राजनीति पूरी तरह से संभावनाओं का खेल है और यहां कुछ भी कभी तय नही होता। किस पर विश्वास किया जाये किस पर ना किया जाये ये भी बड़ा मुश्किल हो जाता है। सालों के बने रिश्ते हों या खून के सियासी भूकंप मे अक्सर सारे स्तंभ हिल जाया करते हैं। ऐसा हाल आजकल शरद पवार के साथ हो रहा है। राजनीति मे हमेशा अपनी मजबूत अडिग व्यक्तीव के लिए मशहूर शरद पवार भी आज अनिश्चितता और संभावनाओं के चक्रवात के बीच फंसे हुए है। महाराष्ट्र NCP में जारी सियासी घमासान को लेकर आज 5 जुलाई का दिन बेहद अहम साबित हो सकता है। वैसे ये विभाजन कुछ कुछ शिवसेना के विभाजन की याद भी दिलाता है। बहरहाल, अजित और शरद पवार गुटों ने अलग-अलग बैठक बुलाई गई है। प्रतीत होता है कि दोनों गुटों ने आज शक्तिप्रदर्शन का मन बनाया है, वैसे क्या होगा ये सवाल है जिसमें भी कई संभावनाएं छुपी है।
पार्टी के नाम और सिंबल पर किसका हक़
सवाल और भी हैं जैसे जनता के मन मे सवाल है कि दोनों गुटों मे पार्टी के नाम और सिंबल का अधिकार किसे मिलेगा। आम तौर पर राजनीति से जुड़े मुद्दो पर लोगों की समझ यही कहती है कि जिसके पास बहुमत होगा। क्यूंकि लोकतंत्र में संख्या का महत्व इसीलिए होता ऐसे में ये आम समझ है कि जिस गुट के पास दो तिहाई विधायक होंगे, उसे पार्टी का अधिकार मिल जाएगा या सिंबल उनके पास चला जाएगा। ये पूरा सच नहीं है। पार्टी के संविधान, स्पीकर के विवेक और चुनाव आयोग पर भी काफी कुछ निर्भर करता है। कोर्ट जाने का रास्ता तो खुला रहता ही है।
अजित का दावा 40 विधायक उनके साथ
NCP के 53 में से 37 से ज्यादा विधायक अजित के साथ जाते हैं तो दल-बदल कानून से बच जाएंगे। 36 से कम रहे तो निलंबन तय है। स्थितियां अजित के पक्ष में हैं। अजित पवार का दावा है कि उन्हें राज्य विधानसभा में NCP के कुल 53 विधायकों में से 40 से अधिक का समर्थन प्राप्त है। दलबदल विरोधी कानून के प्रावधानों से बचने के लिए अजित के पास 36 से अधिक विधायक होने चाहिए।अजित पवार को फिलहाल 31 का ही समर्थन मिला है। वहीं, शरद पवार गुट की मीटिंग में 13 विधायक और चार सांसद पहुंचे। एनसीपी के कुल 53 विधायक हैं। ऐसे में 9 विधायक अब तक किसी गुट में शामिल नहीं हुए हैं। शरद पवार गुट ने आयोग से गुहार लगाई कि कोई भी अगर एनसीपी पर अपने अधिकार और नाम निशान पर दावा करे तो आयोग उनकी दलीलें भी सुने। पवार गुट ने पार्टी में बगावत कर दल बदल करने वाले अपने विधायकों की जानकारी भी आयोग को दी। आयोग को ये भी बताया गया है कि सत्ताधारी गठबंधन में मंत्री के तौर पर शपथ लेने वाले बागी विधायकों को पार्टी से बर्खास्त कर दिया गया है।
शरद पवार ने बुलाई राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक
चाचा – भतीजे के इस राजनीतिक ड्रामे के बीच शरद पवार ने अब दिल्ली में NCP की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक बुलाई है। ये मीटिंग दोपहर 6 जुलाई को होगी। अब आगे देखना दिलचस्प होगा कि NCP मे आयी इस दरार के गर्भ से क्या जन्म लेगा।