सांसद मे चुने हुए सदस्य लोगों के आदेश पर काम करते हैं। वे लोगों के वोट लेकर सत्ता मे आते है ताकि वो लोगों के हितों की बात कर सके इस तरह, एक लोकसभा सांसद जनता के विश्वास का संरक्षक होता है। आम लोगों को भरोसा होता है कि उनका चुना हुआ सांसद उनकी समस्याओं या जरूरतों पर संसद का ध्यान आकर्षित करेगा ताकि उचित हस्तक्षेप किया जा सके। लेकिन क्या होगा यदि कोई सांसद इस विस्वास का उल्लंघन करना शुरू कर दे? और इसके बजाय वो अपने हितों को आगे बढ़ाने के इच्छुक लोगों से पैसे लेकर उनकी बात रखने लगे? क्या ये विश्वासघात लोकतंत्र के धागे से बने रिश्ते को कमजोर नहीं करेगा? क्या यह संसदीय लोकतंत्र को हासिये की ओर नहीं धकेल देगा? इन सभी सवालों के महत्व को देखते हुए, यह गंभीर चिंता का विषय है कि तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा पर लोगों का विश्वास तोड़ने का ऐसा ही आरोप लगा है।
पश्चिम बंगाल राज्य के कृष्णानगर निर्वाचन क्षेत्र से तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा फिर से सभी गलत कारणों से सुर्खियों मे आ गई है। महुआ पर उनके पूर्व निजी मित्र और वकील जय अनंत देहाद्राई और निशिकांत दुबे ने पैसे लेकर उनकी बात करने का आरोप लगाया था।
इस केस के प्रमुख गवाह बिजनेसमैन दर्शन हीरानंदानी है जिसने ने सरकारी गवाह बनकर 19 अक्टूबर को एक चिट्ठी लिखी है। इसमें बताया कि उनके पास महुआ का लोकसभा का लॉगिन आईडी और पासवर्ड था। इससे वे खुद ही महुआ की तरफ से सवाल डाल देते थे।
इस चिट्ठी मे और क्या था ये जानने से पहले चलिये समझते हैं कि सांसद मे सवाल कैसे पूछे जाते हैं।
लोकसभा की कार्यवाही जब शुरू होती है पहला घंटा और राज्यसभा में दोपहर 12 बजे के बाद सवाल पूछने के लिए समय नियत किया गया है। इस समय को प्रश्नकाल के नाम से जाना जाता है, इन सवालों के जरिए जनप्रतिनिधि अपने इलाकों के बारे में सरकार तक बात पहुंचाते है। या राष्ट्रीय महत्व के मुद्दों पर भी सवाल पूछा जाता है, जिस मंत्रालय से सवाल जुड़ा होता है उस विभाग का मंत्री जवाब देता है, कभी कभी जब कोई सवाल गंभीर प्रकृति का होता है उसके लिए अनुसंधान की जरूरत भी पड़ जाती है। सवाल पूछने के लिए सांसद पहले लोकसभा के महासचिव को एक नोटिस देता है जिसमें सवाल का जिक्र होता है। नोटिस में मंत्रालय और ऑफिसियल पदनाम के साथ साथ उस तारीख का जिक्र होता है जिस दिन जवाब मंत्री को देना होता है। संसद सदस्य एक दिन में एक से अधिक सवालों के संबंध में नोटिस भेज सकता है।
क्या लिखा है लेटर मे?
अब बात करते है कि दर्शन हीरानंदानी ने अपनी चिट्ठी मे और क्या क्या लिखा है। हीरानंदानी ने मोइत्रा से अपनी जान पहचान की बात स्वीकारते हुए पीएम मोदी को बदनाम करने के लिए साजिश करने का आरोप महुआ मोइत्रा पर लगाया है।
दर्शन हीरानंदानी ने अपने कथित लेटर में कहा कि वह महुआ मोइत्रा को तब से जानते हैं जब 2017 में बंगाल ग्लोबल बिजनेस समिट हुआ था। उस समय महुआ मोइत्रा विधायक थीं और शिखर सम्मेलन में आने वाले बिजनेसमेन के स्वागत और कोआर्डिनेशन की जिम्मेदारी थी। दर्शन हीरानंदानी ने बताया कि उसके बाद से वह लगातार मिलते रहे हैं और फोन पर बातचीत करते रहे हैं। भारत में कई अवसरों पर विशेष रूप से कोलकाता, दिल्ली या मुंबई में या विदेशों में मिले। जब भी वह दुबई जाती थीं तो दोनों की मुलाकात होती थी। सांसद बनने के बाद भी दोनों की तमाम बार मुलाकातें हुई। दर्शन हीरानंदानी ने बताया कि महुआ मोइत्रा बहुत महत्वाकांक्षी थीं और जल्द ही राष्ट्रीय स्तर पर अपना नाम कमाना चाहती थीं। उनके दोस्तों और सलाहकारों ने उन्हें सलाह दी थी कि प्रसिद्धि का सबसे आसान रास्ता प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी पर व्यक्तिगत हमला करना है।
मोइत्रा ने कुछ प्रश्नों का मसौदा तैयार किया। उन्होंने सांसद के तौर पर अपनी ईमेल आईडी मेरे साथ साझा की ताकि मैं उन्हें जानकारी भेज सकूं और वह संसद में सवाल उठा सकें। संसद में अडाणी ग्रुप पर किए गए सवालों के बाद मिली प्रतिक्रिया से वह खुश थीं। इसके बाद उन्होंने अडाणी ग्रुप और पीएम मोदी को निशाना बनाने के लिए सवालों के लिए मुझे अपना संसद लॉगिन और पासवर्ड दिया। मोइत्रा को अपने प्रयास में सुचेता दलाल, शार्दुल श्रॉफ और पल्लवी श्रॉफ जैसे अन्य लोगों से मदद मिल रही थी जो उनके संपर्क में थे।
जवाब मे ये कहा मोइत्रा ने
कारोबारी दर्शन हीरानंदानी के कबूलनामे के बाद टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा ने सोशल मीडिया के जरिए उनके लगाए गए आरोपों का खंडन किया है। इसके साथ ही उन्होंने 2 पन्नों का एक ओपन लेटर भी जारी किया है, जिसमें उन्होंने बिंदुवार कई सवाल उठाए हैं। महुआ मोइत्रा ने एक्स पर अपना बयान जारी किया है। उन्होंने हलफनामे की विश्वसनीयता पर सवाल उठाए और कहा कि यह आरोप व्हाइट पेपर पर हैं, ना कि आधिकारिक लेटरहेड या नोटरीकृत पत्र में लगाए गए हैं। उन्होंने कहा, पत्र (शपथपत्र) का कंटेंट एक मजाक है।
शिकायत अब ethics committee के पास
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने मोइत्रा के खिलाफ शिकायत को लोकसभा की आचार समिति या ethics comitee को भेज दिया है। इस समिति का गठन 1997 में राज्यसभा में और 2000 में लोकसभा में किया गया था। यह संसद सदस्यों की आचार संहिता को लागू करती है। यह सांसदों के खिलाफ कदाचार के मामलों की जांच करती है और उचित कार्रवाई की सिफारिश करती है। अब सवाल है कि महुआ मोइत्रा के खिलाफ ये कमेटी क्या कार्रवाई करती है, हो सकता है कि मोइत्रा की सांसदी भी चली जाए।