पातालकोट एक्सप्रेस ट्रेन पंजाब के फरीदकोट से मध्य प्रदेश के सियोनी जा रही थी। रोजाना की तरह ट्रेन यात्रियों से खचाखच भरी हुई थी। तभी अचानक से आगरा से 10 किलोमीटर दूर भांडई स्टेशन के पास ट्रेन की दो जनरल बोगियों में आग लग गई। दरअसल, ट्रेन में अज्ञात करणों से आग लग गई थी, ट्रेन को तुरंत रोका गया और यात्री अंदर से बाहर निकलने लगे, और कुछ यात्रियों ने तो खिड़की से कूदकर अपनी जान बचाई।
हालांकि, इस हादसे में 11 लोग आग की चपेट में आने से झुलस गए और 2 लोगो की मौत हो गई। तुरंत घायल यात्रियों को अस्पताल पहुंचाया गया। वहीं, मौके पर पहुंचे रेल प्रशासन स्थानीय लोगों की मदद से ट्रेन के कोचों में लगी आग को बुझाने का प्रयास शुरू किया। तीन घंटों की कड़ी मशक्कत के बाद आग पर काबू पाया जा सका।
ट्रेन के 2 कोच में लगी आग
जब तक ट्रेन को रोका गया तब तक काफी यात्री जन ट्रेन से कूद कूद कर अपनी जान बचा लिए थे। दुर्घटना में दो लोगो की जान चली गई और अधिकतर यात्री या तो झुलसे हुए हैं या कूदकर घायल हो गए हैं। आग की लपटों के समय ट्रेन की गति सिर्फ 15 किलोमीटर प्रति घंटा थी।
गेटमैन ने बचाई लोगों की जान
रेलवे का यह मूल मंत्र गेटमैन यशपाल सिंह ने पूरा किया। उनके इस काम से सैकड़ों यात्रियों की जान बच गई। अगर समय पर गेटमैन इसकी जानकारी नहीं देता तो, आग का रूप और विकराल होना तय था। उनकी सलाह पर अमल करते हुए सिर्फ साढ़े तीन मिनट में ट्रेन को रोक दिया गया। इससे यात्रियों की जान बच गई। दोनों ही डिब्बों में 250 से अधिक यात्री यात्रा कर रहे थे।
दस साल पहले रेलवे बनाया गया था
कैंट निवासी यशपाल सिंह ने 10 साल पहले से कम कर रहे है तीन वर्ष पूर्व गेट नंबर 487 स्थापित किया गया। यशपाल ने रविवार शाम जैसे ही पातालकोट एक्सप्रेस के इंजन से चौथे नंबर के सामान्य प्रवेश द्वार के इंजन से धुआं दिखा।
उन्होंने तुरंत स्टेशन मास्टर को फोन किया। स्टेशन मास्टर ने कंट्रोल रूम को बताया। कंट्रोल रूम ने लोको पायलट और गार्ड सत्यभान की जानकारी दी। इसमें कुल साढ़े तीन मिनट का समय लगा और ट्रेन रोक दी गई। इस दौरान दो सामान्य दर्जे के डिब्बों में आग लग गई थी।
ऐसे में वह फिर से दौड़ में शामिल हो गई। अन्यत्र के राजनेता कुमार ने बताया कि दोनों डिब्बों में शौचालय तक यात्री बैठे थे। इंजन के प्वाइंट बिगुल ने बताया कि इंजन से चौथे नंबर पर आग्नेयास्त्र तीसरे नंबर पर आ गया तो, धुआं भर गया। दम तोड़ने पर वह ट्रेन से कूदने वाले थे। इस बीच ट्रेन को रोक दिया गया था।