरूर है, लेकिन इतने भी पीछे नही हैं कि उन्हें हारा हुआ मान लिया जाए। क्योंकि पिक्चर अभी बाकी है। और फिर कांग्रेस का बच्चा-बच्चा जानता है कि गोलू की किस्मत सांप सीडी के उस खेल की तरह है जिसमे पांसा 100 पर पहुंचने ही वाला होता है और अचानक ज़ीरो पर आ जाता है।
लिस्ट में तीसरा नाम राजेश चौकसे का है, राजनीति के पुराने खिलाड़ी हैं और भाजपा को उसी की भाषा मे जवाब देना जानते हैं । यानी हर वो तीर उनके तरकश मे है जो युद्ध जीतने के लिए फिलहाल के हालात मे जरूरी है ।
इस दौड़ मे अगला नाम मौजूदा अध्यक्ष विनय बाकलीवाल का है। जो इतनी आसानी से हार नही मानने वाले। खबर है कि पूर्व मंत्री सज्जन सिंह वर्मा की मदद से अपनी गुहार भोपाल तक पहुंचा रहे हैं ।
बाकलीवाल का अनुभव भी उन्हें दौड़ में जिंदा रखे हैं, लेकिन राह में कांटे इतने हैं कि फिनिश लाइन तक पहुंचना मुश्किल दिखता है । सबसे बड़ी मुश्किल है पार्षद चुनाव के वक्त कांग्रेस का बुरी तरह हारना । दूसरी वजह यह है कि तीनो कांग्रेस विधायक की विधायकों से मिठास कम है। जीतू पटवारी हो, विशाल पटेल हो या संजय शुक्ला, बाकलीवाल के कंधे से कंधा मिलाने के मूड में नहीं दिख रहे।
इस रेस में अश्विन जोशी और सुरजीत सिंह चड्ढा का नाम भी है । यह दौड़ तो रहे हैं, लेकिन मंजिल तक पहुंचते नहीं दिख रहे ।
वहीं कार्यवाहक अध्यक्ष के लिए भी “एक अनार सौ बीमार” वाली स्थिति है; इस पद के लिये भी है दर्जन भर नाम
सब जानते है कि कांग्रेस मे कार्यकर्ता कम और नेता ज़्यादा है, जब भी किसी पद की बारी आती है “एक अनार सौ बीमार” वाली कहावत साबित हो जाती है। कार्यवाहक अध्यक्ष के लिए भी हालात ऐसे ही हैं, करीब एक दर्जन नाम इस पद के लिए चर्चा मे है । इन नामो मे पहला नाम राजू भदोरिया का है । टंटू शर्मा, देवेंद्र यादव, नितेश नरवले, अमन बजाज, गोपाल यादव, मुकेश यादव, कमल वर्मा और संतोष वर्मा भी इसी दौड़ का हिस्सा है।