भारतीय सशस्त्र बल ट्रांसजेंडर के लिए रक्षा भूमिका के रूप में रोजगार के संभव अवसरों के ऊपर चिंतन कर रही है। साथ ही में प्रिंसिपल पर्सनल ऑफिसर्स कमिटी (PPOC) के द्वारा गठित एक संयुक्त अध्ययन समूह, रक्षा बलों में ट्रांसजेंडर व्यक्तियों (Protection of rights) अधिनियम 2019 के परिपालन पर विचार विमर्श करेगा। बता दे कि, संयुक्त समूह का नेतृत्व, डायरेक्टोरेट जनरल ऑफ आर्म्ड फोर्सेज मेडिकल सर्विसेज (DGAFMS) के वरिष्ठ अधिकारी के द्वारा होता हैं।
I.E रिपोर्ट के अनुसार, वरिष्ठ अधिकारियों ने किसी भी समय ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को शामिल करने से पहले बलों में कई संरचात्मक, प्रशासनिक और सांस्कृतिक परिवर्तनों की आवश्यकता का हवाला दिया। इस मामले पर सेना एडजुटेंट जनरल की शाखा द्वारा प्राप्त कुछ टिप्पणियों में ट्रांसजेंडर को भर्ती, प्रशिक्षण, पोस्टिंग आदि में रियायते नही देने जैसे सुझाव शामिल थे। वर्तमान में, सशस्त्र बल ट्रांसजेंडर या समलैंगिकों के रूप में पहचान करने वाले लोगो की भर्ती नही होती है। इसके अलावा, सेना एडजुटेंट जनरल की शाखा हाल ही में इस मामले से संबंधित लाइन डायरेक्टोरेट्स से अपने फीडबैक का अनुरोध किया था। कथित तौर पर अधिकांश डायरेक्टोरेट्स ने पहले ही अपनी प्रतिक्रिया भेज दी है, हालांकि चर्चा अभी भी प्रारंभिक चरण में हैं।
सेना अधिकारियों की राय
इस निर्णय में सेना अधिकारी का कहना है कि, यह अधिनियम ट्रांसजेंडर समुदाय को समान अवसर प्रदान करने वाला है। हालांकि, रक्षा बलों में रोजगार चयन और योग्यता आधारित है, जो ट्रांसजेंडर्स पर भी समान रूप से लागू रहेगा अगर किसी भी समय सेना में उनके लिए भर्ती खोली जाती है।
वहीं कुछ अधिकारियों का कहना है कि, निर्णय लेने से पहले कई अन्य मुद्दों पर विचार किया जाना चाहिए। सेना को सिर्फ रोजगार के अवसर के रूप में नहीं देखा जा सकता है। इसमें आवास और शौचालयों की कमी जैसी प्रशासनिक चुनौतियाँ है, खासकर उन क्षेत्रों में जहां संसाधनों और स्थान की कमी है। साथ ही में अधिकारियों ने यह भी कहा कि, उनकी पोस्टिंग को केवल शांति स्टेशनों तक सीमित करने से फील्ड कार्यकाल के बाद दूसरों के लिए अवसर कम हो जाएंगे।
हालांकि अभी तक सेना बल में ट्रांसजेंडर्स को आरक्षण मिलने का फैसला स्पष्ट नहीं है। देखना बाकी है कि, अंतिम निर्णय क्या होगा।
ट्रांसजेंडर व्यक्तियों (Protection of rights) अधिनियम 2019 क्या है
ट्रांसजेंडर व्यक्तियों (Protection of rights) अधिनियम, 2019, भारत में 2019 संसद द्वारा पारित किया गया था और जनवरी 2020 में लागू हुआ था। इस अधिनियम का भारत में ट्रांसजेंडर अधिकारियों की लड़ाई में एक महत्वपूर्ण भूमिका है। यह ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के अधिकारों की रक्षा और कल्याण सुनिश्चित करने के लिए एक व्यापक कानूनी ढांचा प्रदान करता है। इस अधिनियम से ट्रांसजेंडर्स के जीवन पर परिवर्तनकारी प्रभाव पड़ने की उम्मीद है, जिससे वे सम्मान और समानता के साथ जीने में सक्षम होंगे।