सिनेमा में ऐसी कई फ़िल्में आई हैं, जिन्हें देखते हुए आप आज भी बोर नहीं होते। इन फ़िल्मों को आप कल्ट क्लासिक कहते हैं। मगर आपको ये जानकर हैरानी होगी कि आज कल्ट-क्लासिक कही जाने वाली ये फ़िल्में रिलीज़ के समय बॉक्स ऑफ़िस पर फ्लॉप रही थीं।सिनेमा घरों में लगने वाली फिल्मों का एक नुकसान ये भी है कि जो फिल्म सिनेमा घरों में नहीं चलती थी हम उसे फ्लॉप मान लेते हैं। उदहारण के तौर पर राजकुमार संतोषी की कॉमेडी फ़िल्म ‘अंदाज़ अपना-अपना’ आज भी दर्शकों को गुदगुदाने में कामयाब रहती है। ये अकेली फ़िल्म है, जिसमें आमिर ख़ान और सलमान ख़ान साथ आए थे। फिल्म का हर एक कैरेक्टर और लगभग हर डायलॉग अभी तक फैन्स को याद हैं। ऐसी कईयों फ़िल्में है। आइये जानते है कुछ और कल्ट क्लासिक फ़िल्मों के बारे मे।
- तुम्बाड
अगर इस फिल्म को भारत की सबसे बेहतरीन मैथोलॉजिकल हॉरर मूवी कहा जाए तो शायद गलत नहीं होगा। यह फिल्म नीड बनाम ग्रीड की अवधारणा के इर्द-गिर्द घूमती है। कहानी तुम्बाड’ नामक गांव की एक काल्पनिक कहानी है। फिल्म की कहानी 1918 में शुरू होती है जहां महाराष्ट्र के गांव तुम्बाड में विनायक राव (सोहम शाह) अपनी मां और भाई के साथ रहता है। लेकिन वहां के बाड़े में एक खजाने के छुपे होने की बात कही जाती है. जिसकी तलाश उसकी मां और उसे भी होती है। लेकिन कुछ ऐसी बातें होती हैं, जिसकी वजह से उसकी मां, उसे पुणे लेकर चली जाती हैं. 15 साल के बाद विनायक फिर से तुम्बाड जाता है और खजाने की तलाश करने लगता है।
2. ए डेथ इन द गंज
कोंकणा सेन द्वारा निर्देशित ये फिल्म जबरदस्त अभिनय से सजी हुई है। इस फिल्म की कहानी, स्टारकास्ट और इसका क्लाइमेक्स सब कुछ शानदार है। यह कहानी 1979 की सर्दियों की है, जब एक परिवार क्रिसमस की छुट्टियां मनाने बिहार के मैक्लुस्कीगंज जाता है। कहानी में ट्विस्ट तब आने लगता है जब परिवार के सदस्य भूतों के बहकावे में आने लगते हैं।
- मर्द को दर्द नही होता
इस फिल्म से अभिमन्यु दसानी और राधिका मदान ने अपना डेब्यू किया था। फिल्म में मुख्य भूमिका में थे गुलशन देवैया, जिमित त्रिवेदी और महेश मांजरेकर आदि। वासन बाला ने इस फिल्म का निर्देशन किया था और यह फिल्म टोरंटो इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल और एमएएमआई फिल्म फेस्टिवल में प्रदर्शित की गई थी। फिल्म को आप नेटफलिक्स पर देख सकते हैं।
4.रेनकोट
यह एकमात्र फिल्म थी जिसे बंगाली फिल्म निर्माता रितुपर्णो घोष ने हिंदी में बनाया था। ओ हेनरी की किताब ‘गिफ्ट ऑफ the मैगी’ पर आधारित यह फिल्म बहुत कम लोगों ने देखी है । अजय देवगन और ऐश्वर्या राय की अदाकारी ऐसी थी कि आज भी इस फिल्म को हिंदी सिनेमा की सबसे अंडररेटेड मास्टरपीस में से एक माना जाता है।
- जाने भी दो यारों
ये फिल्म इस लिस्ट मे जरूर थोड़ा नीचे है। लेकिन इस फिल्म का योगदान हिन्दी सिनेमा और फैन्स के लिए बहुत ज्यादा है। कुन्दन शाह द्वारा निर्देशित यह व्यंग्यात्मक कॉमेडी अपने समय से बहुत बहुत आगे थी। रिलीज़ होने पर इसकी तीखी सामाजिक टिप्पणी पर मेनस्ट्रीम सिनेमा के दर्शकों का ध्यान नहीं गया। हालाँकि, पिछले कुछ वर्षों में, इसने अपने ह्यूमर और शानदार प्रदर्शन के कारण एक मजबूत कल्ट प्राप्त किया है।