शरद पूर्णिमा पर जहां पूर्ण चंद्रमा अपनी पवित्र किरणों से पृथ्वी को शीतलता प्रदान करता है। वहीं इस बार 28 और 29 अक्टूबर की मध्य रात्रि के बीच चंद्र ग्रहण लगने जा रहा है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार चंद्रमा के ग्रहण लगने के पीछे का मुख्य कारण राहु-केतु ग्रह होते हैं। इस बार चंद्र ग्रह मेष राशि में लगने जा रहा है। हिंदू धर्म के अनुसार ग्रहण का लगना शुभ नहीं माना जाता है और ग्रहण के दौरान कुछ सावधानियां विशेष रूप से बरतनी चाहिए।
मान्यता के अनुसार चंद्र ग्रहण के दौरान धार्मिक अनुष्ठान एवं मांगलिक कार्यों को करना वर्जित माना जाता है और सूतक काल के प्रभाव से बचने के लिए कुछ नियमों का पालन करना चाहिए। आइये जानते हैं चंद्र ग्रहण का असर कहां-कहां देखने को मिलेगा और इस दौरान क्या करना चाहिए और क्या नहीं।
कहां-कहां दिखेगा चंद्र ग्रहण
चंद्र ग्रहण का असर Indian Ocean, Atlantic Ocean, Africa, Asia, Europe, Australia के कुछ भागों में और North America और South America के पूर्वी क्षेत्रों से देखने को मिलेगा। इसी के साथ यह चंद्र ग्रहण भारत में New Delhi, Mumbai, Ahmedabad, Bengaluru, Kolkata और Varanasi में दिखाई देगा।
भारत में कितने बजे से शुरू होगा चंद्र ग्रहण
भारत में चंद्र ग्रहण 28-29 अक्टूबर की मध्यरात्रि को लगेगा। चंद्र ग्रहण भारत में 29 अक्टूबर की मध्यरात्रि 01 बजकर 06 मिनट पर प्रारंभ होगा और 02 बजकर 22 मिनट पर समाप्त होगा। ग्रहण की कुल अवधि 01 घंटा 16 मिनट की है।
भारत में सूतक काल कितने बजे से शुरू होगा
चंद्र ग्रहण का सूतक काल 09 घंटे पूर्व से प्रारंभ हो जाता है। ऐसे में साल के आखिरी चंद्र ग्रहण का सूतक काल दोपहर 02 बजकर 52 मिनट पर प्रारंभ हो जाएगा। चंद्र ग्रहण 29 अक्टूबर की रात 01 बजकर 44 मिनट पर अपने चरम पर होगा।
चंद्र ग्रहण के दौरान क्या करें-क्या नहीं:
- चंद्र ग्रहण के दौरान ज्यादा से ज्यादा अपने इष्टदेव का ध्यान लगाना चाहिए, जिससे ग्रहण का दुष्प्रभाव आप पर न पड़े।
- ग्रहण के दौरान घर के बाहर नहीं निकलना चाहिए कहते हैं कि, ग्रहण की किरणें मानव शरीर पर नकारात्मक प्रभाव डालती हैं।
- चंद्र ग्रहण खत्म होने के बाद स्नान करने के बाद पूरे घर में गंगाजल का छिड़काव करना चाहिए।
- ग्रहण शुरू होने से पहले घर में खाने-पीने की चीजों में तुलसी दल रखना चाहिए। मान्यता है कि तुलसी के पत्तों को जिस स्थान पर रखते हैं वह पवित्र हो जाती है।
- सूतक काल व ग्रहण के दौरान शुभ व मांगलिक कार्यों को रोक होती है।
- ग्रहण के दौरान भोजन बनाना व ग्रहण करना अशुभ माना जाता है।